बलरामपुर : Sarna Pooja MLA Udheshwari Paikra : जिले के ग्राम पंचायत बघिमा में आज बसंत पंचमी के अवसर पर आदिवासी समुदाय के सरना पूजा समारोह में एक खास और उत्साहपूर्ण घटना देखने को मिली। विधायक उद्धेस्वरी पैकरा ने इस कार्यक्रम में भाग लेते हुए पूजा के बाद मांदर की थाप पर महिलाओं के साथ नृत्य किया, जिससे कार्यक्रम में एक अलग रंग देखने को मिला।
Sarna Pooja MLA Udheshwari Paikra : सरना पूजा के दौरान आदिवासी समुदाय के लोग विधि विधान से पूजा अर्चना कर रहे थे और बाद में भगवान को प्रसन्न करने के लिए नृत्य भी किया गया। विधायक उद्धेस्वरी पैकरा ने इस मौके पर सरना देवता की पूजा करने के बाद मांदर की थाप पर महिलाओं के साथ नृत्य किया, जिससे कार्यक्रम में और भी जोश और उत्साह का माहौल बना।
Sarna Pooja MLA Udheshwari Paikra : इस कार्यक्रम में दूर-दूर से ग्रामीणों की भारी भीड़ भी जुटी थी और सभी ने एकजुटता का परिचय दिया। यह आयोजन न सिर्फ आदिवासी समुदाय के धार्मिक उत्सव का हिस्सा था, बल्कि क्षेत्रीय एकता और सांस्कृतिक धरोहर को भी प्रदर्शित करने का एक शानदार अवसर था।
सरना पूजा आदिवासी समुदाय की पारंपरिक पूजा है, जो आमतौर पर बसंत पंचमी के दिन होती है। यह पूजा विशेष रूप से सरना देवता की पूजा के लिए की जाती है, जिसमें लोग अपनी खुशहाली और सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। इस दिन लोग पारंपरिक नृत्य और गीतों के साथ पूजा करते हैं।
विधायक उद्धेस्वरी पैकरा ने इस पूजा में क्या किया?
विधायक उद्धेस्वरी पैकरा ने इस खास मौके पर सरना पूजा में भाग लिया। पूजा के बाद उन्होंने मांदर की थाप पर महिलाओं के साथ नृत्य किया, जिससे वह इस सांस्कृतिक आयोजन का हिस्सा बनीं और आदिवासी परंपराओं का सम्मान किया।
बसंत पंचमी का आदिवासी समुदाय में क्या महत्व है?
बसंत पंचमी का दिन आदिवासी समुदाय में खास महत्व रखता है क्योंकि इसे मौसम परिवर्तन और कृषि कार्यों की शुरुआत के रूप में मनाया जाता है। इस दिन पूजा करके लोग सरना देवता की कृपा प्राप्त करने की कोशिश करते हैं।
क्या यह पूजा अन्य स्थानों पर भी होती है?
हां, सरना पूजा आदिवासी इलाकों में विभिन्न स्थानों पर मनाई जाती है, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहां आदिवासी समुदाय की उपस्थिति अधिक है। यह पूजा पूरे छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के आदिवासी क्षेत्रों में विशेष रूप से प्रचलित है।
आदिवासी नृत्य और संगीत का क्या महत्व है?
आदिवासी नृत्य और संगीत इन समुदायों की सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा हैं। नृत्य के माध्यम से वे अपनी खुशियों और धार्मिक भावनाओं का प्रदर्शन करते हैं। मांदर की थाप पर नृत्य उनके पारंपरिक गीतों का हिस्सा होता है, जो धार्मिक अनुष्ठानों का अभिन्न भाग है।