3 Naxalites Arrested in Jhiram kaand: झीरम कांड की बरसी से पहले बड़ी कामयाबी! हमले से जुड़े 3 माओवादी गिरफ्तार, दो पहले ही कर चुके हैं सरेंडर
झीरम कांड की बरसी से पहले बड़ी कामयाबी...3 Naxalites Arrested in Jhiram Kand: Big success before the anniversary of Jhiram Kand! 3 Maoists
- झीरम कांड की बरसी से पहले बड़ी कामयाबी,
- हमले से जुड़े 3 माओवादी गिरफ्तार,
- दो माओवादी पहले ही कर चुके हैं सरेंडर,
बीजापुर: 3 Naxalites Arrested in Jhiram kaand: छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले की झीरम घाटी में हुए भयावह नक्सली हमले की 12वीं बरसी से ठीक एक दिन पहले राज्य पुलिस और सुरक्षा बलों को एक बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। झीरम कांड में शामिल तीन नक्सलियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है जबकि दो अन्य नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया है। ये गिरफ्तारी बीजापुर जिले से की गई है जो कि माओवादियों का गढ़ माना जाता है।
क्या हुआ था सुकमा के झीरम में?
3 Naxalites Arrested in Jhiram kaand: 25 मई 2013 का दिन छत्तीसगढ़ कभी नहीं भूल सकता। कांग्रेस के लिए यह काले दिन की तरह है। नक्सल प्रभावित सुकमा जिले के झीरम घाटी में 12 साल पहले 25 मई 2013 को छत्तीसगढ़ ने सबसे भयानक नक्सली हमलों में से एक को देखा था। दो दिन बाद छत्तीसगढ़ के इतिहास में सबसे भयानक नक्सली हमले की 12वीं बरसी है, जिसमें कई कांग्रेस नेता सहित 32 से ज्यादा लोग मारे गए थे
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3 Naxalites Arrested in Jhiram kaand: दरअसल छत्तीसगढ़ का नक्सल प्रभावित सुकमा जिले का झीरम घाटी वह इलाका है, जिसे यादकर आज भी लोगों के जेहन में साल 2013 की वो दर्दनाक घटना ताजा हो जाती है। 12 साल पहले 25 मई के दिन झीरम घाटी में नक्सलियों ने खूनी खेल खेला था और तत्कालीन कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, महेंद्र कर्मा समेत 32 से अधिक लोगों को मौत के घाट उतार दिया था।
3 Naxalites Arrested in Jhiram kaand: छत्तीसगढ़ के लिए झीरम घाटी कांड एक कभी न भरने वाले घाव की तरह है। 12 साल बाद भी इस हत्याकांड का रहस्य अनसुलझा है। कांग्रेस ने पिछले साल से ही इस दिन को झीरम घाटी शहादत दिवस के तौर पर मनाने की शुरुआत की है। बहरहाल इस हत्याकांड के कई रहस्य अब तक अनसुलझे हैं और पता नहीं कब तक झीरम घाटी के पीड़ितों को न्याय मिल पाएगा। इस हमले नंदकुमार पटेल, दिनेश पटेल, महेन्द्र कर्मा, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, योगेंद्र शर्मा समेत कई दिग्गज नेता और उनके सुरक्षाकर्मी समेत कुल 32 लोग शहीद हुए थे।

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