Mukesh Chandrakar Murder Case: कांग्रेस ने किया था मुकेश चंद्राकर समेत बीजापुर के पत्रकारों का बहिष्कार?.. आप भी देखें ये वायरल आदेश की कॉपी..
यह मामला एक बार फिर से यह सोचने पर मजबूर करता है कि स्वतंत्र पत्रकारिता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को किस तरह संरक्षित किया जा सकता है।
Mukesh Chandrakar Murder Case Latest Update | Image- IBC24 News File
Mukesh Chandrakar Murder Case Latest Update: बीजापुर: चर्चित पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या ने जहां पत्रकारिता जगत को शोकग्रस्त कर दिया है, वहीं इस मामले ने राजनीतिक गलियारों में भी हलचल मचा दी है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला तेज हो गया है। भाजपा ने इस मामले में मुख्य आरोपी सुरेश चंद्राकर की तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा की हैं, जिसमें दावा किया गया है कि वह कांग्रेस नेता हैं और पार्टी ने उन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपी थीं।
सोशल मीडिया पर वायरल लेटर ने बढ़ाई चर्चा
इसी बीच सोशल मीडिया पर एक पत्र वायरल हो रहा है, जिसके वास्तविकता की पुष्टि IBC24 ने नहीं की है। यह पत्र कथित तौर पर बीजापुर के कांग्रेस नेता लालू राठौर द्वारा प्रेस क्लब के अध्यक्ष को लिखा गया था। इस पत्र में दिवंगत पत्रकार मुकेश चंद्राकर समेत अन्य तीन पत्रकारों के बहिष्कार की बात कही गई थी। यह पत्र पिछले साल अप्रैल में जारी किया गया था, और अब इसे लेकर नई बहस छिड़ गई है।
किन आरोपों का सामना कर रहे थे पत्रकार?
Mukesh Chandrakar Murder Case Latest Update: वायरल पत्र में जिन चार पत्रकारों का बहिष्कार किया गया था, उन पर आरोप लगाए गए थे कि उन्होंने तत्कालीन विधायक विक्रम मंडावी के खिलाफ खबरें प्रकाशित कर उनकी छवि खराब करने की कोशिश की। साथ ही, यह भी कहा गया कि इन खबरों के जरिए किसी विशेष राजनीतिक दल को फायदा पहुंचाने का प्रयास किया गया।
राजनीतिक बयानबाजी का नया मोड़
भाजपा और कांग्रेस के बीच इस मुद्दे को लेकर आरोप-प्रत्यारोप जारी हैं। भाजपा ने कांग्रेस पर पत्रकारों के खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगाया है, जबकि कांग्रेस ने इन दावों को खारिज करते हुए इसे राजनीति से प्रेरित बताया है।
निष्पक्ष जांच की मांग
Mukesh Chandrakar Murder Case Latest Update: पत्रकारिता जगत और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस हत्याकांड की निष्पक्ष जांच की मांग की है। मुकेश चंद्राकर की हत्या ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या आज पत्रकार अपने काम के प्रति सुरक्षित हैं? यह मामला एक बार फिर से यह सोचने पर मजबूर करता है कि स्वतंत्र पत्रकारिता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को किस तरह संरक्षित किया जा सकता है।


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