Bilaspur High Court News: बाल तस्करी को लेकर बिलासपुर हाई कोर्ट सख्त, लंबित मामलों पर जताई नाराजगी… जल्द निपटारे के दिए निर्देश

बिलासपुर हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि हर बाल तस्करी केस को अब 6 महीने के अंदर खत्म करना होगा, छत्तीसगढ़ प्रदेश के सभी जिला न्यायालयों को आदेश दते हुए हाईकोर्ट ने निर्देश दिया है की प्रदेश में आये दिन बढ़ती हुई बाल तस्करी से जुड़े सभी मुकदमों को सर्कुलर जारी होने की तिथि से 6 महीने के भीतर अनिवार्य रूप से पूरा किया जाये।

Bilaspur High Court News: बाल तस्करी को लेकर बिलासपुर हाई कोर्ट सख्त, लंबित मामलों पर जताई नाराजगी… जल्द निपटारे के दिए निर्देश

Bilaspur High Court News || Image- IBC24 News File

Modified Date: October 9, 2025 / 10:38 am IST
Published Date: October 9, 2025 10:35 am IST
HIGHLIGHTS
  • बिलासपुर हाईकोर्ट ने दिया बाल तस्करी पर बड़ा आदेश।
  • केस जल्दी निपटाने के लिए डेली हियरिंग भी की जा सकती है।
  • किसी सुनवाई में देर होती है तो उसका कारण रिकॉर्ड पर देना अनिवार्य होगा।

Bilaspur High Court News: बिलासपुर हाईकोर्ट ने हाल ही में चाइल्ड ट्रैफिकिंग के मामले को गंभीरता से लेते हुए इन मामलों में लंबित ट्रायल को शीघ्र पूरा करने के लिए एक अहम और सख्त दिशानिर्देश जारी किया है। जिसके अंतर्गत छत्तीसगढ़ प्रदेश के सभी जिला न्यायालयों को आदेश दते हुए हाईकोर्ट ने निर्देश दिया है की प्रदेश में आये दिन बढ़ती हुई बाल तस्करी से जुड़े सभी मुकदमों को सर्कुलर जारी होने की तिथि से 6 महीने के भीतर अनिवार्य रूप से पूरा किया जाये।

सर्कुलर में विशेष रूप से ये भी निर्देशित किया गया है कि अगर किसी कारण से केस की सुनवाई में देरी हो रही है तो उसका स्पष्ट कारण रिकॉर्ड किया जाए। साथ ही सभी रिपोर्ट को समय-समय पर उच्च न्यायालय में प्रस्तुत किया जाए ताकि मॉनिटरिंग की जा सके।

हाईकोर्ट ने अपने निर्देश में कहा है कि अगर जरुरत हो तो मामलों की रोजाना सुनवाई सुनिश्चित की जाए ताकि तय समयसीमा में ट्रायल पूरा हो सके। कोर्ट ने ये भी दोहराया कि इस दिशा में कोई लापरवाही या देरी न हो क्योकिं ये मामला बच्चों के भविष्य से जुड़े हुए हैं। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में साफ-साफ कहा है कि कोर्ट के इन निर्देशों की भावना को ठीक वैसे ही पालन होना चाहिए जैसे वो लिखे गए हैं।

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बीते कुछ सालों में बाल तस्करी के मामलों में बढ़ोतरी देखी गई है जिससे समाज में चिंता का माहौल है। हाईकोर्ट का ये निर्णय एक सख्त लेकिन जरुरी कदम माना जा रहा है जो बच्चों की सुरक्षा और न्याय प्रक्रिया में तेजी लाने की दिशा में असरदार साबित हो सकता है।

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