Bilaspur High Court News: ‘मौत के ठीक पहले दिया गया बयान दोषसिद्धि का आधार’.. बिलासपुर HC ने बरक़रार रखा आरोपी के आजीवन कारावास की सजा

हाईकोर्ट ने धारा 302 आईपीसी के तहत राजकुमार बंजारे को दोषी ठहराए जाने के निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा और उसे 15,000 रुपये के जुर्माने के साथ आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

Bilaspur High Court News: ‘मौत के ठीक पहले दिया गया बयान दोषसिद्धि का आधार’.. बिलासपुर HC ने बरक़रार रखा आरोपी के आजीवन कारावास की सजा

Bilaspur High Court Latest News || Image- IBC24 News File

Modified Date: February 26, 2025 / 11:59 pm IST
Published Date: February 26, 2025 11:59 pm IST
HIGHLIGHTS
  • हाईकोर्ट ने भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 32(1) के तहत मृत्यु पूर्व कथन को वैध माना
  • तीन मृत्यु पूर्व बयानों में विसंगति, लेकिन हाईकोर्ट ने तीसरे बयान को विश्वसनीय ठहराया
  • राजकुमार बंजारे को पत्नी की हत्या का दोषी मानते हुए हाईकोर्ट ने आजीवन कारावास सुनाया

Bilaspur High Court Latest News: बिलासपुर। हाईकोर्ट ने भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की धारा 32(1) के अंतर्गत वैध मृत्यु पूर्व कथन की स्वीकार्यता को बरकरार रखा है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रवींद्र कुमार अग्रवाल की खंडपीठ ने आपराधिक अपील को निरस्त करते हुए अपीलकर्ता को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 के तहत दोषी ठहराया। अभियुक्त को अपनी पत्नी ओमबाई बंजारे की हत्या के लिए दोषी पाते हुए अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला दिया और स्पष्ट किया कि यदि मृत्यु पूर्व कथन स्वैच्छिक, विश्वसनीय और मानसिक रूप से स्वस्थ अवस्था में दिया गया हो, तो वह दोषसिद्धि का एकमात्र आधार हो सकता है।

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क्या है पूरा मामला?

गौरतलब है कि 19 दिसंबर 2016 को महासमुंद जिले के नवापारा अचारीडीह में राजकुमार बंजारे की पत्नी ओमबाई बंजारे गंभीर रूप से झुलस गई थी। अभियोजन पक्ष ने साबित किया कि अभियुक्त राजकुमार बंजारे ने अपनी पत्नी को लगातार परेशान किया और रुपयों की मांग करता था। इससे तंग आकर पीड़िता ने अपने शरीर पर केरोसिन डालकर आग लगा ली। घटना के बाद उसे महासमुंद के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां पुलिस और नायब तहसीलदार ने उसके दो मृत्यु पूर्व बयान दर्ज किए।

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Bilaspur High Court Latest News: पीड़िता ने अपने पहले दो बयानों में कहा कि स्टोव जलाते समय उसे आग लग गई, लेकिन बाद में उसके परिवार ने इन बयानों को खारिज कर दिया। इस बीच, मृतका के चाचा द्वारा गवाहों को प्रभावित करने की आशंका जताए जाने के बाद रायपुर के अतिरिक्त तहसीलदार ने डॉ. बी.आर. अंबेडकर अस्पताल में उसका तीसरा बयान दर्ज किया। इस बयान में घायल महिला ने स्पष्ट रूप से अपने पति को आग लगाने के लिए जिम्मेदार ठहराया।

कोर्ट का फैसला

सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने मृत्यु पूर्व बयानों की वैधता और अलग-अलग समय पर दर्ज किए गए तीन मृत्यु पूर्व बयानों में विसंगतियों की जांच की। पहले दो बयानों में आग लगने की वजह दुर्घटना बताई गई, जबकि तीसरे बयान में आरोपी को दोषी ठहराया गया। अदालत ने तीसरे मृत्यु पूर्व बयान और अस्पताल में दर्ज की गई अनौपचारिक शिकायत में दिए गए विस्तृत बयान को विश्वसनीय माना।

Bilaspur High Court Latest News: कोर्ट ने स्पष्ट किया कि पीड़िता की स्वयं लिखित रिपोर्ट, जिसमें उसकी मृत्यु के कारणों का विवरण दिया गया है, भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 32(1) के तहत स्वीकार्य है। बचाव पक्ष ने तर्क दिया कि महिला के अलग-अलग मृत्यु पूर्व बयानों में विसंगतियां हैं, जिससे संदेह उत्पन्न होता है। लेकिन अभियोजन पक्ष ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि तीसरा मृत्यु पूर्व बयान घटना का सबसे सटीक और विश्वसनीय विवरण प्रदान करता है।

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हाईकोर्ट ने धारा 302 आईपीसी के तहत राजकुमार बंजारे को दोषी ठहराए जाने के निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा और उसे 15,000 रुपये के जुर्माने के साथ आजीवन कारावास की सजा सुनाई।


सामान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्नः

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