Cheetah Reintroduction in India: 70 साल पहले इस जगह पर किया गया आखिरी बार चीता का शिकार, बुजुर्गों की जुबानी…अनसुनी कहानी, छत्तीसगढ़ से है गहरा कनेक्शन
70 साल पहले इस जगह पर किया गया आखिरी बार चीता का शिकार! Cheetah Reintroduction in India: Cheetah was last hunt at Korea 70 years ago
कोरिया: Cheetah Reintroduction in India कोरिया नरेश रामानुज प्रताप सिंहदेव ने 1947 में जिस जगह पर चीतों का शिकार किया था, वो जगह अब गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान में है, जहां पर चीता टॉवर भी बनाया गया है। ये इलाका अब भी जंगलों से घिरा है, लेकिन यहां चीता अब केवल कहानियों भर में है।
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Cheetah Reintroduction in India कोरिया जिले के रामगढ़ का ये वही इलाका है जहां कभी चीते रफ्तार भरते थे, यहां के आसपास के गांव चीतों की दहशत से थर्राते थे। लेकिन अब यहां केवल चीतों के किस्से हैं कहानियां हैं। IBC24 की टीम उस जगह पर भी पहुंची जहां बताते हैं कोरिया नरेश रामानुज प्रताप सिंहदेव ने देश के तीन आखिरी चीतों का शिकार किया था।
चीतों का शिकार जिस जगह हुआ वह इलाका आज भी जंगलों से घिरा है, जहां अब चीते तो नहीं हैं लेकिन गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान की ओर से पर्यटकों के लिए चीता टॉवर बनाया गया है। जहां से लोग जंगल की खूबसूरती के दीदार कर सकते हैं।
चीतों के विलुप्त होने के बाद इलाके में अब चीतों से जुड़ी कहानियां भर रह गई हैं, लोग बताते हैं कि पूर्वजों की जुबान से उन्होंने चीते के शिकार की बातें सुनी हैं। कुल मिलाकर नामीबिया से 8 चीतों के आने की खबरों के बाद इलाके के लोगों में भी चीतों और उसके शिकार के बारे जानने की उत्सुकता बढ़ी है, लेकिन जहां कभी चीते कुलाचे भरते थे, आज वो जंगल सूना है।

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