रायपुर। Chhattisgarh Cow Urine Scheme : शासन की महत्वाकांक्षी गोधन न्याय योजना आज आमजनों के सपने साकार करने वाली योजना बन गयी है। योजनांतर्गत पशुपालकों को गोबर विक्रय से एक ओर अतिरिक्त आमदनी मिली, वहीं दूसरी ओर गोबर से वर्मी कम्पोस्ट खाद निर्माण एवं विक्रय ने महिलाओं को स्वरोजगार का नया जरिया दिया। इसी क्रम में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा पशुपालकों को एक और सौगात दी गई, हरेली त्यौहार से गौठानों में गोमूत्र की भी खरीदी की शुरुआत से लोगों को आजीविका का नवीन माध्यम मिल गया।
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Chhattisgarh Cow Urine Scheme : जिले में कलेक्टर कुलदीप शर्मा के मार्गदर्शन में दो गौठानों में गोमूत्र ख़रीदी की जा रही है, जिनमें विकासखण्ड बैकुण्ठपुर के जूनापारा एवं विकासखण्ड सोनहत के पोड़ी गौठान में गोमूत्र खरीदकर महिलाओं द्वारा जीवामृत तथा ब्रम्हास्त्र का निर्माण किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि अब तक जिले में 4 रुपए प्रतिलीटर की दर से कुल 279 लीटर गोमूत्र की खरीदी की गई है। गोमूत्र से निर्मित उत्पादों को जिला मुख्यालय में स्थित सीमार्ट में विक्रय हेतु रखा जाएगा।
’इस तरह बनाए जा रहे उत्पाद-’
Chhattisgarh Cow Urine Scheme : रासायनिक खाद तथा कीटनाशक के अत्यधिक प्रयोग से मृदा तथा भूमि को नुकसान पहुंचता है वहीं मानव स्वास्थ्य में भी इसके घातक परिणाम देखने मिलते हैं। जूनापारा गौठान कि भक्ति महिला स्व सहायता समूह की अध्यक्ष पार्वती ने बताया कि जीवामृत एक पारम्परिक जैव कीटनाशक है। गोमूत्र में बेसन, गुड़, गोबर, मिट्टी, पानी निश्चित अनुपात में अच्छी तरह मिलाकर ढंककर रखा जाता है। समय-समय पर इसे लकड़ी की सहायता से मिलाया जाता है, लगभग 2 से 3 दिनों में किण्वन प्रक्रिया से जीवामृत तैयार हो जाता है। जीवामृत में भरपूर मात्रा में जैविक पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो पौधों एवं मृदा के लिए उपयोगी है।
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Chhattisgarh Cow Urine Scheme : इसी प्रकार गौमूत्र में पानी तथा विभिन्न प्रकार की पत्तियों को पीसकर मिलाया जाता है, फिर अच्छी तरह उबालकर 24 घण्टे ठंडा करने के बाद छानकर ब्रम्हास्त्र बनाया जाता है। यह जैविक कीटनाशक रासायनिक कीटनाशकों की अपेक्षा पौधों की कीटों से रक्षा के लिए अच्छा विकल्प है।