CG High Court Latest News: ‘अविवाहित बेटी की संपत्ति पर दत्तक पिता का अधिकार नहीं’.. हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका, कहा- केवल नॉमिनी होना काफी नहीं
'अविवाहित बेटी की संपत्ति पर दत्तक पिता का अधिकार नहीं'.. Chhattisgarh High Court said that adoptive father has no right over unmarried daughter's property
CG High Court Latest News: Image Source-IBC24 Archive
- हाईकोर्ट ने दत्तक पिता की याचिका खारिज की, कहा – केवल नामिनी होना उत्तराधिकार के लिए पर्याप्त नहीं।
- अविवाहित महिला की संपत्ति उसकी मां को मिलेगी, दत्तक पिता को नहीं।
- हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 की धारा 15 व 16 के अनुसार संपत्ति का वितरण होगा।
बिलासपुर: CG High Court Latest News: अविवाहित पुत्री की मृत्यु होने पर उसकी संपत्ति पर अधिकार को लेकर दत्तक पिता द्वारा दायर की गई याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए जस्टिस एनके व्यास के सिंगल बेंच ने कहा कि दत्तक पिता को अविवाहित पुत्री की संपत्ति का उत्तराधिकारी नहीं बनाया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि दत्तक पुत्री के दस्तावेजों के नामिनी होने के आधार पर ही उसे उत्तराधिकारी नहीं माना जा सकता है और ना ही यह पर्याप्त है। दत्तक पिता अविवाहित पुत्री की बैंक, बीमा या अन्य चल अचल संपत्ति का उत्तराधिकारी नहीं हो सकता।
CG High Court Latest News: रायगढ़ जिला के पुसौर निवासी खितिभूषण पटेल के छोटे भाई पंचराम पटेल जो कि पुलिस विभाग में कांस्टेबल के पद में कार्यरत था, उसकी शादी 1987 को फुलकुमारी पटेल के साथ हुई थी। इससे एक पुत्री कुमारी ज्योति पटेल का जन्म हुआ। 7 मई 1993 को पत्नी फुलकुमारी ससुराल छोड़कर चली गई। पुत्री ज्योति अपने दादा कमलधर के साथ रहती थी। 26 जून 1999 को सेवाकाल के दौरान पंचराम पटेल की मृत्यु हो गई। इसके बाद दादा कमलधर पटेल का भी निधन हो गया। इसके बाद पंचराम के बड़ा भाई अपीलकर्ता खितिभूषण ने ज्योति पटेल को पुत्री के रूप में विधिवत गोद लिया एवं अपने साथ रख भरण पोषण, शिक्षा व पूरा लालनपालन किया। इसके बाद ज्योति पटेल को पुलिस विभाग में अनुकंपा नियुक्ति मिली। दुर्भाग्यवश 17 सितंबर 2014 को अविवाहित अवस्था में ज्योति की मृत्यु हो गई। मृतक दत्तक पुत्री के सभी बैंक, बीमा पॉलिसी एवं अन्य दस्तावेज में दत्तक पिता ही नामनी है। बेटी की मौत के बाद उसके खाते में जमा राशि प्राप्त करने दत्तक पिता ने सिविल न्यायालय में आवेदन पेश किया था। आवेदन निरस्त होने के खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट में अपील पेश की थी।
मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा, नामित व्यक्ति को बीमा कंपनी द्बारा जारी पॉलिसी के तहत राशि या बैंक में बचत खाते या सावधि जमा रसीद में जमा राशि प्राप्त करने का हकदार है, लेकिन उनका वितरण उनके उत्तराधिकार कानून के अनुसार होगा। चूंकि पक्षकार हिदू हैं, इसलिए मृतक की संपत्ति का वितरण हिदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 के तहत होगा और मृतक महिला है, इसलिए उसकी संपत्ति अधिनियम 1956 की धारा 15 और 16 के अनुसार वितरित की जाएगी। अधिनियम की धारा 15 की श्रेणी सी में आने के कारण उपधारा (1) में निर्दिष्ट कानूनी उत्तराधिकारी, मां बीमा कंपनी या बैंक या नियोक्ता यानी पुलिस विभाग के पास जमा संपत्ति का उत्तराधिकार प्राप्त करने की हकदार होगी। यहां यह उल्लेख करना उचित है कि मृतक अविवाहित महिला है और मृतक के पिता की भी मृत्यु हो गई है, इसलिए उत्तराधिकार प्रदान करने के लिए दायर आवेदनों में शामिल संपत्तियों का उत्तराधिकार पाने के लिए मां ही एकमात्र कानूनी उत्तराधिकारी है। इसके साथ हाईकोर्ट ने दत्तक पिता द्बारा सिविल न्यायालय से परित आदेश के खिलाफ पेश अपील को खारिज किया है।

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