Siyasi Kisse: मात्र 250 रुपए के चलते मुख्यमंत्री ने गवां दी सीएम की कुर्सी, माने जाते थे इंदिरा के चाणक्य, छत्तीसगढ़ की इस सीट से लड़े थे चुनाव, जानिए क्या हुआ था?
मात्र 250 रुपए के चलते मुख्यमंत्री ने गवां दी सीएम की कुर्सी, माने जाते थे इंदिरा के चाणक्य! DP Mishara Lost CM Seat
रायपुर: DP Mishara Lost CM Seat छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश सहित पांचों राज्यों में चुनावी बिसात बिछ चुकी है। जहां एक ओर निर्वाचन आयोग ने पांचों राज्यों में आचार संहिता लागू करने के साथ ही साथ चुनावी तारीखों का ऐलान कर दिया है तो राजनीतिक दलों ने भी अपनी तैयारी लगभग पूरी कर चुकी है। भाजपा ने तो कल अपनी पांच सीटों को छोड़कर लगभग सभी सीटों के उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर चुकी है। लेकिन चुनावी साल में कुछ ऐसे किस्से भी सदियों पहले हुईं थी, जिसमें से एक किस्सा उस नेता का है जिन्हें मात्र 249 रुपए 72 पैसे के लिए मुख्यमंत्री पद की कुर्सी छोड़नी पड़ी थी। तो चलिए जानते हैं कि क्या है ये किस्सा?
DP Mishara Lost CM Seat दरअसल ये किस्सा उस नेता की जो इंदिरा गांधी के करीबी माने जाते थे, या यूं कहा जाए तो उन्हें इदिरा गांधी को चाणक्य कहे जाते थे। उन्होंने 1963 में अविभाजित मध्यप्रदेश के (वर्तमान में छत्तीसगढ़ में) कसडोल विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था। लेकिन महज 249 रुपए 72 पैसे के चलते उनके राजनीतिक जीवन को बदलकर रख दिया। इस किस्से का जिक्र वासुदेव चंद्राकर की जीवनी नाम की किताब में है, जिसके लेखक रामप्यारा पारकर, अगासदिया और डॉ परदेशीराम वर्मा हैं।
दरअसल, मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री गोविंद नारायण सिंह के इस्तीफे के बाद नरेशचंद सिंह ने नए सीएम के तौर पर शपथ ली। लेकिन मात्र 13 दिनों बाद उन्हें भी इस्तीफा देना पड़ा। नरेशचंद्र सिंह मध्यप्रदेश के पहले आदिवासी मुख्यमंत्री थे। वहीं, नरेशचंद्र सिंह के इस्तीफे के बाद सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा होने लगी कि कसडोल विधानसभा से जीतकर आए द्वारका प्रसाद मिश्र को सीएम बनाया जा रहा है। उस दौर में द्वारका प्रसाद मिश्र के पास विधायकों को पूरा समर्थन भी थे, जिसके चलते चर्चा भी जोरों पर थी।
द्वारका प्रसाद मिश्र के सीएम बनने के बाद सियासी गलियरों में ऐसी घटना घटी जिसने पूरा समीकरण ही बदलकर रख दिया। कमलनारायण शर्मा ने द्वारका प्रसाद मिश्र के चुनावी खर्च को लेकर हाईकोर्ट में एक याचिका लगाई थी, जिस पर फैसला आ गया। फैसला द्वारका प्रसाद मिश्र के खिलाफ में आया। कोर्ट ने ये पाया कि कसडोल उपचुनाव में द्वारका प्रसाद मिश्र ने चुनावी खर्च की तय सीमा से 249 रुपए 72 पैसे अधिक खर्च किया है। इसका नतीजा ये हुआ कि इस चुनाव को अवैध घोषित कर दिया गया। साथ ही जबलपुर हाई कोर्ट ने इस मामले के सामने आने के बाद डीपी मिश्र को 6 साल के लिए चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित कर दिया। बता दें कि द्वारका प्रसाद मिश्र 30.09.1963 से 08.03.1967 तक मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे।
दरअसल, कसडोल उपचुनाव में डीपी मिश्र के चुनाव एजेंट श्यामचरण शुक्ल थे। डीपी मिश्र चुनाव जीत गए तो उनकी टीम से चुनाव पर किए जाने वाले खर्चों के बिल कहीं खो गए। बाद में कमलनारायण शर्मा ने इस जीत के खिलाफ याचिका दायर की और शर्मा को कहीं से 6300 रुपए का एक बिल मिल गया, जिस पर डीपी मिश्र के चुनाव एजेंट श्यामचरण शुक्ल के हस्ताक्षर थे।
यहीं से इस चुनाव का पूरा गणित ही बदल गया। कहा ये भी जाता है कि श्यामचरण शुक्ल ने डीपी मिश्र को धोखा दिया था और अहम दस्तावेज कमलनारायण शर्मा को उपलब्ध करवाए थे। इसके बाद मई 1963 में कसडोल उपचुनाव को निरस्त कर दिया गया, क्योंकि ये पाया गया कि डीपी मिश्र ने चुनाव के लिए निर्धारित रकम से 249 रुपए और 72 पैसे ज्यादा खर्च किए थे।

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