Chunavi Chaupal in Dantewada : कभी भाई-बहन, तो कभी चाची-भतीजा आए आमने-सामने, बेहद रोचक है इस विधानसभा का चुनावी मुकाबला, 2023 में क्या फिर रिपीट होगा ये किस्सा?
कभी भाई-बहन, तो कभी चाची-भतीजा आए आमने-सामने, रोचक है चुनावी मुकाबला : Chunavi Chaupal in Dantewada Vidhan Sabha, Dantewada ka Itihas
Chunavi Chaupal in Dantewada Vidhan Sabha
Chunavi Chaupal in Dantewada साल 2023 मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के लिए बेहद ही खास रहने वाला है। इस साल दोनों राज्यों में विधानसभा चुनाव होने को है। दोनों राज्यों के राजनीतिक पार्टियों ने इन दोनों राज्यों में चुनावी तैयारियों में जुट गई है। जनता को रिझाने की कोशिश राजनीतिक पार्टियां कर रही है। स्थानीय विधायक के काम और क्षेत्र के विकास और मुद्दे भी किसी सीट के परिणाम पर खास असर डालती है। ऐसे में जनता का नब्ज टटोलने आज हम पहुंचे हैं छत्तीसगढ़ नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा जिले में…
Chunavi Chaupal in Dantewada छत्तीसगढ़ का दंतेवाड़ा देश के सर्वाधिक नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में से एक है। यहां आए दिन नक्सली आम जनता और सुरक्षाबलों को घेरते रहते हैं। दंतेवाड़ा पहले बस्तर जिले में ही आता था, लेकिन 1998 में ये अलग जिला बना। 2011 की जनगणना के अनुसार, दंतेवाड़ा राज्य की तीसरा सर्वाधिक जनसंख्या वाला जिला है। इस शहर का नाम इस क्षेत्र की आराध्य देवी मां दंतेश्वरी के नाम से पड़ा।
छत्तीसगढ़ का दंतेवाड़ा जिले में एक केवल दंतेवाड़ा विधानसभा सीट ही आती है। यह अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगों के लिए आरक्षित है। पिछले आंकड़ों के मुताबिक यहां की कुल मतदाताओं की संख्या एक लाख 81 हजार है। जातिगत समीकरणों की बात करें तो दंतेवाड़ा जिला आदिवासी बाहूल्य इलाका है। यहां के अंदरूनी इलाके में कई तरह की आदिवासी जातियां निवास करती है।
महेंद्र कर्मा लड़ते थे चुनाव
इस सीट को प्रदेश को वीवीआईपी सीट मानी जाती रही है, क्योंकि यहां पर महेंद्र कर्मा चुनाव लड़ते रहे हैं। इन्हें बस्तर का शेर कहा जाता है। वह 2004 से 2008 तक छत्तीसगढ़ विधानसभा में विपक्ष के नेता थे। 2005 में, उन्होंने छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ सलवा जुडूम आंदोलन के आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी । वह राज्य गठन के बाद से अजीत जोगी सरकार कैबिनेट में उद्योग और वाणिज्य मंत्री थे।सुकमा में कांग्रेस द्वारा आयोजित परिव्रतन रैली से लौटते समय नक्सलियों ने 25 मई 2013 को नक्सली हमले में उनकी हत्या कर दी गई थी।
2019 में हुआ था उपचुनाव
भीमा मंडावी के विधायक बने कुछ ही महीनों बीते थे। इसी दौरान एक बार फिर यहां बड़ा नक्सली हमला हो गया। इस बार नक्सली हमला सुरक्षाबलों पर नहीं बल्कि स्थानीय विधायक भीमा मंडावी पर हुआ था। दंतेवाड़ा विधायक भीमा मंडावी पर नक्सलियों ने 9 अप्रैल 2019 को श्यामागिरी गांव के पास हमला किया था। आईईडी धमाके से मंडावी का बुलेटप्रुफ वाहन उड़ा दिया गया था। बाद में घात लगाकर बैठे नक्सलियों ने अंधाधुंध गोलीबारी की थी। इस हमले में विधायक भीमा मंडावी, उनका ड्राइवर और तीन सुरक्षाकर्मी मारे गए। इसके बाद से ये सीट खाली थी। इस पर उपचुनाव में बीजेपी ने भीमा मंडावी की पत्नी ओजस्वी मंडावी और कांग्रेस ने देवती कर्मा को प्रत्याशी बनाया और जनता ने उनपर भरोसा जताया। उपचुनाव के परिणाम में देवती कर्मा को 11192 वोटों से बड़ी जीत मिली।
2018 में भाजपा ने जीती थी इकलौती सीट
2018 में कांग्रेस की लहर होने के बाद भी भाजपा ने इस सीट को बचाने में कामयाबी हासिल की थी। दंतेवाड़ा विधानसभा सीट बस्तर संभाग की एक ऐसी इकलौती सीट थी, जिस पर भाजपा ने अपना परचम लहराया था। 2018 में यहां बीजेपी के भीमा मांडवी और कांग्रेस के देवती कर्मा के बीच मुकाबला था। भीमा मांडवी ने कांग्रेस के देवती कर्मा को करीब 22 सौ वोटों से हराते हुए जीत हासिल कर ली।
2013 विधानसभा चुनाव, एसटी सीट
देवती वर्मा, कांग्रेस, कुल वोट मिले 41417
भीमाराम मांडवी, बीजेपी, कुल वोट मिले 35430
2008 विधानसभा चुनाव, एसटी सीट
भीमाराम मांडवी, बीजेपी, कुल वोट मिले 36813
मनीष कुंजम, सीपीआई, 24805
2003 विधानसभा चुनाव, एसटी सीट
महेंद्र कर्मा, कांग्रेस, कुल वोट मिले 24572
नंदा राम सोरी, सीपीआई, कुल वोट मिले 19637
सभी उम्मीदवारों की आपस में थी रिश्तेदारी
Chunavi Chaupal in Dantewada इस सीट का पुराना इतिहास रहा है कि यहां से चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार आपस में रिश्तेदार रहे हैं। यहां रिश्तेदारों के बीच चुनावी प्रतिद्वंदिता का चलन पुराना रहा है। सभी उम्मीदवार एक ही जनजातीय समूह से रहे और सभी के बीच कुछ न कुछ रिश्तेदारी है। 2018 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो भाजपा उम्मीदवार भीमा मंडावी कांग्रेस उम्मीदवार देवती कर्मा के बहनोई थे। वहीं सीपीआई उम्मीदवार रहे नंदाराम सोरी व देवती आपस में भाई-बहन हैं। आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार रहे बल्लू भवानी देवती को चाची बोलते हैं। निर्दलीय चुनाव लड़ी जया कश्यप रिश्ते में देवती की भतीजी हैं। दूसरी तरफ बसपा उम्मीदवार रहे केशव नेताम और सुदरू कुंजाम का आप उम्मीदवार बल्लू से मामा-भांजा का रिश्ता है।
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इस बार क्या कहती है जनता
Chunavi Chaupal in Dantewada आदिवासी और नक्सल प्रभावित जिला होने के कारण यहां आज भी लोगों को बुनियादी सुविधाओं के लिए जुझना पड़ता है। कई ऐसे इलाके हैं, जहां आज भी बिजली पानी और सड़कों का अभाव है। हालांकि शहरी मतदाताओं को थोड़ी-बहूत सुविधाओं में काम चलाना पड़ता है। दंतेवाड़ा के स्थानीय युवा ने कहा कि सरकार ने चुनाव के समय 36 वादें किए थे, लेकिन अभी तक एक भी पूरा नहीं हो पाया है। स्थानीय लेवल पर विकास का काम नहीं हुआ है। सड़कों का बुरा हाल है, बचेली किरंदुल सड़क बदहाल है। राहगीरों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
विधायक के प्रदर्शन को लेकर एक स्थानीय युवा मतदाता ने कहा कि जिस उम्मीद के साथ यहां की जनता ने विधायक को चुना था, उसके मुताबिक काम नहीं हुआ है। कुल मिलाकर यहां की जनता विधायक और सरकार से खुश नहीं है। रोजगार के सवाल पर एक युवक ने कहा कि बड़ी-बड़ी खदाने होने के बाद भी यहां के युवाओं को रोजगार नहीं मिल पा रहा है। दूसरे राज्यों के लोगों को यहां पर काम में लगाया जा रहा है। इस वजह से यहां के युवा अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।

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