CM Bhupesh will inaugurate Sarangarh-Bilaigarh district on September 3

तीन सितंबर को छत्तीसगढ़ को मिलेगा 30 वां जिला, सीएम भूपेश नवगठित सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले का करेंगे शुभारंभ

तीन सितंबर को छत्तीसगढ़ को मिलेगा 30 वां जिला : CM Bhupesh will inaugurate Sarangarh-Bilaigarh district on September 3

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:26 PM IST, Published Date : September 1, 2022/5:54 pm IST

रायपुरः CM Bhupesh will inaugurate Sarangarh-Bilaigarh  छत्तीसगढ़ बनने के बाद से ही रायगढ़ जिला में शामिल सारंगढ़ क्षेत्र और समीप के क्षेत्र के निवासियों की बरसों से मांग थी कि रायगढ़ से अलग होकर सारंगढ़ एक नया जिला बने। 3 सितम्बर को भूपेश बघेल सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिला का शुभारम्भ कर वहां के निवासियों के सपने को साकार करेंगे। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 15 अगस्त 2021 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर नये सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले के गठन की घोषणा की थी।

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CM Bhupesh will inaugurate Sarangarh-Bilaigarh  सारंगढ़-बिलाईगढ़ के नया जिला बन जाने से शासन-प्रशासन की लोगों तक पहुंच और मजबूत होगी जिससे इन क्षेत्रों में विकास कार्यों को तीव्र गति मिलेगी। जिला मुख्यालय सारंगढ़ रायगढ़ से रायपुर मुख्य मार्ग सारंगढ़ राष्ट्रीय राज्य मार्ग क्रमांक 200 पर स्थित है। यहां रियासत कालीन समय से हवाई पट्टी स्थित है। जिला मुख्यालय सारंगढ़ छत्तीसगढ़ गठन के पूर्व से तहसील मुख्यालय एवं अनुविभागीय अधिकारी राजस्व मुख्यालय के रूप में है।

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ज्ञात हो कि बिलासपुर संभाग के अंतर्गत आने वाला जिला रायगढ़ के उप खण्ड सारंगढ़, तहसील सारंगढ़ एवं बरमकेला तथा जिला बलौदाबाजार-भाटापारा के उप खण्ड-बिलाईगढ़ तथा तहसील बिलाईगढ़ को समाविष्ट करते हुए नवीन जिला सारंगढ़-बिलाईगढ़ का गठन किया गया है। नवगठित जिलेे की सीमायें उत्तर में रायगढ़ जिला दक्षिण में महासमुंद जिला, पूर्व में उड़ीसा का बरगढ़ जिला और पश्चिम में बलौदा बाजार तथा उत्तर-पश्चिम में जांजगीर-चाम्पा जिले से लगी हुयी है। जिसमें तीन तहसील सारंगढ़, बरमकेला एवं बिलाईगढ़ एवं उप तहसील कोसीर तथा भटगांव शामिल होंगे। नवगठित जिले में तीन जनपद पंचायत सारंगढ़, बरमकेला व बिलाईगढ़ शामिल हो रहे है।

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वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार यहां की कुल जनसंख्या 6 लाख 17 हजार 252 है। 759 ग्राम, 349 ग्राम पंचायत, 5 नगरीय निकाय, 601 कोटवार एवं 720 पटेलों की संख्या है। जिसके अंतर्गत 20 राजस्व निरीक्षक मंडल शामिल है जिनमें सारंगढ़, हरदी, सालर, कोसीर, छिंद, गोड़म, उलखर, बरमकेला, गोबरसिंघा, देवगांव, डोंगरीपाली, सरिया, बिलाईगढ़, पवनी, गोविंदवन, जमगहन, भटगांव, गिरसा, बिलासपुर एवं सरसीवा शामिल है। जिसका कुल राजस्व क्षेत्रफल 01 लाख 65 हजार 14 है एवं 2518 राजस्व प्रकरण की संख्या है। वर्तमान में नवीन जिला सारंगढ़-बिलाईगढ़ में 1406 स्कूल, 7 कालेज, 33 बैंक, 3 परियोजना, 141 स्वास्थ्य केन्द्र, 10 थाना एवं 2 चौकी स्थापित है।

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नवगठित जिले में रामनामी समुदाय के लोग बड़ी संख्या में निवास करते हैं। ये अपना पूरा जीवन राम के नाम पर समर्पित कर देते है। इनकी विशेषता है कि ये अपने पूरे शरीर पर राम नाम का गोदना करवाते है। महानदी सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले की मुख्य नदी है। वहीं जिले के सारंगढ़- तहसील में स्थित गोमर्डा अभ्यारण्य सैलानियों को सहज ही अपनी ओर आकर्षित कर लेता है।

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दशहरा उत्सव के लिए प्रसिद्ध है सारंगढ़

सारंगढ़ रियासत में तत्कालीन राजा जवाहिर सिंह के कार्यकाल में लगभग शताधिक वर्ष पूर्व से सारंगढ़ का दशहरा-उत्सव बस्तर-दशहरा की भांति बहुत प्रसिद्व है। जिसमें रावण दहन के अतिरिक्त मिट्टी के गढ़ में आम नागरिकों के मध्य सार्वजनिक स्थल खुले मैदान में शौर्य का प्रदर्शन किया जाता था। नवयुवक इस शौर्य प्रदर्शन में बड़े उत्साह से बड़ी संख्या में भाग लेते थे। गढ़ को मिट्टी और गोबर के लेप से एकदम चिकना कर दिया जाता था। गढ़ का ऊपरी हिस्से को राजमहल के गढ़ की तरह रूप देकर सुसज्जित किया जाता था। जो मूलतरू मिटटी का होता था। प्रतिभागी कांटानुमा लोहे के पंजा को उस गढऩुमा टीले में गड़ा देता था और गीली मिटटी के कारण फिसलते-सम्हलते चढ़ता था। गढ़ के ऊपर कुछ व्यक्ति पहले से चढ़े रहते थे जो डंडे से किले के ऊपर चढऩे वाले को प्रहार करते थे किन्तु सबसे पहले पहुंचकर जो युवक ऊपर चढ़कर मिटटी के बने गढ़ को तोड़ देता था। उसे राजा साहब नकद राशि और शील्ड देकर पुरस्कृत करते थे। कहा जाता है कि सारंगढ़ रियासत में ऐसे विजयी बहादुर को सेना में भर्ती किया जाता था। इसके पश्चात ही रावण दहन का कार्य सम्पन्न होता था। यह परम्परा आज भी प्रचलित है।