Congress has changed in-charge of Chhattisgarh ahead of 2023 elections

शैलजा को नया प्रभार.. बयानों से वार-पलटवार! 2023 विधानसभा चुनाव से क्यों बदले गए प्रदेश प्रभारी और बदलाव के पीछे कांग्रेस की क्या है रणनीति?

शैलजा को नया प्रभार.. बयानों से वार-पलटवार! Congress has changed in-charge of Chhattisgarh ahead of 2023 elections

Edited By :   Modified Date:  December 7, 2022 / 12:12 AM IST, Published Date : December 7, 2022/12:12 am IST

राजेश राज/रायपुरः Congress has changed in-charge of Chhattisgarh 2023 विधानसभा चुनाव से ठीक एक साल पहले कांग्रेस ने बड़ा फेरबदल करते हुए छत्तीसगढ़ के प्रभारी को बदल दिया है। करीब पांच सालों तक इस जिम्मेदारी को निभा रहे पीएल पुनिया की जगह केंद्रीय नेतृत्व ने कुमारी शैलजा को नया प्रभारी बनाया है। हालांकि, इस बदलाव पर बीजेपी निशाना साध रही है कि सत्ता-संगठन में भ्रष्टाचार और गहरे अंतर्कलह के चलते बदलाव हुआ है। जबकि कांग्रेस सामान्य घटना बता रही है। इसी वक्त क्यों बदले गए प्रदेश प्रभारी और बदलाव के पीछे कांग्रेस की क्या है रणनीति?

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Congress has changed in-charge of Chhattisgarh : 2018 में कांग्रेस की जीत के शिल्पकारों में शामिल रहे पीएल पुनिया को हटाकर कांग्रेस ने कुमारी शैलजा को छत्तीसगढ़ प्रभारी क्या बनाया। राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का नया दौर शुरु हो गया। बीजेपी नेता पुनिया की विदाई के अलग-अलग मायने निकाल रहे हैं तो सीएम भूपेश बघेल समेत पूरी कांग्रेस ने शैलजा का स्वागत किया। खुद शैलजा भी प्रभार मिलने के बाद उत्साहित हैं।

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इधर चुनाव से एक साल पहले कांग्रेस में बदलाव पर बीजेपी बयानों के तीर चला रही है..बीजेपी का दावा है कि सत्ता-संगठन में भ्रष्टाचार और गहरे अंतर्कलह के चलते पुनिया की विदाई हुई। खुद बदलाव के दौर से गुजर रही बीजेपी ने जब कांग्रेस में हुए बदलाव पर सवाल उठाए तो कांग्रेस नेताओँ ने सामान्य बदलाव बताया और बीजेपी के आरोपों पर तीखा पलटवार किया।

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आरोप प्रत्यारोप से अलग, कुमारी शैलजा की नियुक्ति कांग्रेस की नई रणनीति की ओर इशारा कर रही है. क्योंकि पीएल पुनिया के रहते संगठन में कसावट खोने लगी थी। राजनीतिक जानकार ये तक मानते हैं कि कई मौके पर सत्ता और संगठन को उनके चलते असहज स्थिति का सामना करना पड़ा। कुमारी शैलजा सोनिया गांधी की बेहद करीबी हैं और युवाओं में खासा लोकप्रिय है। इस नाते, उन पर प्रदेश संगठन में कसावट लाने के साथ साथ सत्ता- संगठन के बीच तालमेल को और बेहतर कराने की जिम्मेदारी भी पूरी करनी होगी और यही, उनकी चुनौती भी होगी।

 
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