Dhamtari Ganesh Temple: गढ़डोंगरी का स्वयंभू गणेश मंदिर, जहां गणपति बप्पा के दरबार में होता है ऐसा चमत्कार, जिसे देख हर कोई रह जाता है हैरान

Dhamtari Ganesh Temple: गढ़डोंगरी का स्वयंभू गणेश मंदिर, जहां गणपति बप्पा के दरबार में होता है ऐसा चमत्कार, जिसे देख हर कोई रह जाता है हैरान

Dhamtari Ganesh Temple: गढ़डोंगरी का स्वयंभू गणेश मंदिर, जहां गणपति बप्पा के दरबार में होता है ऐसा चमत्कार, जिसे देख हर कोई रह जाता है हैरान

Dhamtari Ganesh Temple/Image Source: IBC24

Modified Date: August 26, 2025 / 06:31 pm IST
Published Date: August 26, 2025 6:31 pm IST
HIGHLIGHTS
  • गढ़डोंगरी का गणेश धाम,
  • आस्था, चमत्कार और प्रकृति का अद्भुत संगम,
  • 1600 साल पुरानी गणेश प्रतिमा,

धमतरी: Dhamtari News: गणेश चतुर्थी का पर्व भक्ति और उल्लास का सबसे बड़ा महापर्व जहां हर गली, हर चौक ‘गणपति बप्पा मोरया’ के जयकारों से गूंज रहा है। इसी कड़ी में धमतरी जिले का गढ़डोंगरी गांव भी किसी तीर्थ से कम नहीं यहां विराजमान हैं भगवान गणेश की स्वयंभू चतुर्भुज प्रतिमा, जिसकी आस्था और चमत्कारों की कहानियां भक्तों को आज भी विस्मित कर देती हैं।Dhamtari Ganesh Temple

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Dhamtari Ganesh Temple: धमतरी जिले के नगरी ब्लॉक मुख्यालय से 18 किलोमीटर दूर गढ़डोंगरी गांव जहां गणेश चतुर्थी का पर्व विशेष आस्था और परंपरा के साथ मनाया जाता है। यहां विराजमान गणेश जी की प्रतिमा को 16वीं सदी की मानी जाती है। हर साल गणेश चतुर्थी पर यहां ज्योत जलाई जाती है और भक्तगण दूर-दूर से दर्शन के लिए पहुंचते हैं। लेकिन गढ़डोंगरी का सबसे चमत्कारिक नज़ारा है रात की आरती जब मंदिर की घंटियां गूंजती हैं और ‘गणपति बप्पा मोरया’ के जयकारे उठते हैं तो दो जंगली भालू भी मंदिर पहुंचते हैं। हैरत की बात यह है कि ये भालू कभी भी किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते, बल्कि प्रसाद ग्रहण कर शांति से अपनी गुफा लौट जाते हैं।

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Dhamtari Ganesh Temple: मान्यता है कि यहां की प्रतिमा 1600वीं सदी में जंगल में शिकार करने गए क्षेत्र के मालगुजार ठाकुर वनसिंह को मिली थी। जब वे एक पत्थर से टकराकर घायल हुए तो सपने में गणेश जी ने कहा कि इस पत्थर में मेरा वास है। तभी से यह प्रतिमा पूजित हो रही है। प्रतिमा के पास ही एक आम का पेड़ है, जिसके नीचे बने बिल में सांप और मेंढक साथ रहते हैं, लेकिन कभी एक-दूसरे को नुकसान नहीं पहुंचाते। इसे भी लोग बप्पा की कृपा मानते हैं। मंदिर के पास बहने वाली जलधारा सीधे गणेश जी के चरणों से गुजरकर कुंड में गिरती है। इस जल को भक्त गंगाजल मानकर अपने घर ले जाते हैं। शुरुआत में गणेश जी पेड़ के नीचे विराजमान थे और श्रद्धालु एक छोटे से झोपड़ीनुमा बरामदे से पूजा करते थे।

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Dhamtari Ganesh Temple: वर्ष 1991 में ग्रामीणों और समिति ने मिलकर मंदिर का वर्तमान स्वरूप बनवाया। आज यहां सामुदायिक भवन और ज्योति कक्षा भी निर्मित हो चुकी है। गढ़डोंगरी सिर्फ एक मंदिर नहीं, बल्कि आस्था और प्रकृति का अद्भुत संगम है जहां बप्पा की भक्ति में सिर्फ इंसान ही नहीं, बल्कि जंगली जीव भी शामिल होते हैं। यही वजह है कि गणेश चतुर्थी पर गढ़डोंगरी गांव पूरे छत्तीसगढ़ में भक्ति और चमत्कार का अनोखा धाम बन जाता है।


सामान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्नः

लेखक के बारे में

टिकेश वर्मा- जमीनी पत्रकारिता का भरोसेमंद चेहरा... टिकेश वर्मा यानी अनुभवी और समर्पित पत्रकार.. जिनके पास मीडिया इंडस्ट्री में 12 वर्षों से अधिक का व्यापक अनुभव हैं। राजनीति, जनसरोकार और आम लोगों से जुड़े मुद्दों पर बेबाकी से सरकार से सवाल पूछता हूं। पेशेवर पत्रकारिता के अलावा फिल्में देखना, क्रिकेट खेलना और किताबें पढ़ना मुझे बेहद पसंद है। सादा जीवन, उच्च विचार के मानकों पर खरा उतरते हुए अब आपकी बात प्राथिकता के साथ रखेंगे.. क्योंकि सवाल आपका है।