Politics On Ayodhya : राम पर सबका ध्यान | ये है ‘चुनावी संधान’! 24 के रण का केंद्र बिंदु होंगे राम
Politics On Ayodhya : 22 तारीख सामने है और अपने अयोध्या धाम में सदियों के इंतज़ार के बाद भगवान श्रीराम आ रहे हैं। कांग्रेस बार-बार दलील दे
Politics On Ayodhya
रायपुर/भोपाल : Politics On Ayodhya : 22 तारीख सामने है और अपने अयोध्या धाम में सदियों के इंतज़ार के बाद भगवान श्रीराम आ रहे हैं। कांग्रेस बार-बार दलील दे रही कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश और देशभर के रामभक्तों के चंदे से मंदिर बन रहा है, लेकिन बीजेपी डंके की चोट पर मंदिर निर्माण को अपने संकल्प की सिद्धि बता रही है। संकेत साफ हैं कि 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा के फौरन बाद बीजेपी लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुट जाएगी और 24 के रण का केंद्र बिंदु होंगे राम और निशाने पर रहेगी विपक्षी गठबंधन की सबसे प्रमुख पार्टी कांग्रेस।
Politics On Ayodhya : अयोध्या में होने वाले भव्य आयोजन ने पूरे देश का माहौल राममय बना दिया है। बीजेपी कोई मौका चूकने के मूड में नहीं है। शहर-शहर, गांव-मोहल्लों में तरह-तरह के भक्तिमय आयोजन हो रहे हैं। दूसरी ओर, कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व ने अयोध्या जाने का निमंत्रण ठुकरा दिया है, लेकिन अपने नेताओं के निजी तौर पर जाने-ना जाने पर मुहर भी लगा दी है। ऐसे में कांग्रेस नेता भी बहती गंगा में हाथ धोकर खुद को हिंदूविरोधी तमगे से बचाने में जुटे हैं।
लेकिन, बीजेपी तू डाल-डाल, मैं पात-पात की रणनीति अपना रही है। अयोध्या की तर्ज पर मध्यप्रदेश के चित्रकूट को विकसित करने और राम वन गमन पथ निर्माण को लेकर 16 साल से ठंडे बस्ते में पड़ी योजना को आगे लाया जा रहा है। मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव इसे लेकर चित्रकूट में पहली बैठक भी कर चुके हैं और फिर कैबिनेट बैठक से पहले इसकी रूपरेखा भी रख दी है।
Politics On Ayodhya : माहौल ऐसा है कि राम और राजनीति एक-दूसरे से इस तरह से जुड़ चुके हैं कि दोनों को अलग करके देखना असंभव हो चला है और यही कांग्रेस का डर है, जिसके बारे में छत्तीसगढ़ के कांग्रेस प्रभारी अपने पहले दौरे में ही बोल चुके हैं कि बीजेपी अपने कार्यों के रिपोर्ट कार्ड पर चुनाव लड़ कर देख ले, हर बार भावनात्मक मुद्दे पर ही वो चुनाव लड़ती है। दूसरी ओर, बीजेपी श्रीराम के नाम पर देश भर में बन रहे माहौल से बम-बम होकर कह रही है कि अबकी बार…चार सौ पार…ऐसे में जनता को तय करना है कि किसकी चुनावी नैया लगेगी पार और कौन डूबेगा बीच मझधार।

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