शह मात The Big Debate: इमरजेंसी पर संग्राम जोरदार..बयान..प्रदर्शन..धुआंधार, क्या इमरजेंसी के 50 साल बाद सियासत में कुछ बदल पाया? देखिए पूरी रिपोर्ट

CG Politics: इमरजेंसी पर संग्राम जोरदार..बयान..प्रदर्शन..धुआंधार, क्या इमरजेंसी के 50 साल बाद सियासत में कुछ बदल पाया? देखिए पूरी रिपोर्ट

शह मात The Big Debate: इमरजेंसी पर संग्राम जोरदार..बयान..प्रदर्शन..धुआंधार, क्या इमरजेंसी के 50 साल बाद सियासत में कुछ बदल पाया? देखिए पूरी रिपोर्ट

CG Politics | Photo Credit: IBC24

Modified Date: June 25, 2025 / 10:32 pm IST
Published Date: June 25, 2025 10:32 pm IST
HIGHLIGHTS
  • बीजेपी ने मीसाबंदियों को किया सम्मानित
  • आपातकाल को लोकतंत्र पर हमला बताया
  • कांग्रेस ने संविधान की रक्षा का दावा किया

रायपुर: CG Politics पूरे देश के साथ-साथ छत्तीसगढ़-मध्यप्रदेश में भी आपातकाल पर चारों ओर शोर, सवाल, आरोप, प्रदर्शन वाली सियासत नजर आई है। छत्तीसगढ़ में बयानों और आरोपों के पहाड़ खड़े कर पक्ष और विपक्ष ने एक दूसरे को धराशाई करने की कोशिश की। तो मध्यप्रदेश में इमरजेंसी के बहाने बाबा साहेब की प्रतिमा की चिंता कांग्रेस को इतनी सताने लगी कि उसने उपवास और सत्याग्रह छेड़ दिया। लेकिन दूसरी ओर कांग्रेस के एक विधायक आपातकाल फिर लगाने की धमकी देकर खुद कांग्रेस की बोलती बंद कर गए। कुल मिलाकर इमरजेंसी की बरसी पर दोनों पक्षों ने धुआंधार पॉलिटिक्स का एक भी मौका नहीं छोड़ा है। सवाल ये कि कौन किस पर भारी पड़ा, किसने ज्यादा शोर मचाया?

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25 जून 1975 में देश में लगाई गई इमरजेंसी को देश के इतिहास का काला अध्याय, कांग्रेस का कलंक और लोकतंत्र की हत्या बताते हुए। बीजेपी ने देशभर में इसे लोकतंत्र हत्या दिवस के तौर पर मनाया, इस बार आपातकाल की 50वीं बरसी पर बीजेपी नेताओं ने जिलास्तर पर प्रेस-कॉन्फ्रेंस कर आपातकाल के दौर की त्रासदी को याद किया, मीसाबंदियों का सम्मान किया और उनसे बात कर उस दौर में जनता के पर क्या बीती, आम लोगों तक पहुंचाई। छत्तीसगढ़ में सत्तासीन बीजेपी ने आपातकाल को देश का थोपा हुआ, लोकतंत्र का धब्बा बताया और कांग्रेस के DNA में आपातकाल कहकर जमकर कोसा। तो कांग्रेस ने दबी जुबान में ये तो स्वीकार किया कि ये इतिहास की बड़ी चूक थी, जिसे कांग्रेस के नेताओं ने भी माना लेकिन पलटवार में ये भी कहा कि इस वक्त देश में मोदी राज के 11 साल अघोषित इमरजेंसी की तरह है। जिसपर सब मौन है।

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मध्यप्रदेश में बीजेपी मुख्यालय से लेकर जिलास्तर तक आपातकाल पर बीजेपी ने बड़े आयोजन कर इमरजेंसी के काले दौर को आज की पीढ़ी तक पहुंचाने भरसक प्रयास किया, तो मध्यप्रदेश कांग्रेस ने ‘संविधान सत्याग्रह’ छेड़कर, सवाल उठाया कि संविधान निर्माता की मूर्ति हाईकोर्ट परिसर में ना लगेगी तो कहां लगेगी। हालांकि, एक तरफ डॉ भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा लगाने को लेकर कांग्रेसी नेता मुखर विरोध की मशक्कत करते नजर आए तो दूसरी तरफ ग्वालियर से कांग्रेस विधायक सतीश सिकरवार ने मौका मिले तो कांग्रेस सत्ता में आते ही फिर एक बार आपातकाल लगाना चाहिए ये कहकर, कांग्रेस की सारी कवायद पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया। पार्टी इसमें सफाई की मुद्रा में है।

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कुल मिलाकर बीजेपी ने कोशिश की है कि आज की पीढ़ी को ये बताया जाए कि, 1975 में लगाई गई इमरजेंसी आजाद भारत के इतिहास का वो काला अध्याय है, जिसमें कांग्रेसियों को छोड़ पूरे देश ने यातानाएं झेलीं। पूरे विपक्ष को जेल और देश को ज्यादतियों की आग में झौंकने के पीछे वजह थी केवल और केवल इंदिरा गांधी की सत्ता बचाना, तो विपक्ष ने अंबेडकर प्रतिमा पर सत्याग्रह कर खुद को संविधान की रक्षक साबित करना चाहती है। सबसे बड़ा सवाल ये है कि जनता क्या सोचती है, किसके साथ है , कौन अपनी कवायद में कितना कामयाब रहा?


सामान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्नः

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IBC24 डिजिटल में कंटेंट राइटर के रूप में कार्यरत हूं, जहां मेरी जिम्मेदारी मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की राजनीति सहित प्रमुख विषयों की खबरों की कवरेज और प्रस्तुति है। वर्ष 2016 से डिजिटल पत्रकारिता में सक्रिय हूं और अब तक 8 वर्षों का अनुभव प्राप्त किया है। विभिन्न प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में कार्य करते हुए न्यूज़ राइटिंग और डिजिटल टूल्स में दक्षता हासिल की है। मेरे लिए पत्रकारिता सिर्फ पेशा नहीं, बल्कि जिम्मेदारी है—सटीक, तेज और असरदार जानकारी पाठकों तक पहुंचाना मेरा लक्ष्य है। बदलते डिजिटल दौर में खुद को लगातार अपडेट कर, कंटेंट की गुणवत्ता बेहतर करने के लिए प्रतिबद्ध हूं।