CG Politics | Photo Credit: IBC24
रायपुर: CG Politics बस्तर में नक्सल हिंसा के खिलाफ एक बड़ी लड़ाई लड़ी जा रही है। लड़ाई जिसमें सुरक्षा बलों को कई बड़ी कामयाबियां मिली हैं, लेकिन सच ये भी है कि लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है, गाहे-बगाहे नक्सली हमला कर ये जताने की कोशिश करते हैं कि वो अब भी खत्म नहीं हुए हैं। नक्सिलयों के बुलाए बस्तर बंद पर प्रदेश के गृहमंत्री विजय शर्मा एक बयान आया, जिसमें वो ये कहते हैं कि अब बंद के आह्वान का कोई असर नहीं होता। क्योंकि अब तो नक्सली खुद असरहीन, असहाय होते जा रहे हैं, लेकिन विपक्ष का दावा है कि हालिया घटना साबित करती है कि बस्तर में अब भी हालात सामान्य नहीं सवाल ये है कि क्या ऐसे वक्त एक साथ, एक सुर रहने की कसम टूट चुकी है, क्या श्रेय देने या ना देने की सियासी जंग ज्यादा जरूरी है?
CG Politics छत्तीसगढ़ समेत देश भर से 2026 के मार्च तक नक्सलियों के पूर्ण सफाए के दावे के बीच, नक्सलियों के बुलाए बंद पर जमकर सियासत हो रही है। 2024 और 2025 में, देश के गृहमंत्री अमित शाह का सतत और सीधा फोकस, केंद्र-राज्य सरकार का बेहतर तालमेल और पुलिस, DRG, और सुरक्षाबलों के बेहतरीन कोऑरडिनेशन की बदौलत एक के बाद एक कई बड़े एंटी नक्सल ऑपरेशन बेहद सफल रहे, लेकिन इसी बीच कोंटा में लैंडमाइन ब्लास्ट में एक बेहतरीन,जांबाज पुलिस अधिकारी की शहादत हुई। सत्ता पक्ष का दावा है कि, लगातार अपने लीडर्स के मारे जाने, सालों से जमे-जमाए नक्सल कैंप्स के ध्वस्त होने के बाद नक्सली बौखलाए हुए हैं। नक्सिलयों के मारे जाने के साथ-साथ सरेंडर करते मुख्य धारा में लौटते नक्सिलयों की संख्या सफलता का सुबूत है। जब सवाल उठा कि नक्सली अब भी भारत बंद के बुला रहे हैं तो गृह मंत्री विजय शर्मा ने कहा कि अब तो उनके आह्वान एक मोहल्ला भी बंद नहीं होता। वहीं, सरकार के दावे को खारिज करते हुए , विपक्ष कोंटा नक्सल अटैक को दुर्भाग्यपूर्ण और बड़ी चूक बता रहा है। पूर्व PCC चीफ के मुताबिक अभी पूरा बस्तर नक्सलमुक्त नहीं हुआ है।
नक्सलियों के बंद को लेकर सरकार के दावे और विपक्ष की आपत्ति से इतर जब इस बारे में आम लोगों से पूछा गया तो उनका क्या मानना है। कुल मिलाकर नक्सलवाद के सफाए का संकल्प और ताबड़तोड़ एक्शन की कामयाबी किसी से छिपी नहीं है। जब-जब सरकार इसे अपनी उपलब्धि बताते की कोशिश करती है। तब-तब विपक्ष पूरी ताकत से याद दिलाता है कि अभी मंजिल दूर है, सवाल है क्या नक्सलवाद के खात्में के श्रेय की सियासत, जवानों का मनोबल ना गिरे इससे भी ज्यादा जरूरी है?