Bhanupratappur News: छत्तीसगढ़ के इस गांव में पास्टर-पादरी की नो एंट्री! ग्रामीणों ने लगाया नोटिस बोर्ड, इस चीज से तंग आकर लिया बड़ा फैसला

Bhanupratappur News: छत्तीसगढ़ के इस गांव में पास्टर-पादरी की नो एंट्री! ग्रामीणों ने लगाया नोटिस बोर्ड, इस चीज से तंग आकर लिया बड़ा फैसला

  • Reported By: Akhilesh Shukla

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  • Publish Date - November 13, 2025 / 05:03 PM IST,
    Updated On - November 13, 2025 / 05:14 PM IST

Bhanupratappur News/Image Source: IBC24

HIGHLIGHTS
  • कोड़ेकुर्से में पादरी का प्रवेश हुआ प्रतिबंधित
  • धार्मिक विवाद के बाद कोड़ेकुर्से में लगाया बोर्ड
  • धर्म परिवर्तन रोकने का लिया फैसला

भानुप्रतापपुर: Bhanupratappur News:  दुर्गकोंदल ब्लॉक मुख्यालय अंतर्गत ग्राम कोड़ेकुर्से में आज ग्रामीणों ने ईसाई समुदाय के पादरी के गांव में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाते हुए बोर्ड लगाया। ग्रामीणों का कहना है कि गांव में धार्मिक परिवर्तन की गतिविधियों को रोकने के उद्देश्य से यह निर्णय लिया गया है।

पादरी का प्रवेश हुआ प्रतिबंधित (pastor entry ban)

ग्रामीणों के इस कदम से क्षेत्र में चर्चा का माहौल बन गया है। बताया जा रहा है कि यह निर्णय सामूहिक बैठक में लिया गया ताकि गांव में सामाजिक सौहार्द और परंपरागत आस्था बनी रहे। ज्ञात हो कि कुछ दिनों पहले इसी गांव में धर्मांतरित ग्रामीण के शव को दफनाने को लेकर काफी विवाद हुआ था।

धर्म परिवर्तन रोकने का लिया फैसला (religious conversion news)

Bhanupratappur News:  विवाद को देखते हुए धर्मांतरित ग्रामीण के शव का अंतिम संस्कार जिले ही नहीं, बल्कि बस्तर संभाग के बाहर किया गया। इससे पहले भी जिले की 14 ग्राम पंचायतों में ऐसे बोर्ड लगाए जा चुके हैं। अब दुर्गकोंदल के ग्राम कोड़ेकुर्से में भी ऐसा बोर्ड लगाया गया है।

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ग्राम कोड़ेकुर्से में पादरी के प्रवेश पर प्रतिबंध क्यों लगाया गया?

A1: ग्रामीणों का कहना है कि यह निर्णय धार्मिक परिवर्तन की गतिविधियों को रोकने और गांव में सामाजिक सौहार्द बनाए रखने के लिए लिया गया है।

क्या यह निर्णय पहले भी अन्य ग्राम पंचायतों में लिया गया है?

A2: हाँ, जिले की 14 ग्राम पंचायतों में पहले भी पादरी प्रवेश पर प्रतिबंध के बोर्ड लगाए जा चुके हैं।

विवादित घटना क्या थी जिसने यह निर्णय प्रेरित किया?

A3: कुछ दिन पहले धर्मांतरित ग्रामीण के शव को दफनाने को लेकर विवाद हुआ था, जिसके बाद अंतिम संस्कार जिले के बाहर बस्तर संभाग में किया गया।