इस योजना ने बदली दी ग्रामीण महिलाओं की तस्वीर, कलेक्टर ने की जमकर तारीफ…
इस योजना ने बदली दी ग्रामीण महिलाओं की तस्वीर : This scheme changed the picture of rural women, the collector praised
कोरिया । प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी नरवा, गरुवा, घुरवा और बाड़ी व गोधन न्याय योजना के तहत कोरिया जिले के गौठानों में गोबर से कम्पोस्ट खाद के साथ-साथ अन्य सामग्री का निर्माण महिला समूहों द्वारा किया जा रहा हैं। गौमूत्र से फसल कीटनाशक और जीवामृत तैयार किये जा रहे है। इसी कड़ी में महात्मा गांधी ग्रामीण औद्योगिक पार्क योजना आत्मनिर्भरता और सफलता की अब नई इबारत लिख रही है। ग्राम गौठान मझगंवा में महात्मा गांधी ग्रामीण औद्योगिक पार्क योजना के तहत युवा उद्यमिता का केंद्र बनाते हुए यहां गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाने की इकाई शुरू हो गयी है। यहां प्रगति स्व सहायता समूह की महिलाओं को प्रशिक्षित कर पेंट बनाने का कार्य दिया गया है।
15 दिनों के अंदर ही इन्होंने 800 लीटर पेंट बनाया है जिसमें से लगभग 500 लीटर पेंट का विक्रय किया गया है। इसकी कीमत लगभग 60 हजार रुपये है। इसे सी मार्ट के माध्यम से खुले बाजार में बेचने के लिए रखा जा रहा है और छत्तीसगढ़ शासन के निर्देशानुसार सभी शासकीय कार्यालयों में भी आगामी रंग रोगन के लिए भी यह उपयोग में लिया जाना है। उल्लेखनीय है कि पहले पशुधन की उपयोगिता को साकार करते हुए गोबर से वर्मी कम्पोस्ट बनाकर महिलाएं लाभान्वित हो रही थीं और अब रीपा के तहत गोबर से पेंट बनाकर घरेलू महिलाओं ने उद्यमिता का नया आयाम साकार कर दिया है। विदित हो कि इस गोबर पेंट यूनिट के द्वारा आवश्यकता अनुसार 400 से 500 लीटर पेंट भी प्रतिदिन बनाया जा सकता है। वर्तमान में समूह की महिलाएं बाजार की मांग के आधार पर प्रतिदिन औसतन 100 से 200 लीटर पेंट उत्पाद तैयार कर रही हैं।
कलेक्टर विनय कुमार लंगेह के निर्देश और सीईओ जिला पंचायत नम्रता जैन के मार्गदर्शन में महिलाओं को जयपुर राजस्थान में गोबर से पेंट बनाने का प्रशिक्षण दिलाया गया है। यहां बनने वाले उत्पाद को राष्ट्रीय स्तर का बाजार उपलब्ध कराने के लिए खादी इंडिया से जोड़ा गया है ताकि बड़े पैमाने पर उत्पाद को बाजार की उपलब्धता बनी रहे। आने वाले समय में यह कार्य कोरिया के लिए नई पहचान बनेगा। कलेक्टर लंगेह स्वयं रीपा के क्रियान्वयन की हर समयसीमा की बैठक में निगरानी एवं समीक्षा कर रहे हैं। गोबर से निर्मित प्राकृतिक पेंट में एंटी बैक्टीरियल, एंटी फंगल, पर्यावरण अनुकूल, प्राकृतिक ऊष्मा रोधक, किफायती, भारी धातु मुक्त, अविषाक्त एवं गंध रहित गुण पाये जाते हैं। गुणों को देखते हुये छत्तीसगढ़ शासन द्वारा समस्त शासकीय भवनों की रंगाई हेतु गोबर से प्रकृतिक पेंट के उपयोग के निर्देश दिये गए हैं।
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गोबर पेंट है फायदे की डील, पर्यावरण के अनुकूल और पेंट निर्माण की आजीविका से ग्रामीण महिलाओं को हो रहा लाभ एनआरएलएम बिहान के डीपीएम ने गोबर पेंट उत्पादन और विक्रय की विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि यह पेंट आमतौर पर मिलने वाले पेंट जैसा ही है। गोबर से पेंट बनाने की प्रक्रिया में पहले गोबर और पानी के मिश्रण को मशीन में डालकर अच्छी तरह से मिलाया जाता है और फिर बारीक जाली से छानकर अघुलनशील पदार्थ हटा लिया जाता है। फिर कुछ रसायनों का उपयोग करके उसे ब्लीच किया जाता है तथा स्टीम की प्रक्रिया से गुजारा जाता है। उसके बाद सी एम एस नामक पदार्थ प्राप्त होता है। इसे डिस्टेम्पर और इमल्सन के रूप में उत्पाद बनाए जा रहे हैं। रीपा गौठान मझगवां में लगी हुई पेंट यूनिट से आवश्यकतानुसार मात्रा में पेंट का अलग अलग उत्पाद लिया जा सकता है। इसकी औसत दैनिक उत्पादक क्षमता लगभग 500 लीटर है।

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