Anti Naxal Operation Chhattisgarh: जवानों के बड़े ऑपरेशन का खौफ, शांति वार्ता के लिए माओवादियों ने फिर लिखा पत्र, सरकार से की ये अपील |

Anti Naxal Operation Chhattisgarh: जवानों के बड़े ऑपरेशन का खौफ, शांति वार्ता के लिए माओवादियों ने फिर लिखा पत्र, सरकार से की ये अपील

Anti Naxal Operation Chhattisgarh: जवानों के बड़े ऑपरेशन का खौफ, शांति वार्ता के लिए माओवादियों ने फिर लिखा पत्र, सरकार से की ये अपील

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Modified Date: April 28, 2025 / 07:24 PM IST
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Published Date: April 28, 2025 7:20 pm IST
HIGHLIGHTS
  • नक्सलियों ने बिना शर्त शांति वार्ता की पेशकश की है
  • माओवादियों ने सरकार से युद्ध विराम की घोषणा और शांति वार्ता के लिए समयसीमा की मांग की
  • नक्सलियों ने सरकार के ऑपरेशन कगार पर रोक लगाने और हत्याओं की निंदा की

जगदलपुर: पिछले सात दिनों से बीजापुर और तेलंगाना की सीमा पर स्थित कर्रेगट्टा की पहाड़ियों में नक्सलियों के खिलाफ बड़ा ऑपरेशन जारी है। जवानों के ताबड़तोड़ एनकाउंटर से नक्सली खौफ में है। छत्तीसगढ़ पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने माओवादियों के खिलाफ अबतक का सबसे बड़ा ऑपरेशन लांच किया है। जिसके बाद नक्सलियों को डर सताने लगा है। तो वहीं दूसरी ओर नक्सलियों ने एक के बाद एक लगातार शांति वार्ता के लिए सरकार को पत्र जारी कर रहे हैं। इसी बीच एक बार फिर नक्सलियों ने नया पत्र जारी किया है। जिसमें माओवादियों ने बिना सर्त के शांति वार्ता को तैयार है।

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मिली जानकारी के अनुसार, नक्सलियों ने ये पत्र दूसरी बार जारी किया है। जिसमें उन्होंने बिना शर्त के शांति वार्ता को तैयार है। माओवादियों ने कहा कि कहा सरकार बताए समयाविधि युद्ध विराम कर शांति वार्ता की बातचीत करें। इस पत्र को केंद्रीय कमेटी के प्रवक्ता अभय ने जारी किया है।

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अपने पत्र में नक्सलियों ने लिखा है कि ‘पिछले जनवरी 2024 से केंद्र व राज्य के पुलिस, अर्धसैनिक व कमांडो बलों ने ऑपरेशन कगार के नाम से सैकड़ों माओवादियों एवं निर्दोष आदिवासियों की हत्याएं किये है, यह अभी भी जारी है इन हत्याओं का भर्त्सना करते हुए देश-दुनिया में कई जनवादी, क्रांतिकारी जन संगठनों, पार्टियों, सामाजिक संस्थाओं एवं कार्यकर्ताओं प्रगतिशील, जनवादी एवं क्रातिकारी बुद्धिजीवियों ने सैकड़ों की तादाद में आंदोलनरत है उनकी मांग है ऑपरेशन कगार पर फौरन रोक लगाया जाए युद्ध विराम की घोषणा की जाए, सरकार और माओवादी मिलकर वार्ता के जरिए समस्या का हल निकाला जाए।’

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माओवादियों ने आगे लिखा कि ‘शांति वार्ता को लेकर मैं ने केंद्रीय कमेटी के ओर से 28 मार्च को एक बयान जारी किये थे इस में मैं ने बताया कि सरकार के साथ शाति वार्ता करने के लिए हम तैयार है शांति वार्ता के लिए अभी तक मेरे तरफ से जारी गब्बी प्रेस विज्ञप्ति, दंडकारण्य के उत्तर-पश्चिम सबजोनल ब्यूरो की तरफ से कामरेड रूपेष द्वारा जारी की गयी दो प्रेस विज्ञपिश्यों को मिलाकर, कुल तीन प्रेस विज्ञप्ति जारी की गयीं। इसके तहत हमारे पीएलजीए बलों की सशस्त्र कार्रवाइ‌यों को रोकने हमारे कामरेडो ने आदेश जारी किए ऐसी पृष्ठिभूमि में केंद्र व राज्य सरकारे मिलकर झारखट राज्य में बोकारो हत्याकांड में हमारे केंद्रीय कमेटी के सदस्य कामरेड विवेक आदि कामरेडो की हत्या को अंजाम दी और चेतावनी दे रही है कि बाकी माओवादी आत्मसमर्पण करें, नहीं तो उनका भी हअ यही होगा।’

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‘खुद उनके द्वारा भारत देश के संविधान में लोगों को जीने का अधिकार जो दिया गया को स्वयं उनके द्वारा ही कुचला जा रहा है. ये कहती है कि हम संवैधानिक तरीके से चुनी गयी सरकानें है, पर उसी संविधान का नजरअंदाज कर रही है वे खुलेआम कहती है कि बंदूक का समाधान बंदूक से ही होगा छत्तीसगढ़ व तेलगाना की सीमा इलाके में करेंगुट्टा इलाके का नाकेबंदी कर तेलंगाना छत्तीगढ़ व महाराष्ट्र से 10 हजार पुलिस, अर्धसैनिक व कमाठो बलों की तैनाती कर 3 दिनों से एक बड़े ऑपरेशन चलाते हुए न सिर्फ हमारे 3 कामरेडों की हत्या की, बल्कि पार्टी के नेतृत्व की भी हत्या करने की कोशिश कर रही हैं।’

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‘एक तरफ सरकार एवं हमारी पार्टी से बिना शर्त वार्ता करने की कोशिशें की जा रही हैं. ऐसे परिप्रेक्ष्य में इस तरह क्रांतिकारियों एवं आदिवासियों की हत्याकांडों को ऐसा ही जारी रहने से शांति वार्ता के लिए की जा रही यह प्रक्रिया का कोई मतलब नहीं रहेगा हमारी पार्टी की केंद्रीय कमेटी ने केंद्र व राज्य सरकारों से फिर एक बार अपील करती है कि शांति वार्ता के लिए अनुकूल वातावरण बनाने के लिए इन हत्याकांडों पर रोक लगाया जाए और देश के छत्तीसगढ़, झारखंड, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश राज्यों में एक समयसीमा के साथ युद्ध विराम की घोषना की जाए देश के तमाम जनवादी प्रेमियों, पत्रकारों एवं शांतिकामियों तथा उत्पीडित वर्गों, उत्पीडित तबकों एवं उत्पीडित राष्ट्रीयताओं से हमारी केंद्रीय कमेटी की अपील है कि शांति वार्ता के लिए एवं समस्या का हल के लिए हमारी इस जायज माग का समर्थन करें और शाति वार्ता के लिए केंद्र व राज्य सरकारे सहमत होने लायक प्रयास करें।’

 

नक्सलियों ने शांति वार्ता के लिए क्या शर्त रखी है?

नक्सलियों ने शांति वार्ता के लिए बिना शर्त पेशकश की है, लेकिन उन्होंने सरकार से युद्ध विराम की घोषणा करने और शांति वार्ता के लिए समयसीमा तय करने की मांग की है।

ऑपरेशन कगार में कितने नक्सलियों और आदिवासियों की मौत हुई है?

नक्सलियों के मुताबिक, ऑपरेशन कगार के दौरान सैकड़ों माओवादी और निर्दोष आदिवासी मारे गए हैं, जिनकी वे निंदा करते हैं।

नक्सलियों ने शांति वार्ता की पेशकश क्यों की?

नक्सलियों ने शांति वार्ता की पेशकश इसलिए की है ताकि सरकार हिंसा और हत्याओं को रोकने के लिए कदम उठाए और शांति प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा सके।