दुष्कर्म की शिकार नाबालिग का नहीं होगा गर्भपात, हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका
Minor victim of rape will not have abortion: राजनांदगांव जिले में रहने वाली दुष्कर्म पीड़िता नाबालिग के गर्भवती होने पर उसके अभिभावकों ने गर्भपात की अनुमति देने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी।
Minor victim of rape will not have abortion
बिलासपुर: Minor victim of rape will not have abortion हाईकोर्ट ने दुष्कर्म की शिकार नाबालिग के गर्भवती होने पर परिजनों द्वारा गर्भपात कराने की अनुमति को लेकर लगाई गई याचिका खारिज कर दी है। विशेषज्ञों द्वारा गर्भपात करना पीड़िता के लिए खतरनाक होने रिपोर्ट दिए जाने पर हाईकोर्ट ने यह महत्वपूर्ण फैसला दिया है।
राजनांदगांव जिले में रहने वाली दुष्कर्म पीड़िता नाबालिग के गर्भवती होने पर उसके अभिभावकों ने गर्भपात की अनुमति देने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। मामले में जस्टिस पार्थ प्रतीम साहू की कोर्ट में सुनवाई हुई। उन्होंने पीड़िता का विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम गठित कर जांच रिपोर्ट देने कहा था। 9 सदस्यों की टीम ने जांच में पाया, कि 20 सप्ताह का गर्भ समाप्त किया जा सकता है, इसके अलावा विशेष परिस्थिति में 24 सप्ताह का गर्भ पीड़िता के जीवन रक्षा के लिए हो सकता है।
मामले में पीड़िता 24 सप्ताह से अधिक से गर्भवती है। ऐसे में गर्भ समाप्त करना उसके स्वास्थ्य के लिए घातक है, और पीड़िता का सुरक्षित प्रसव कराया जाना उचित है। भ्रूण स्वस्थ्य होने के साथ उसमें किसी प्रकार के जन्मजात विसंगति नहीं है। मेडिकल रिपोर्ट में याचिकाकर्ता की गर्भावस्था की उम्र लगभग 32 सप्ताह है, और डॉक्टरों ने राय दी कि पीड़िता का सहज प्रसव की तुलना में गर्भ समाप्त करना अधिक जोखिम होगा, और गर्भावस्था को समाप्त करने से इनकार कर दिया गया।
विशेषज्ञों के अभिमत के साथ ही हाईकोर्ट ने यह याचिका खारिज कर दी और कहा कि, जांच रिपोर्ट में इस गर्भकालीन आयु में गर्भावस्था को समाप्त करने से सहज प्रसव की तुलना में अधिक जोखिम हो सकता है। गर्भावस्था जारी रखें, भ्रूणहत्या न तो नैतिक होगी और न ही कानूनी रूप से स्वीकार्य होगी।
कोर्ट ने गर्भावस्था का चिकित्सकीय समापन करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा, कि दुष्कर्म की शिकार नाबालिग पीड़िता को बच्चे को जन्म देना है, राज्य सरकार को सभी आवश्यक व्यवस्थाएं करने और सब खर्च वहन करने का निर्देश दिया गया है। यदि नाबालिग और उसके माता-पिता की इच्छा हो तो प्रसव के बाद बच्चा गोद लिया जाए। राज्य सरकार कानून के लागू प्रावधानों के अनुसार आवश्यक कदम उठाएगी।

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