#SarkarOnIBC24: युद्ध विराम.. 'लेटर' पर कोहराम! नक्सलियों ने एक महीने के भीतर जारी किए 3 पत्र, आखिर शांतिवार्ता-सीजफायर का सच क्या? देखिए वीडियो |

#SarkarOnIBC24: युद्ध विराम.. ‘लेटर’ पर कोहराम! नक्सलियों ने एक महीने के भीतर जारी किए 3 पत्र, आखिर शांतिवार्ता-सीजफायर का सच क्या? देखिए वीडियो

युद्ध विराम.. 'लेटर' पर कोहराम! नक्सलियों ने एक महीने के भीतर जारी किए 3 पत्र, Naxalites issued 3 letters within a month, what is the truth behind peace talks and ceasefire?

Edited By :  
Modified Date: April 20, 2025 / 12:12 AM IST
,
Published Date: April 19, 2025 11:49 pm IST
HIGHLIGHTS
  • नक्सली संगठनों ने सरकार को लगातार तीसरी बार सीजफायर (युद्धविराम) और शांतिवार्ता के लिए पत्र लिखा है।
  • डिप्टी CM विजय शर्मा ने कहा – मुख्यधारा में आएं, बातचीत के लिए सरकार तैयार है

रायपुरः SarkarOnIBC24 बीते डेढ़ सालों में नक्सलियों के खिलाफ चल रहे एंटी नक्सल अभियान से नक्सली अब अपनी मांद में भी सुरक्षित नहीं है। वो मारे जा रहे हैं, गिरफ्तार हो रहे हैं, समर्पण कर रहे हैं और अब सीधे-सीधे सरकार से शांति की गुहार लगा रहे हैं। एक महीने में ये तीसरी बार है जब नक्सलियों की ओर से सरकार को शांति के लिए पत्र लिखा गया है। सरकार कह रही है कि नक्सलियों को सीधे-सीधे हथियार छोड़ मुख्यधारा में आना चाहिए, हम तैयार हैं लेकिन विपक्ष ने इन पत्रों की विश्वसनीयता पर सवाल उठा दिया है। कांग्रेस नक्सलियों के इन पत्रों को सरकार प्रायोजित बताकर शंका का बीज बो रही है। सवाल है कि आखिर कांग्रेस क्यों इसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठा रही है कांग्रेस, सवाल ये भी बार-बार नक्सली पत्रों को मकसद क्या है…क्या नक्सली मुख्यधारा में लौटना चाहते हैं?

Read More : HDFC Asset Management Share Price: कंपनी की बड़ी घोषणा, 70 रुपये प्रति शेयर डिविडेंड से झूम उठे निवेशक – NSE: HDFCAMC, BSE: 541729 

SarkarOnIBC24 शांति की दलील देते नक्सली संगठन की ओर से बीते एक महीने में तीन पत्र जारी किए गए हैं। ऐसा पहली बार हो रहा है जब खुद नक्सल संगठन सरकार से सीज फायर यानि युद्ध विराम करने, सभी एंटी नक्सल ऑपरेशन्स रोक देने की गुहार लगा रहा हो। वजह भी साफ है कि छत्तीसगढ़ समेत देशभर से नक्सलवाद के खात्मे की डेडलाइन फिक्स है। देश के गृहमंत्री अमित शाह बार-बार ऐलान कर चुके हैं कि मार्च 2026 तक हर हाल में नक्सलियों का पूर्ण सफाया होगा। इस संकल्प की पूर्ति के लिए प्रदेश में चल रहे ताबड़तोड़ एंटी नक्सल ऑपरेशन्स ने नक्सलियों की जड़ों को हिलाकर रख दिया। वो बैकफुट पर हैं, बीते महीने भर में 3 बार और डेढ़ साल में पांचवी बार नक्सलियों की ओर से शांतिवार्ता के लिए पत्र लिखा गया, जिसमें नक्सलियों की अलग-अलग एरिया कमेटियों ने चिट्ठी लिखी। अब उत्तर-पश्चिम सब-जोनल ब्यूरो प्रभारी रुपेश ने, सरकार से एक महीने के युद्धविराम की मांग की है। नक्सलियों की चिट्ठी के जवाब में डिप्टी CM और गृहमंत्री विजय शर्मा ने फिर कहा कि, नक्सली मुख्यधारा में आएं, बाकी पत्रों का परीक्षण कराया जा रहा है।

Read More : MP News: बेटा हो तो ऐसा!.. वकील बनकर हाईकोर्ट में लड़ा केस, 12 साल बाद लौटाई पिता की खोई हुई प्रतिष्ठा

एक तरफ नक्सली सीज-फायर मांग रहे हैं, तो विपक्ष ने फिर नक्सलियों की चिट्ठी पर सवाल उठाए हैं। पीसीसी चीफ दीपक बैज को नक्सलियों की चिट्ठियां संदिग्ध लगती हैं। बैज ने कहा कि कहीं डिप्टी सीएम विजय शर्मा खुद ही तो ये चिट्ठियां नहीं लिखवा रहे? जवाब में बीजेपी ने कहा कि, भरोसे का संकट कांग्रेस के भीतर ही है, दरअसल विपक्ष को बस्तर की शांति रास नहीं आ रही है। हर दिन नक्सल फ्रंट पर सुरक्षाबलों की कामयाबी की तस्वीरें गवाही दे रही हैं कि नक्सलियों के पैर उखड़ चुके हैं। साफ-साफ दिख रहा है कि लगातार आक्रामक ऑपरेशन्स से वो बैकफुट पर हैं…ऐसे में एक के बाद एक नक्सलियों की चिट्ठियों का परीक्षण होना चाहिए सरकार ने पहले भी पत्रों को लेकर जांच और कन्फर्मेशन को तैयार दिखती है लेकिन नक्सलियों की शांति वार्ता प्रस्ताव पर शंका करते हुए उन्हें सरकार की ओर स, खुद गृहमंत्री की ओर से लिखवाये जाने का आरोप लगाना, क्या उचित है, क्या इस गंभीर आरोप का कोई ठोस आधार विपक्ष के पास है या फिर ये हताशा भरी सस्ती पॉलिटिक्स है?

नक्सलियों की चिट्ठी में क्या मांग की गई है?

नक्सलियों की चिट्ठी में सरकार से सीजफायर (युद्धविराम) और शांतिवार्ता की मांग की गई है, साथ ही सभी एंटी नक्सल ऑपरेशन्स रोकने की अपील की गई है।

क्या सरकार नक्सलियों की शांति वार्ता की मांग मान रही है?

सरकार का कहना है कि नक्सली पहले हथियार छोड़ें और मुख्यधारा में लौटें, तब ही कोई बातचीत संभव है। पत्रों की जांच भी की जा रही है।

कांग्रेस नक्सलियों की चिट्ठियों को संदिग्ध क्यों मान रही है?

कांग्रेस को लगता है कि ये चिट्ठियाँ सरकार द्वारा प्रायोजित हो सकती हैं और इसका उद्देश्य राजनीतिक लाभ लेना हो सकता है।

क्या नक्सली वास्तव में मुख्यधारा में लौटना चाहते हैं?

सरकारी आंकड़ों और सुरक्षाबलों की कार्रवाइयों से साफ है कि नक्सली दबाव में हैं, ऐसे में ये चिट्ठियाँ बैकफुट की रणनीति भी हो सकती हैं।

नक्सलियों की चिट्ठियों का क्या परीक्षण हो रहा है?

सरकार ने सभी पत्रों को लेकर प्रामाणिकता की जांच शुरू कर दी है ताकि स्पष्ट हो सके कि वे वाकई नक्सल संगठन से ही आए हैं।