The plan to build a food park did not materialize even after two years

Raigarh News: दो साल बाद भी धरातल पर नहीं उतरी फूड पार्क बनाने की योजना..! सामने आ रही ये लापरवाही

दो साल बाद भी धरातल पर नहीं उतरी फूड पार्क बनाने की योजना..! सामने आ रही ये लापरवाही The plan to build a food park did not materialize even after two years

Edited By :   Modified Date:  March 24, 2023 / 06:46 PM IST, Published Date : March 24, 2023/6:44 pm IST

रायगढ़। जिले में फूड पार्क बनाने की योजना दो सालों के बाद भी धरातल पर उतर नही पाई है। योजना के तहत जिले के नौ ब्लाकों में जमीन का चयन कर राज्य शासन को प्रस्ताव बनाकर भेजना था, लेकिन उद्योग विभाग दो सालों बाद भी 4 ब्लाकों में जमीन ही नहीं ढूंढ पाया। 5 ब्लाकों में जमीन का चयन तो हो गया, लेकिन उसके बाद फाइल शासन स्तर पर लंबित है। ऐसे में योजना अधर में लटकी हुई है।

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दरअसल फूड से संबंधित औद्योगिक इकाइयों जैसे दाल मिल, तेल मिल व अन्य फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स को एक जगह पर स्थापित करने के लिए राज्य शासन ने फूड पार्क की योजना बनाई है। इसके लिए जिला व्यापार एवं उद्योग विभाग को सभी नौ ब्लाकों में स्थल चयन कर प्रस्ताव बनाकर भेजने के निर्देश दिए गए थे। सभी ब्लाकों में न्यूनतम 10 हैक्टेयर जमीन का चयन विभाग को करना था। विभाग ने जिले के 5 ब्लाक धरमजयगढ़, पुसौर, बरमकेला घरघोड़ा और खरसिया में तो जमीन का चिन्हांकन कर लिया लेकिन बाकी के 4 ब्लाकों में विभाग को जमीन ही नहीं मिल पाई।

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आलम ये है कि इन ब्लाकों में प्रक्रिया अधर में लटकी हुई है। इधर जिन ब्लाकों में जमीन मिल गई वहां भी निर्माण की प्रक्रिया आगे नहीं बढ पाई। खास बात ये है कि पूर्ववर्ती सरकार में भी मिनी इंडस्ट्रियल पार्क और फूड पार्क बनाने की योजना बनाई गई थी। इसके लिए सियारपाली में 12.5 एकड़ जमीन का चयन कर निर्माण की प्रक्रिया भी शुरु की गई थी, लेकिन सरकार बदलने के बाद ये योजना भी अधर में लटक गई। योजना के तहत पूर्ववर्ती सरकार ने 8 करोड़ 36 लाख की स्वीकृति दी थी जिस पर निर्माण भी शुरु हो गया था, लेकिन अब तक ये योजना भी अधर में लटकी हुई है। ऐसे में लेटलतीफी को लेकर सवाल उठ रहे हैं।

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भाजपा का कहना है कि फूड पार्क बनाने की सरकार की मंशा काफी अच्छी थी, लेकिन विभागीय उदासीनता के चलते योजना का क्रियान्वयन नहीं हो पाया। स्थल चयन नहीं होने की वजह से योजना कागजों में अटकी हुई है और उद्यमियों व स्थानीय लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। इधऱ मामले में अधिकारी भी योजना में देरी की बात स्वीकार कर रहे हैं। हालांकि अधिकारियों का कहना है कि नौ में से पांच ब्लाकों में जमीन का आधिपत्य मिल चुका है जबकि बाकी ब्लाकों में जमीन की तलाश की जा रही है। जमीन फाइनल होते ही प्रस्ताव शासन को भेजा जाएगा। जिन ब्लाकों में जमीन का चिन्हांकन हो गया है उनकी फाइल तकनीकी स्वीकृति के लिए शासन के पास भेजी गई है। तकनीकी स्वीकृति मिलते ही योजना पर काम शुरु होगा। अगले वित्तीय वर्ष तक कम से कम तीन ब्लाकों में काम शुरु हो जाएगा।

IBC24 से अविनाश पाठक की रिपोर्ट

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