CG News: हॉस्टल मामले पर मचा हाहाकार.. सुरक्षा में सेंध का कौन जिम्मेदार?.. हैवानों के साये से हॉस्टल को मुक्ति कब?

CG News: हॉस्टल मामले पर मचा हाहाकार.. सुरक्षा में सेंध का कौन जिम्मेदार?.. हैवानों के साये से हॉस्टल को मुक्ति कब?

CG Bijapur Hostel Case

Modified Date: August 3, 2023 / 12:22 am IST
Published Date: August 3, 2023 12:22 am IST

रायपुर: क्या प्रदेश के सरकारी हॉस्टल्स में सब कुछ ठीक है, ये सवाल उठा है हाल के दिनों में सामने आ रही कुछ तस्वीरों से, सरकार की मंशा है सरकारी हॉस्टल्स में रहकर छात्र-छात्राएं, सुरक्षित और बेहतर माहौल में अपनी पढ़ाई कर सकें, कुशल टीचर्स के मार्गदर्शन में पढ़ाई के साथ-साथ खेल, विभिन्न कॉम्पीटीशन्स और जीवन में आगे बढ़ने के हुनर सीख सकें, (CG Bijapur Hostel Case) तो फिर कौन है जो इस मंशा को बार-बार पलीता लगाता है, कौन है जो हॉस्टल्स में सुरक्षा में सेंध लगाकर अराजक हालात का मौहाल बनने देता है,

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छत्तीसगढ़ के बॉयज और गर्ल्स हॉस्टल की ये दो तस्वीरें पिछले 24 घंटे में सुर्खियां बनीं… सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही हैं। पहली तस्वीर बीजापुर में बॉयज हॉस्टल की है। जहां एक लड़की के साथ दो लड़के मारपीट कर रहे हैं। एक तो सीधे पैर उठाकर लड़की के कमर के नीचे पूरी ताकत से लात जमाता नजर आ रहा है। अब दूसरी तस्वीर, जो पेंड्रा-गौरेला-मरवाही जिले से आई है। यहां के हॉस्टल में अधीक्षक उत्तरा दिवाकर और रोजगार सहायकरेवा लाल सोनवानी दारू पार्टी कर रहे हैं। मौके पर महुआ दारू के साथ अंडा, चना, प्याज, पापड़ जैसे चखना भी दिख रहा है। तस्वीरें सुर्खियां बनीं, तो सवाल उठे और प्रशासन एक्शन मोड में आया। एक हफ्ते पहले ही सुकमा के एर्राबोर के पोटा केबिन में पहली क्लास की 6 साल की बच्ची से दुष्कर्म हुआ था। विपक्ष में बैठी भाजपा को मौका मिला और उसने इस वीडियो के साथ सरकार से सवाल किया कि बेटियां दुष्कर्म और हिंसा का शिकार हो रही हैं। कहीं भी सुरक्षित क्यों नहीं..?

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सत्ता में बैठी कांग्रेस हॉस्टल में हैवानों के राज पर कुछ कहने की बजाय… (CG Bijapur Hostel Case) भाजपा पर सियासी मुद्दा बनाने का आरोप लगाते हुए अटैक के मोड में हैं। छत्तीसगढ़ के सरकारी हॉस्टल हमेशा से अव्यवस्था के शिकार रहे हैं। छात्रावास के जिन अधीक्षक से लेकर कर्मचारी और चौकीदार पर बेटियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी है, कई केस में वही या उनके रिश्तेदार ही आबरू के लुटेरे निकलते हैं। सवाल यही है कि हैवानों के साये से हॉस्टल कब मुक्त होंगे..?

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