छत्तीसगढ़िया सरोकार..फोकस में कलाकार! लोक कलाकारों का मान सम्मान कैसे बढ़े ?
छत्तीसगढ़िया सरोकार..फोकस में कलाकार! Chhattisgarhiya concern..Artist in focus! How to increase the respect of folk artists?
रायपुर । राजनीति के रंगमंच से चुनाव का पर्दा उठने वाला है। इससे पहले सियासी किरदार। रंगमंच के असल किरदारों से मिल रहे हैं। कांग्रेस ने कलाकारों की और हाथ बढ़ाया तो भाजपा तमतमा गई। फिर शुरू हुआ आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला। रंगमंच पर गर्माहट बढ़ी तो कलाकारों की आस जगी लेकिन क्या उनकी आस पूरी भी होगी या चुनावी नतीजों के बाद तालियों की गूंज के बीच पर्दा फिर गिर जाएगा और अंतहीन इंतजार बरकरार रहेगा। कलाकारों के ईर्द-गिर्द घूमती आज की डिबेट में ऐसे ही चंद सवालों का जवाब तलाशेंगे लेकिन पहले एक रिपोर्ट देखिए। मशहूर पंडवानी गायिका और पद्म विभूषण तीजन बाई का ये वीडियो कुछ दिन पहले सोशल मीडिया में वायरल हुआ तो छत्तीसगढ़ के लोक कलाकार और उनकी आर्थिक स्थिति सियासत के फोकस में आ गए। हालांकि मीडिया में तीजन बाई के अस्वस्थ होने की जानकारी के बाद राज्य सरकार तुरंत हरकत में आई और उनके घर पर ही इलाज की व्यवस्था शुरू की गई। इस बीच छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेश के करीब 600 लोक कलाकारों से भेंट-मुलाकात की। इस दौरान मुख्यमंत्री ने न सिर्फ उनकी समस्याएं सुनीं। बल्कि उनके निराकरण का भरोसा भी दिया तो वहीं कलाकारों ने कहा कि ऐसा पहली बार है जब कोई मुख्यमंत्री कलाकारों से रूबरू हो रहा हो।
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CM की कलाकारों से ये मुलाकात पर भाजपा नेता और अभिनेता अनुज शर्मा ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने 5 साल में कलाकारों की कभी सुध नहीं ली और आज कलाकारों की याद आ रही है। पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि कलाकारों को काम नहीं मिल रहा है वो भूखे मर रहे हैं उन्हें किसी तरह की पेंशन भी नहीं मिल रही है। भाजपा के आरोपों पर सीएम भूपेश बघेल ने पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि 15 साल तक BJP को मौका मिला फिर भी कलाकारों के लिए कुछ नहीं किया। कोई फिल्म नीति नहीं बनाई गई। अपनी कला से तालियां बटोरने वाले प्रसिद्ध रंगकर्मी पद्मश्री गोविंदराम निर्मलकर, दीपक विराट, लोक गायिका किस्मत बाई देवार समेत कई कलाकारों ने उम्र के आखिरी पड़ाव में आर्थिक तंगी के चलते मुश्किल वक्त गुजारा.. कई लोक कलाकार अब भी मदद के इंतजार में हैं, सरकारों ने इनकी बेहतरी के लिए दावे तो बहुत किए लेकिन जमीन पर अभी बहुत कुछ किए जाने की जरूरत है।

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