Minister Laxmi Rajwade: लक्ष्मी राजवाड़े के कंधो पर होगी मोदी के सबसे बड़ी ‘गारंटी’ का जिम्मा.. आज कैबिनेट की मीटिंग पर सबकी नजर

Minister Laxmi Rajwade: लक्ष्मी राजवाड़े के कंधो पर होगी मोदी के सबसे बड़ी ‘गारंटी’ का जिम्मा.. आज कैबिनेट की मीटिंग पर सबकी नजर

Minister Laxmi Rajwade News

Modified Date: January 3, 2024 / 11:44 am IST
Published Date: January 3, 2024 11:44 am IST

रायपुर: सीएम विष्णुदेव साय की अगुवाई में आज छत्तीगसढ़ सरकार के कैबिनेट की मीटिंग नया रायपुर स्थित मंत्रालय में होने जा रही है। यह मीटिंग इसलिए भी खास हैं क्योंकि मंत्रियों को विभागों के आबंटन के बाद यह पहली बैठक है। इस बैठक में मंत्रियों को उनके विभाग से परिचय कराते हुए उनके दायित्वों की जानकारी दी जाएगी।

साय कैबिनेट में आज मोदी की गारंटी पर गहनता से चर्चा होगी, कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव लाये जायेंगे। जिन दो योजनाओं पर कैबिनेट गंभीरता से मंथन करेगी उनमे महतारी योजना और गरीबों को 500 रुपये में सिलेंडर योजना प्रमुख हैं। इन दोनों योजनाओं को किस तरह अमलीजामा पहनाया जाए और इसका लाभ किस तरह समाज के अंतिम छोर तक पहुंचे इस पर मंत्री और अफसरों के बीच भी वार्ता होगी।

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बात अगर भाजपा के सबसे महत्वकांक्षी और फ्लैगशिप योजना ‘महतारी वंदन’ की करें तो इसे पूरा करने की जिम्मेदारी साय कैबिनेट की सबसे युवा मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े के कंधो पर होगी। सीएम साय ने उन्हें महिला एवं बाल विकास व समाज कल्याण विभाग की जिम्मेदारी सौंपी हैं। भाजपा की जीत में सबसे अहम् भूमिका निभाने वाली घोषणा महतारी वंदन योजना का क्रियान्वयन महिला एवं बाल विकास विभाग को ही करना होगा। ऐसे में पीएम मोदी के इस सबसे बड़ी गारंटी को पूरा करने, इसका लाभ प्रदेश की महिलाओं तक पहुँचाने और उस लाभ को पार्टी के फायदे में बदलने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी लक्ष्मी राजवाड़े के ही कंधो पर होगी। अब ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि लक्ष्मी राजवाड़े मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की उम्मीदों पर कितना खरा उतर पाती हैं।

बदलेगा राजिम का नाम

दूसरी तरफ प्रदेश की साय सरकार पूर्ववर्ती भूपेश सरकार के एक पुराने फैसले को पलटने की तैयारी में जुटी हुई है। यह फैसला प्रदेश के संस्कृति और पर्यटन से जुड़ा हैं। दरअसल साय सरकार एक बार फिर से राजिम मेले को कुम्भ का दर्जा दिए जाने की तैयारी में हैं। पिछली बार कांग्रेस की सरकार बनते ही भूपेश सरकार ने प्रस्ताव लाकर राजिम कुम्भ का नाम राजिम पुन्नी मेला कर दिया था। तब पक्ष और विपक्ष के बीच जमकर हंगामा हुआ था। कांग्रेस ने सरकार बनाने के बाद दावा किया कि वे मेले के प्राचीन नाम को बहाल कर रहे हैं। कांग्रेस ने तर्क दिया था कि प्राचीन नाम राजिम माघ पुन्नी मेला था न कि राजिम कुंभ और 2006 में भाजपा सरकार ने राजनीतिक उद्देश्यों के लिए नाम बदलकर इसे कुंभ मेला कर दिया।

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