Contract irregular employees of Chhattisgarh: रायपुर। छत्तीसगढ़ में यह साल चुनावी साल है, और चुनाव से पहले प्रदेशभर के अलग अलग कर्मचारी संगठन अपनी अपनी तमाम मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन भी कर रहे हैं। लेकिन राज्य सरकार की बेरुखी इन्हें चुभ रही है। महीनों तक के प्रदर्शन के बाद भी ना कोई बातचीत, ना कोई पहल की गई, जिसके बाद अब निराश, परेशान कर्मचारी संगठन अब गांव गांव में वादा खिलाफी की बात बताने की धमकी दे रहे हैं। हालांकि कांग्रेस विधायक विकास उपाध्याय कहते हैं कि उनकी सरकार ने मांग पूरी की है, आंदोलन की स्थिति को खत्म कराया है। जो कुछ बचे हैं, उनकी मांग भी जरुर पूरी होगी।
साल 2018 में सत्ता में आने से पहले कांग्रेस पार्टी ने कर्मचारी संगठनों से वादा किया था, कि सरकार बनीं तो संविदा, अनियमित कर्मचारियों को नियमति किया जाएगा। वेतन विसंगति दूर होगी। ठेका, आउट सोर्सिंग को बंद किया जाएगा। साढ़े चार सालों तक इंतजार करते कर्मचारी संगठन अब इन्हीं वादों को लेकर मैदान में हैं। प्रदेशभर के पटवारी वेतन विसंगति दूर करने की मांग को लेकर 22 दिनों से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठे हैं। राजस्व विभाग का काम काज ठप है, लेकिन सरकार की तरफ से बातचीत की कोई पहल नहीं हुई है।
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नियमितिकरण का वादा निभाने की मागं करते हुए, प्रदेशभर के संविदा, डेलीवेज और अनियमित कर्मचारी एक बैनर के तले आकर नियमितिकरण रथयात्रा निकाल रहे हैं। प्रदेश के 33 जिलों से होकर गुजर रही यह पदयात्रा 3 हजार किलोमीटर की होगी। लेकिन इस पर भी सरकार की ओर से कोई रिस्पांस नहीं है। प्राइमरी स्कूलों में पढ़ाने वाले 1 लाख से ज्यादा सहायक शिक्षक वेतन विसंगति दूर करने की मांग को लेकर पिछले पांच छह महीनों से आंदोलन कर रहे हैं। लेकिन राज्य सरकार ने कोई रिस्पांस नहीं दिया। नया सत्र शुरू होने से पहले इन्होंने अनिश्चितकालीन आंदोलन का ऐलान किया था, लेकिन सरकारी बेरुखी के चलते नया रास्ता चुना है। पहले मंत्रियों से मिलेंगे, फिर जुलाई में महासंकल्प सभा होगी। सहायक शिक्षक संघ प्रांताध्यक्ष मनीष मिश्रा और छत्तीसगढ़ पटवारी संघ के पदाधिकारी नीरज सिंह का कहना है कि हमारा संदेश है, अब याचना नहीं करेंगे।
बता दें कि सिर्फ यही संगठन आंदोलन नहीं कर रहे, बल्कि नियमितिकरण, वेतन विसंगति दूर करने और कलेक्टर रेट पर मेहनताना की मांग कर दो दर्जन से ज्यादा कर्मचारी संगठन धरना प्रदर्शन कर अपना विरोध जता चुके हैं। अनियमित कर्मचारी संगठनों का कई धड़ा अब भी प्रदर्शन करने के लिए प्रशासकीय स्वीकृति का इँतजार कर रहे हैं। यानि, सरकारी कर्मचारियों का बड़ा तबका सरकार से नाराज बैठा है।
हालांकि कांग्रेस विधायक विकास उपाध्याय कहते हैं कि उनकी सरकार ने मांग पूरी की है, आंदोलन की स्थिति को खत्म कराया है। जो कुछ बचे हैं, उनकी मांग भी जरुर पूरी होगी। बता दें कि प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों की संख्या करीब चार लाख की है,और उससे ज्यादा संख्या अनियमित, संविदा और डेली वेज कर्मचारियों की हैं। इनमें से करीब तीन चौथाई कर्मचारी सीधे सीधे नाराज दिख रहे हैं। जाहिर है, अगर इनकी मांग को सुना नहीं गया तो ये नाराजगी चुनाव में भारी भी पड़ सकती है।