CG New Ministers: रायपुर। शनिवार को मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की राज्यपाल से मुलाकात ने सियासी गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म कर दिया है। यूं तो सीएम ने एक्स हैंडल से पोस्ट कर बताया कि राज्यपाल से मुलाकात कर उन्हें प्रदेश की वर्तमान स्थिति, सरकार की योजना और किसानों के लिए खाद बीज के प्रबंधन की जानकारी दी गई, लेकिन उनकी मुलकात से सबसे ज्यादा चर्चा मंत्रिमंडल के संभावित पुनर्गठन को लेकर शुरू हुई। आखिर, साय मंत्रिमंडल में खाली पड़े दो पदों के लिए किसके सिर पर मंत्री का ताज सजने जा रहा है। कई नए और पुराने नामों पर अटकलें लगाई जा रहीं हैं। इस कवायद पर विपक्ष निशाना साधने से चूक नहीं रहा।
प्रदेश के सियासी गलियारे में इस वक्त सबसे बड़ी चर्चा इसी बात की है कि साय मंत्रिमंडल में खाली 2 मंत्रीपदों पर किसे मौका मिलेगा। फिलहाल इसे लेकर जातीय, क्षेत्रीय, संभागीय और जिलों के समीकरणों के हिसाब से मंथन जारी है। जो नाम चर्चा में हैं उनमें दुर्ग विधायक गजेंद्र यादव प्रबल दावेदार हैं, वजह ओबीसी वर्ग में दूसरा सबसे बड़ा धड़ा यादव समाज है, जिसका एक भी चेहरा फिलहाल मंत्रिमंडल में नहीं है। गजेंद्र यादव इस गणित में फिट बताए जाते हैं, वो RSS से ताल्लुक रखते हैं, इसलिए उनकी दावेदारी मजबूत मानी जा रही है। इस क्षेत्र से पहले हेमचंद यादव मंत्री रहे हैं।
तर्क ये भी है कांग्रेस में दुर्ग जिले से मजबूत नेताओं के सामने यहां से कम से कम एक मंत्री होना ही चाहिए। दूसरी तरफ बृजमोहन अग्रवाल के सांसद बनकर, मंत्री पद छोड़ने के बाद रायपुर जिला भी खाली हो गया है। यहां से संभावित दावेदारों में नए फेस के तौर पर मोतीलाल साहू, पुरंदर मिश्रा तो पुराने दिग्गजों में राजेश मूणत, अजय चंद्राकर, अमर अग्रवाल, धर्मलाल कौशिक, लता उसेंडी जैसे नामों की चर्चा है। प्रबल संभावना जताई जा रही है कि बृजमोहन अग्रवाल की जगह जो भी मंत्री होगा वो रायपुर से ही हो सकता है।
कैबिनेट विस्तार की अकटलों के बीच शनिवार को CM साय की राजभवन पहुंचकर राज्यपाल से मुलाकात और उस दौरान रायपुर उत्तर विधायक पुरंदर मिश्रा का वहां होना, इससे कई और चर्चाओं का दौर चल पड़ा। पूछे जाने पर पहली बार विधायक बने पुरंदर मिश्रा खुलकर स्वीकार करते हैं कि वो खुद भी मंत्रिमंडल में जगह पाने की चाह रखते हैं। मंत्रिमंडल को लेकर जारी अटकलों और एक्सरसाइज पर कांग्रेस नेता चुटकी ले रहे हैं।
कांग्रेस का दावा है कि इस वक्त भाजपा खेमे में जबरदस्त उठापटक है। वैसे साय मंत्रिमंडल में दो खाली जगहों को भरने के साथ-साथ एक-दो मंत्रियों को बदलने की भी चर्चाएं हैं। अगर ऐसा हुआ तो तीन-चार चेहरे मंत्री पद की शपथ ले सकते हैं। साय सरकार की कोशिश है कि मंत्रिमंडल पुनर्गठन जितना जल्दी हो बेहतर है, क्योंकि जुलाई में सके मॉनसून सत्र है, उससे पहले नए मंत्रियों का विभागों में काम-काज संभाल लेना ही बेहतर है। सवाल है साय कैबिनेट का विस्तार कब होगा और कब चेहरों पर मुहर लगेगी?