‘जब तक मांगें नहीं होगी पूरी, नहीं लौटेंगे घर..’, 100 दिनों से आंदोलन कर रहीं दिवंगत शिक्षाकर्मियों की विधवाओं ने लगाया नारा
Anukampa Niyukti Aandolan in CG : Movement demanding compassionate appointment completes 100 days.. 100 दिनों से आंदोलन कर रहीं दिवंगत शिक्षाकर्मियों की विधवाओं ने लगाया नारा।
Slogan raised on completion of 100 days of movement demanding compassionate appointment
Anukampa Niyukti Aandolan in CG : रायपुर। अनुकंपा नियुक्ति की मांग को लेकर आंदोलन को 100 दिन पूरा हो गया है। बता दे कि दिवंगत शिक्षाकर्मी की विधवाएं योग्यता अनुसार नौकरी देने की आंदोलन कर रही हैं। इन मांगों को लेकर पिछले साल भी लंबा आंदोलन किया था, जिसके बाद मांग पूरी करने का आश्वासन मिला था। इसके लिए कमेटी भी बनी, लेकिन मांगों पर कोई पहल नहीं हुई।
आंदोलन को 100 दिन हुए पूरे
दरअसल, दिवंगत शिक्षाकर्मियों की विधवाओं द्वारा 20 अक्टूबर से प्रशासन ने अनुमति नहीं मिलने के बाद भी अनिश्चितकालीन आंदोलन शुरू किया था। कई बार आंदोलन को हटाने की कोशिश प्रशासन ने आंदोलन को अवैध करार दिया, बावजूद मुट्ठी भर महिलाएं आंदोलन जारी रखी हुई है। हर मंत्री और विभाग के अधिकारी तक बात पहुंचाई। इससे सब से आश्वासन तो मिला, लेकिन कोई घोषणा नहीं की गई। जिसके बाद विधवाओं ने ऐलान किया है कि जब तक मांग पूरी नहीं तब तक नहीं जाएंगे घर।
संघर्म कर रहीं दिवंगत शिक्षाकर्मियों की विधवाएं
बता दें कि ये घर पर छोटे-छोटे बच्चों को अकेले छोड़कर आई है और 3 महीनों से घर और बच्चों से दूर रहकर कर रही आंदोलन कर रही हैं। मच्छर बारिश और गंदगी से कई बार बीमार भी पड़ी फिर भी इनका हौसला कम नहीं हो रहा और आंदोलन जारी रखा हुआ है। आंदोलन कमजोर ना हो जाए इसलिए एक मां ने बीमार बेटी से मुंह मोड़ा। कभी बच्चे घर बुलाते हैं कि अब आंदोलन छोड़ दो, लेकिन उम्मीद है की अनुकंपा नियुक्ति मिली तो सब ठीक हो जायेगा। एक उम्मीद के सहारे हर संघर्ष को तैयार है। इन विधवाओं ने रैली निकाली, भीख मांगी, जल समाधि भी ली, तो कभी कफन रैली निकाली, कभी दुर्गा बनकर निकली हर कोशिश की कि सरकार तक आवाज पहुंचे। यहां तक की बागेश्वर धाम में मन्नत मांगी। आंदोलन स्थल पर नारियल बांधी। सिर्फ एक उम्मीद एक कि चाहत की अनुकंपा नियुक्ति मिले।
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योग्यतानुसार नियुक्ति की मांग
महिलाओं ने बताया कि डेढ़ महीने तक आंदोलन करने के लिए बिजली कनेक्शन भी नहीं था। अंधेरे में सोती मोबाइल की रोशनी में खाना बनाती थी। पैसे नहीं थे तो एक समय खाना खाकर आंदोलन किया। सारे दुख सारी तकलीफ सहे, सिर्फ अनुकंपा नियुक्ति की खातिर, इसके बावजूद अभी हौसला कम नहीं हुआ है। आज पंचायत विभाग के मंत्री बजट पर चर्चा करेंगे। सारी उम्मीद उस चर्चा पर केंद्रित अनुकंपा नियुक्ति का बजट मिला तो सपने सच होंगे। अगर तब भी मांग पूरी नहीं हुई तो जारी आंदोलन रहेगा। अब कुछ खाने को नहीं है इसलिए हर कुर्बानी देने को तैयार है, या तो अनुकंपा नियुक्ति लेकर जाएंगे या खुद को मिटा कर। बता दे कि प्रदेश में करीब एक हजार की संख्या 300 को नियुक्ति मिली है। करीब 700 को इंतजार है। इनकी मांगें है कि जिसकी जितनी योग्यता वैसी अनुकंपा नियुक्ति दे दें। सरकार कुछ नहीं तो चपरासी की नौकरी भी दे दे सरकार।

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