Special Story on Coal Crisis and Power Cut in india know everything

Coal Crisis in india : देश में क्यों गहराया है बिजली संकट, क्यों हो रहा है पॉवर कट, जानें वो सब कुछ, जो आपको जानना जरूरी है

Coal Crisis in india : पूरे देश में बिजली संकट की समस्या गहराई हुई है। वर्तमान में ये मुद्दा सबसे ज्यादा चर्चा में है।

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:45 PM IST, Published Date : May 3, 2022/3:54 pm IST

Coal Crisis in india : रायपुर। पूरे देश में बिजली संकट की समस्या गहराई हुई है। वर्तमान में ये मुद्दा सबसे ज्यादा चर्चा में है। इस मामले में देश की सियासत गर्म है। कांग्रेस और बीजेपी कोल क्राइसिस को लेकर एक दूसरे पर जमकर हमला बोल रहे हैं। इस समय पूरे देश में सबकी जुबां से केवल एक ही समस्या प्रमुख तौर पर गूंज रही हैं और वो है पॉवर कट और कोल माइंस। आज हमने इसी मुद्दे को लेकर खास जांच-पड़ताल कर सच्चाई जानने की कोशिश की। पढ़िए ये स्पेशल रिपोर्ट…

पॉवर कट को लेकर आए दिन अलग-अलग कारण सामने आ रहे हैं। कभी डिमांड सप्लाई की बात, तो कभी बिजली कंपनियों के बकाए तो कभी गर्मी को ही कारण माना जा रहा है। वहीं सबसे मुख्य समस्या कोयले की रैक की कमी को मानी जा रही है। अब तो बिजली संकट का असर भी दिखने लगा है। आखिर इस समस्या की असली वजह क्या है?

कोल क्राइसिस को लेकर राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश और बिहार समेत 16 राज्यों की सरकारों ने 2 से 10 घंटे तक बिजली कटौती शुरू कर दी है। इसकी सबसे बड़ी वजह यही है कि मांग के अनुरूप कोयला आपूर्ति नहीं हो रही है। इतना ही नहीं कई राज्यों ने निर्धारित समय पर कोयले का उठाव भी नहीं किया।

देश में 10770 मेगावाट बिजली की कमी

ऊर्जा मंत्रालय के वेबसाइट नेशनल पावर पोर्टल के मुताबिक 28 अप्रैल को देश में 10770 मेगावाट की कमी थी। कई राज्यों में लम्बे लम्बे पॉवर कट देखे गए। मंत्रालय के आंकड़े के हवाले से 29 अप्रैल की पीक डिमांड 199000 मेगावाट की थी, जिसमें से 188,222 मेगावाट की ही आपूर्ति की गई।

81 कोल प्लांट के पास 5 दिनों से कम का कोयला

Coal Crisis in india : कोयले की आपूर्ति को बेहतर करने के लिए रेलवे ने पैसेंजर ट्रेनें रद्द की है। देश में कोयला आधारित बिजली प्लांट के लिए 26 दिनों के कोयले के स्टाक का मानक तय किया गया है। देश के करीब 81 पॉवर प्लांट में 5 दिनों से कम का ही कोयला बचा हुआ है। वहीं 47 ऐसे संयत्र हैं, जिनमें 6-15 दिन की ही कोयला स्टॉक है। 16 दिन से 25 दिनों के कोयला स्टॉक वाले पॉवर प्लांट केवल 13 हैं।

कोयले की डिमांड और सप्लाई की स्थिति

29 अप्रैल को अधिकतम मांग 207.11 गीगावाट तक थी, जो रिकॉर्ड थी। इस दिन देश में कुल 214 मिलियन यूनिट ऊर्जा की कमी रही। सबसे ज्यादा उत्तरी क्षेत्र में 156.5 मिलियन यूनिट ऊर्जा की कमी रही। यानि इस इलाके में सबसे ज्यादा संकट रहा। यही, वो अंतर है जिसकी वजह से बिजली का संकट गहराया। हालंकि, 30 अप्रैल और एक मई को बिजली की डिमांड में कमी आई। इसके साथ ही डिमांड सप्लाई के अंतर में भी कमी आई। एक मई को तो ये डिमांड 200 गीगावाट से भी कम हो गई। ऊर्जा की डिमांड और सप्लाई के अंतर की वजह कोयले की सप्लाई नहीं हो पाने को बताया जा रहा है।

इस संकट को दूसर करने रेलवे ने 650 से ज्यादा यात्री ट्रेनों को रद्द करके मालगाड़ियों के फेरे बढ़ाए हैं, जिससे पॉवर प्लांट तक जल्द कोयला पहुंचाया जा सके। कोयले से बिजली पैदा करने वाले थर्मल पॉवर प्लांट में कम से कम 24 दिन के कोयले का स्टॉक होना चाहिए, लेकिन देश के कई सारे ऐसे प्लांट हैं जहां 10 दिन से भी कम का कोयला बचा है।

ऊर्जा मंत्री ने ये बताई थी वजह

Coal Crisis in india : 17 मार्च 2022 को लोकसभा में सरकार से सवाल पूछा गया कि देश में बिजली की कमी है। ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने जवाब में कहा कि बिजली की मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधन हैं। आंकड़ा पेश करते हुए बताया कि 28 फरवरी तक की स्थिति के अनुसार देश के बिजली घरों की कुल उत्पादन क्षमता लगभग 395.6 गीगावाट है और अधिकतम मांग केवल 203 गीगावाट तक की रही है। इस बात को डेढ़ महीने भी नहीं हुए और देश में बिजली का संकट बढ़ने लगा। कहा गया कि गर्मी बढ़ने के साथ अचानक मांग बढ़ने के कारण ऐसा हो रहा है। कहा गया कि बिजली की मांग रिकॉर्ड स्तर पर है।

आखिर कहां आ रही है दिक्कत

जानकारों का कहना है कि गर्मी के साथ बिजली की मांग बढ़ी है। ये मांग रिकॉर्ड स्तर पर है। इस मांग को पूरा करने के लिए बिजली कंपनियों के पास कोयले की कमी है। कोयले की मांग और खपत में 20 फीसदी का इजाफा हुआ है। अचानक बढ़ी मांग को पूरा करने की कोशिश हो रही है। 2021 के मुकाबले कोयला कंपनियों ने इस साल अप्रैल में 15 फीसदी ज्यादा कोयला बिजली कंपनियों को सप्लाई किया है। जो कि मांग के मुकाबले पांच फीसदी कम है।

हालांकि NTPC जैसी सरकारी कंपनियां बकाया भुगतान नहीं होने के बाद भी सप्लाई कर रही हैं। वहीं कुछ कंपनियां नियम के बाद भी बकाया भुगतान नहीं होने की वजह से सप्लाई में आनाकानी कर रही हैं। केंद्रीय ऊर्जा सचिव आलोक कुमार ने कहा कि जिन छह राज्यों में सबसे ज्यादा बकाया है, वहां की राज्य सरकारें जो सब्सिडी देतीं हैं उनका भुगतान डिस्कॉम को नहीं कर सकी हैं। इसके साथ ही सरकारी विभागों के बिजली बिल भी काफी बकाया हैं।

बकाए में 70 फीसदी हिस्सेदारी

Coal Crisis in india : रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि ये बकाया करीब 1.23 ट्रिलियन रुपये तक का है। जो कि पिछले साल के मुकाबले करीब 17 फीसदी ज्यादा है। तमिलनाडु, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश,आंध्र प्रदेश और तेलंगाना जैसे राज्यों की इस बकाये में 70 फीसदी हिस्सेदारी है।

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क्यों बढ़ा कोयला संकट

छत्तीसगढ़ से राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्यप्रदेश, पंजाब और छत्तीसगढ़ की बिजली कंपनी को कोयले की सप्लाई की जा रही है। कई राज्यों पर कोल इंडिया से कोयले का उठाव न करने पर जुर्माना भी लगा है। कुछ राज्यों ने कोयले की खरीदी का कोल इंडिया को भुगतान भी नहीं किया है। आंकड़ों के अनुसार यह बकाया राशि 2000 करोड़ रुपए से अधिक है। इन सब वजहों से राज्यों ने कोयला संकट का मुद्दा उठाया। बड़ी सच्चाई ये है कि सभी राज्य आने वाले 3-4 महीनों में कोयले की आवश्यकता आकलन करने में चूक गए। देश में कोयले के उत्पादन के अतिरिक्त सालाना 200 मिलियन टन कोयला इंडोनेशिया, चीन और ऑस्ट्रेलिया से आयात होता था। लेकिन अक्टूबर 2021 से इन देशों से आयात कम होना शुरू हुआ और आज स्थिति यह है कि सप्लाई पूरी तरह से प्रभावित है। अब पूरी निर्भरता कोल इंडिया पर ही है।

छत्तीसगढ़ से औसत से दोगुनी सप्लाई
एसईसीएल के बिलासपुर के मुताबिक औसतन 2.50 लाख टन कोयला का उत्पादन होता है। मगर, अप्रैल के पहले हफ्ते में यह मांग 3.70 लाख टन प्रतिदिन से बढ़ते हुए, 28 अप्रैल को 4.63 लाख टन प्रतिदिन तक जा पहुंची है। जो एसईसीएल की स्थापना  से लेकर अब तक सर्वाधिक है। कोल इंडिया द्वारा 5 लाख टन प्रतिदिन आपूर्ति करने की बात कही गई है।

छत्तीसगढ़ की स्थिति

  1. देश में रोजाना मांग, बिजली उत्पादन के लिए – 23 लाख टन
  2. एसईसीएल से रोजाना सप्लाई – 4.6 लाख टन
  3.  देशभर में बिजली संकट के बीच एसईसीएल से की गई है मांग – 05 लाख टन

छत्तीसगढ़ के इन जिलों में कोयले का उत्पादन

  • रायगढ़ :- तमनार , खरसिया , रायगढ़ , घरघोड़ा , धरमजयगढ़ , छाल क्षेत्र अदि ।
  • कोरबा :- कुसमुंडा , दीपका , गेवरा , मानिकपुर , रामपुर , सैला ।
  • सूरजपुर :- बिश्रामपुर , रामकोला ।
  • बिलासपुर :- हसदो , रामपुर क्षेत्र ।
  • सरगुजा :- मांड छाती , लखनपुर , बीरजुपली ।

लगातार लाइन में लगी हैं मालगाड़ी

Coal Crisis in india : SECL के अंतर्गत आने वाली कोरबा स्थित गेवरा और दीपका माइन्स में एक मालगाड़ी कोयले से भरती नहीं है कि दूसरी ट्रैक पर लोडिंग के लिए पहुंच जाती। दीपका माइन्स में कोयले की खुदाई कर इसे कन्वेयर बेल्ट से 3 किमी दूर ऊपर पहुंचाया जाता है, जहां मालगाड़ियां खड़ी होती हैं। एक मालगाड़ी में 46 रैक होते हैं। प्रत्येक में 62 टन कोयला ऑटोमेटिक सिस्टम के जरिए भरा जाता है। एक घंटे में पूरी मालगाड़ी भरकर रवाना की जा रही है। स्थिति यह है कि मालगाड़ियों से कोयला ढुलाई चल ही रही है, कुछ राज्यों ने संकट टालने के लिए ट्रक भी लगा दिए हैं। कोयला निकालने वाली कंपनी ने भी अपने कर्मचारियों की संख्या और काम के घंटे बढ़ा दिए हैं। छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं। रात-दिन काम जारी है। सभी का एक ही उद्देश्य है कि संकट को खत्म किया जा सके।छत्तीसगढ़ के बाद ओडिशा स्थित महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड से भी सप्लाई हो रही है। साल 2022-23 में छत्तीसगढ़ की खदानों से देश में सर्वाधिक 182 मिलियन टन कोयला आपूर्ति होगी।

सरकार के दावे पर सीएम भूपेश ने किया था पलटवार

केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि UPA के समय 566 मिलियन टन कोयला की आपूर्ति होती थी और आज हम 818 मिलियन टन आपूर्ति कर रहे हैं। सरकार के इस दावे पर छ्त्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पलटवार कर पूछा था कि ‘कोयले की कमी नहीं है, तो देशभर में ट्रेनें क्यों रद्द की जा रही हैं?’ बघेल ने कहा, ‘विदेश से इतना महंगा कोयला मंगा रहे हो और राज्यों को रॉयल्टी भी नहीं दे रहे हो। राज्यों के नुकसान पहुंचा रहे हो, यहां के कोयले को रॉयल्टी भी नहीं दे रहे हो।’ सीएम ने कहा, अगर कोयले कोई कमी नहीं है, तो यात्री ट्रेन सेवाएं क्यों बंद की गईं? छत्तीसगढ़ से 23 मालगाड़ियां कैंसिल हुईं, फिर रेल मंत्री से बात की तो 6 ट्रेनें चलाई गईं।

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पी चिदंबरम ने कसा था तंज

सीएम बघेल से पहले पूर्व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने शनिवार को देश के कई राज्यों में बिजली की कटौती को लेकर सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कोयला, विशाल रेल नेटवर्क, थर्मल प्लांट्स की क्षमता जिसका पूरा इस्तेमाल भी नहीं हो रहा। फिर भी बिजली की भारी कमी है। मोदी सरकार को दोष नहीं दिया जा सकता है। यह कांग्रेस के 60 सालों के शासन के कारण हुआ है। उन्होंने ट्वीट कर तंज कसते हुए लिखा, देश में गहराए संकट की वजह कोयला मंत्रालय, रेलवे मंत्रालय और ऊर्जा मंत्रालय बिल्कुल भी नहीं है। दोष उन विभागों के पूर्व कांग्रेसी मंत्रियों का है! मोदी हैं तो मुमकिन है

अब आगे क्या होगा

आने वाले दिनों में गर्मी बढ़ने के आसार हैं। इससे एक बार फिर मांग बढ़ेगी। ऐसे में कोयला कंपनियों से लेकर बिजली कंपनियों तक को इसके लिए तैयारी करनी होगी। देश में होने वाले कुल कोयला उत्पादन का 80 फीसदी कोल इंडिया करती है। रिकॉर्ड उत्पादन के बाद भी मांग और आपूर्ति का अंतर पट नहीं पा रहा है। इसे देखते हुए कोल इंडिया ने इस वित्त वर्ष में आपूर्ति को 4.6 फीसदी बढ़ाकर 565 मिलियन टन करने का लक्ष्य रखा है।

 

 
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