Professor Budhlal is shaping the future of children despite being born blind

Surajpur News: एक शिक्षक ऐसे भी.. जन्मजात नेत्रहीन होने के बावजूद मिसाल बनकर संवार रहे बच्चों का भविष्य, कर रहे ऐसे अनोखे काम

एक शिक्षक ऐसे भी.. जन्मजात नेत्रहीन होने के बावजूद मिसाल बनकर संवार रहे बच्चों का भविष्य, कर रहे ऐसे अनोखे काम Born blind professor Budhlal is doing such work to improve the future of children

Edited By :   Modified Date:  March 25, 2023 / 12:18 PM IST, Published Date : March 25, 2023/12:16 pm IST

Professor Budhlal is shaping the future of children despite being born blind: सूरजपुर। जो लोग छोटी-छोटी समस्याओं से हार मान जाते हैं, उन लोगों के लिए मिसाल साबित बन रहे हैं सूरजपुर कॉलेज के एक सहायक प्रोफेसर। जन्मजात नेत्रहीन होने के बावजूद इन्होंने यह साबित कर दिखाया है कि यदि आप में दृढ़ संकल्पित है तो कोई भी बाधा आपको मंजिल पाने से नहीं रोक सकती है। आज हम आपको ऐसे ही प्रोफेसर से मिला रहे हैं जो समाज के लिए तो एक मिसाल तो हैं ही, साथ ही बच्चों के भविष्य की भी आस है।

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बच्चों को पढ़ाते हुए शख्स बुधलाल, जो सूरजपुर के रेवती नारायण मिश्रा कॉलेज में सहायक प्रोफेसर के पद पर हैं। यह अन्य प्रोफेसरों की तरह सामान्य इंसान नहीं है। बुधलाल जन्मजात नेत्रहीन हैं, बावजूद इसके उन्होंने अपनी नेत्रहीनता को अपनी कमजोरी बनाने की बजाय अपनी ताकत में तब्दील कर लिया। बचपन में ही उनके सिर से पिता का साया उठ गया था। गांव के एक गरीब मां के साथ दोनों आंख से अंधा बच्चे का जिंदगी आसान नहीं थी। लोग बुधलाल और उसकी मां को भीख मांग कर गुजारा करने की सलाह दिया करते थे। ऐसी कई समस्याएं इस सहायक प्रोफेसर के जिंदगी में आई, लेकिन इन्होंने सभी चुनौतियों का सामना करते हुए आज हुए दूसरों के लिए एक मिसाल बन गए हैं। आज बुधलाल अपनी जिंदगी सामान्य रूप से जी रहे हैं। आज उनके परिवार में इनकी बूढ़ी मां के साथ इनकी पत्नी और बच्चे हैं।

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कॉलेज के अनुसार बुधलाल अन्य प्रोफेसर की तरह ही सामान्य रूप से उन्हें पढ़ाते तो हैं ही, लेकिन छात्रों के लिए वह प्रेरणा स्रोत भी हैं। छात्रों को किताबी ज्ञान के साथ ही जिंदगी में चुनौतियों से लड़ने की भी तालीम मिलती है।  सभी छात्र बुधराम का काफी सम्मान करते हैं। पुरानी कहावत है, जहां चाह है वहां राह है। इस कहावत को बुधराम ने सच साबित कर दिखाया है। यह समाज ही नहीं बल्कि विकलांग लोगों के लिए एक मिसाल है, जो लोग अपनी विकलांगता को कमजोरी मांगते हुए हार मान जाते हैं। IBC24 से नितेश गुप्ता की रिपोर्ट

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