शह मात The Big Debate: टैरिफ पर सियासी बवाल.. विपक्ष के सवाल ऊपर सवाल, क्या अमेरिकी दादागिरी के खिलाफ देश को एकसुर नहीं होना चाहिए?
टैरिफ पर सियासी बवाल.. विपक्ष के सवाल ऊपर सवाल, Trump declared India's economy dead, new debate starts in the country
रायपुरः US imposes tariffs on India अमेरिका में ट्रंप ने टैरिफ बम फोड़ा, जिसकी गूंज दिल्ली से रायपुर तक सुनाई दे रही है। हर ओर से प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। खासकर जब से ट्रंप ने भारत की इकोनॉमी को डेड करार दिया है। कांग्रेस ने उसे लपकते हुए केंद्र को घेरना शुरू कर दिया है। छत्तीसगढ़ भी इसे लेकर अछूता नहीं है। कांग्रेस इस हालात के लिए बीजेपी सरकार डबल इंजन सरकार वाला ताना देकर कोस रही है। सवाल है क्या वाकई सरकार इसके लिए दोषी है और क्या ऐसे वक्त में अमेरिका के फैसले के खिलाफ पूरे भारत को एक साथ एक पेज पर नजर नहीं आना चाहिए?
US imposes tariffs on India अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस ऐलान के बाद कि अमेरिका भारत से कारोबार पर, 1 अगस्त से 25% टैरिफ लगाएगा। देश-प्रदेश में सियासी प्रतिक्रियाओं की बाढ़ सी आ गई। भारत-अमेरिका के बीच ट्रेड-डील पर लंबी चली चर्चा के बावजूद अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने टैरिफ दर पर तर्क देते हुए गुरूवार को पोस्ट में लिखा कि मुझे परवाह नहीं की भारत रूस के साथ क्या करता है। दोनों देश चाहें तो अपनी डेड इकोनॉमी को एक साथ ले डूबें। आगे लिखा कि हमारा यानि अमेरिका का भारत के साथ बहुत कम व्यापार है.. क्योंकि भारत के टैरिफ दुनिया में सबसे ज्यादा हैं। ट्रंप के इस पोस्ट के बाद लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने ट्रंप के भारत की इकोनॉमी को डेड बताए जाने पर फौरन मोदी सरकार को निशाने पर लिया।
वैसे मसला पूरे देश का है लेकिन राहुल गांधी के रिएक्शन के बाद छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने भी मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रिया दी तो पलटवार में बीजेपी ने दो टूक कहा कि ये फैसला अमेरिका के लिए ही आत्मघाती होगा, भारत पर इसका कोई असर नहीं होगा। साफ है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के बार-बार बदलते रुख और प्रधानमंत्री मोदी के साथ दोस्ती के बावजूद 25 फीसद टैरिफ ने विपक्ष को केंद्र सरकार को सियासी तौर पर घेरने का मौका दिया है, दूसरी तरफ बीजेपी का ये दावा कि इसका देश की ईकोनॉमिक सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। इसके लिए थोड़ा इंतजार करना होगा। सवाल ये है कि इस मुद्दे पर प्रदेश में बयानों से सियासी घमासान क्या सिर्फ और सिर्फ अपने आलाकमान को खुश करने के लिए है ?

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