Vishnu Ka Sushasan: घर बैठे मिला समाधान.. पूरी हुई लोगों की आस, रजत जयंती वर्ष में सुशासन तिहार से दिखा नया बदलाव
घर बैठे मिला समाधान.. पूरी हुई लोगों की आस, Vishnu Ka Sushasan: New change seen in silver jubilee year from Sushasan Tihar
Vishnu Ka Sushasan. Image Source- IBC24
रायपुरः Vishnu Ka Sushasan: छत्तीसगढ़ राज्य का गठन एक नवम्बर सन 2000 को मध्य प्रदेश से अलग होकर हुआ। छत्तीसगढ़ राज्य इस वर्ष अपना रजत जयंती वर्ष मना रहा है। राज्य निर्माण के समय छत्तीसगढ़ में प्रशासनिक व्यवस्था पूरी तरह से विकसित नहीं थी और कई क्षेत्रों में प्रशासन की पहुँच सीमित थी। विशेषकर यह स्थिति आदिवासी बहुल और नक्सल प्रभावित इलाकों में अधिक देखी गई। तब का छत्तीसगढ़ और अब का छत्तीसगढ़ काफी बदल चुका है। इस रजत जयंती वर्ष में साय सरकार प्रारंभिक चुनौती को दूर करने पर प्रयास कर रही है और प्रशासनिक तंत्र को मजबूत कर रही है।
छत्तीसगढ़ एक प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर राज्य है, जहां वन, खनिज, और जलस्रोतों की भरमार है। लेकिन इन संसाधनों के बावजूद, राज्य के निर्माण के समय यहाँ प्रशासन की पहुँच सीमित थी। विशेष रूप से बस्तर, दंतेवाड़ा, सुकमा, और बीजापुर जैसे दक्षिणी आदिवासी बहुल क्षेत्रों में सरकारी संस्थाओं और सुविधाओं की उपलब्धता अत्यंत कम थी। राज्य बनने से पहले छत्तीसगढ़ को मध्य प्रदेश के एक पिछड़े इलाके के रूप में देखा जाता था, और वहाँ की प्रशासनिक प्राथमिकताएँ भी सीमित थीं। राज्य निर्माण के समय जो प्रशासनिक ढांचा था, वह मुख्यतः जिला मुख्यालयों तक सीमित था, और वहाँ से दूर गाँवों तक प्रशासन की सक्रिय उपस्थिति बहुत कम थी। कई गाँवों में पंचायत कार्यालय तक नहीं थे, और लोग बुनियादी प्रमाण-पत्रों या योजनाओं के लाभ के लिए मीलों दूर जिला कार्यालयों की दौड़ लगाते थे। लेकिन अब सरकार ने अपने प्रयासों से इसे और मजबूत बनाने का प्रयास किया है।
साय सरकार ने शुरू की सुशासन तिहार
छत्तीसगढ़ में प्रशासनिक पकड़ को मजबूत करने के लिए इस रजत जयंती वर्ष में साय सरकार ने अनेक पहल की। सुशासन तिहार इन पहलों में से एक है। शासन की पारदर्शिता, जनकल्याणकारी योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन और जनता की समस्याओं के त्वरित समाधान सुनिचिश्त करने के उद्देश्य से आयोजित इस तिहार ने राज्य में एक अलग माहौल बनाया। प्रशासनिक अधिकारियों को अपनी समस्या बताकर और उसके निराकऱण पाकर आम आदमी गदगद दिखे। यह अभियान न केवल व्यक्तिगत समस्याओं का समाधान किया, बल्कि सामुदायिक विकास को भी गति प्रदान किया। राज्य के मैदानी इलाकों से लेकर बस्तर जैसे क्षेत्रों में फौती नामांतरण, निःशक्तजनों ट्राइसायकिल, पात्र लोगों को जॉब कार्ड, श्रमिक कार्ड, राशन कार्ड और आयुष्मान कार्ड जैसे दस्तावेजों का वितरण इस बात का प्रतीक है कि सरकार प्रत्येक पात्र हितग्राही को शासकीय योजनाओं और कार्यक्रमों से लाभान्वित करने के लिए संकल्पित है।

“सुशासन एक्सप्रेस” से मिला समाधान
रायपुर जिला प्रशासन द्वारा मुख्यमंत्री के निर्देश में आम जनता को शासन की योजनाओं और सेवाओं को घर के समीप पहुंचाने की दिशा में “सुशासन एक्सप्रेस” नाम से एक अभिनव और अनुकरणीय पहल शुरू की गई है, जो जनसमस्याओं के त्वरित निदान मॉडल के रूप में स्थापित हुई है। इसका शुभारंभ 29 मई को मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने सुशासन तिहार के तहत ग्राम भैंसा में आयोजित समाधान शिविर में किया था। कलेक्टर डॉ. गौरव सिंह के मार्गदर्शन में प्रारंभ की गई इस पहल के माध्यम से हजारों ग्रामीणों को शासन की दो दर्जन से अधिक सेवाओं का लाभ सहजता से मिलने लगा है। ग्राम पंचायत संकरी के युवा उत्तम साहू के लिए खुशी का क्षण था जब घर बैठे ही उन्हें लर्निंग लाइसेंस मिल गया, जो उन्हें उनके गांव में आए सुशासन रथ ने दिया। उत्तम कहते हैं कि उनके घर में अन्य सदस्यों ने लाइसेंस बनाया तो गांव के बाहर जाना पड़ा था और समय भी लगा था, अब कुछ दिन पहले गांव में कोटवार ने हांका लगाया तो सुशासन रथ आने की जानकारी मिली। मैंने वहां जा कर आवेदन किया। प्रक्रिया पूरी हुई और मुझे लाइसेंस मिल गया।
सीएम साय ने जनदर्शन के जरिए खुद सुनी समस्या
लोगों की समस्या के समाधान के लिए सीएम साय लगातार प्रयास कर रहे हैं। विभिन्न जिलों से बड़ी संख्या में आए नागरिकों से मुख्यमंत्री ने स्वयं मुलाकात कर उनकी समस्याओं और अपेक्षाओं से अवगत हुए। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के निवास में आयोजित होने वाले मुख्यमंत्री जनदर्शन का सीधा लाभ आमजनों को मिल रहा है। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा आरंभ की गई “मुख्यमंत्री जनदर्शन” योजना प्रदेश के नागरिकों और शासन के बीच सेतु के रूप में कार्य कर रही है। यह पहल न केवल जनसुनवाई की एक आधुनिक और सक्रिय प्रणाली है, बल्कि यह लोकतंत्र को जमीनी स्तर पर मजबूती देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। मुख्यमंत्री जनदर्शन केवल शिकायतों का समाधान भर नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा मंच है जहाँ से शासन की नीतियां भी जनसामान्य से प्रेरणा लेकर बनती हैं। कई बार स्थानीय स्तर पर उठाई गई समस्याएँ नीति निर्माण का आधार बन जाती हैं। इससे शासन को वास्तविक ज़मीनी हालात का पता चलता है और नीतियाँ अधिक व्यवहारिक बनती हैं।

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