रायपुरः 2018 में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से लंबे समय तक खामोश रही भाजपा के तेवर बीते कुछ दिनों से मुखर होते दिखे हैं। केंद्र में भाजपा और राज्य में कांग्रेस की सरकार है तो जाहिर है सत्तापक्ष और विपक्ष में वार-पलटवार को दौर चलेगा। कांग्रेस ने केन्द्र पर कई बार भेदभाव का आरोप लगाए तो भाजपा ने केन्द्र की योजनाओं तक को ढंग से ना चला पाने का आरोप लगाया। ना तो ये आरोप नए हैं, ना इसके जवाब में आई दलीलें। सवाल ये है कि क्या ये सब सियासी है।
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छत्तीसगढ़ में कांग्रेस और भाजपा नेताओं के बीच ऐसी तीखी बयानबाजी कोई नई बात नहीं है। कांग्रेस सरकार ने केंद्र से एथेनॉल प्लांट, रायपुर में एयरपोर्ट कार्गो, धान खरीदी का कोटा बढ़ाने समेत कई मांगें रखी। कांग्रेस का आरोप है कि केन्द्र ने मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया। जिसका खामियाजा राज्य सरकार को आर्थिक रुप से भारी नुकसान उठाकर चुकाना पड़ रहा है। मसलन केंद्र से अतिशेष धान के लिए एथेनॉल प्लांट की अनुमति अभी तक नहीं मिली। जिससे राज्य सरकार को अऱबों रुपए का नुकसान हो रहा है। छत्तीसगढ़ में एयरपोर्ट कार्गों की अनुमति भी अभी तक नहीं मिली है। इस साल से केंद्र ने सेंट्रल पूल से उसना चावल खरीदी से इंकार कर दिया है। इन्हीं सब मुद्दों के चलते केन्द्र और राज्य के बीच जुबानी वार-पलटवार चलता रहा है।
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इधर,15 साल तक प्रदेश की सत्ता में काबिज रही भाजपा हर मोर्चे पर राज्य सरकार को फेल बता रही है। भाजपा का आरोप है कि प्रदेश सरकार केन्द्र सरकार की योजनाओं को ढंग से संचालित नहीं कर पा रही है। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक के मुताबिक PM आवास योजना, आयुष्मान योजना,वन नेशन वन कार्ड, श्रमिक और किसान सम्मान निधि योजना, जल शक्ति योजना केंद्र की किसी भी योजना का लाभ प्रदेशवासियों को नहीं मिल पा रहा है। भाजपा इन मुद्दों पर विरोध प्रदर्शन की तैयारी में है। कांग्रेस-भाजपा के बीच आरोप के बदले आरोप और केंद्र व राज्य सरकार के बीच वार-पटलवार। बड़ा सवाल ये कि इस सियासी लड़ाई से प्रदेश के लोगों को क्या मिलेगा।