रायपुर: करीब 8 साल बाद जीरम हमले की न्यायिक जांच रिपोर्ट राज्यपाल को सौंपे जाने के बाद छत्तीसगढ़ की सियासत गर्म हो गई है। कांग्रेस ने राज्यपाल को रिपोर्ट सौंपने पर आपत्ति जताते हुए इसे तय प्रक्रियाओँ का उल्लंघन बताते हुए रिपोर्ट को सरकार को सौंपने कहा है। वहीं बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस नहीं चाहती कि हमले का सच सामने आए, इसलिये तानाशाही रवैया अपना रही है। अब सवाल ये है कि न्यायिक जांच रिपोर्ट पर बयानबाजी के मायने क्या हैं? बीजेपी या कांग्रेस किसके आरोपों में ज्यादा दम है? आखिर जीरम हमले का सच कब सबके सामने आएगा?
आठ साल पहले इसी तारीख को नक्सलियों ने जीरम में खूनी खेल खेला था, जिसमें कांग्रेस के दिग्गज नेताओं सहित कुल 32 लोगों की मौत हो गई थी। घटना के बाद तत्कालीन रमन सरकार ने 28 मई 2013 को न्यायिक जांच आयोग की गठन की। जस्टिस प्रशांत मिश्रा की अध्यक्षता में गठित आयोग ने अपनी रिपोर्ट राज्यपाल अनुसुईया उइके को सौंप दी है। रिपोर्ट भले अभी सार्वजनिक नहीं हुई हो, लेकिन राज्यपाल को इसके सौंपे जाने पर सियासत जरूर गरमा गयी है। पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मान्य प्रक्रियाओं का उल्लंघन बताया और बिना किसी टिका- टिप्पणी के रिपोर्ट को जल्द राज्य सरकार को सौंपने की बात कही। वहीं वरिष्ठ वकील सुदीप श्रीवास्तव ने कहा कि तत्कालीन बीजेपी सरकार ने खुद जीरम घटना की 9 बिंदुओं पर जांच के लिए गठित आयोग को अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपने की बात कही थी।
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राज्यपाल को रिपोर्ट सौंपे जाने पर कांग्रेस ने आपत्ति जताई तो, बीजेपी ने पलटवार करते हुए कहा कि राज्य सरकार के सभी आदेश राज्यपाल के नाम से जारी होते है। ऐसे में कांग्रेस की आपत्ति तानाशाही रवैया है। वहीं विष्णुदेव साय ने कहा कि पीसीसी के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष कहते थे कि जीरम कांड के सबूत उनकी जेब में है, लेकिन जांच पूरी हो गई कोई सबूत नहीं दे पाए। अब इस मामले में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने तत्कालीन रमन सरकार और केन्द्र की मोदी सरकार पर हमला बोला है। साथ ही राज्य सरकार द्वारा गठित SIT का सहयोग नहीं करने पर NIA को कठघरे में खड़ा किया।
कुल मिलाकर साल बदला, सरकार बदली, लेकिन अब तक जीरम के पर्दे के पीछे का सच सामने नहीं आया है। अब जब 8 साल बाद न्यायिक जांच की रिपोर्ट राज्यपाल को सौंपी गई है, तो बीजेपी और कांग्रेस में फिर टकराव के हालात हैं। अब सवाल ये है कि राज्यपाल आयोग की रिपोर्ट को राज्य सरकार को सौंपती है कि नहीं? बड़ा सवाल ये भी कि इस मुद्दे पर राज्य सरकार का अगला कदम क्या होगा ?
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