Who oppose new mines in Chhattisgarh and why?

नई कोल खदान…क्यों हो रहा विरोध! आखिर कौन कर रहा नई खदानों का विरोध और क्यों ?

नई कोल खदान...क्यों हो रहा विरोध! आखिर कौन कर रहा नई खदानों का विरोध और क्यों ? Who oppose new mines in Chhattisgarh and why?

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:30 PM IST, Published Date : January 27, 2022/10:35 pm IST

रायपुर: Who oppose new mines  छत्तीसगढ़ देश के उन चुनिंदा राज्यों में शामिल है, जिसे कुदरत ने बेशुमार खनिज संसाधनों से नवाजा है। खास तौर पर कोल और आयरन जैसे प्रमुख खनिजों के लिए प्रदेश प्रमुख गढ़ रहा है। प्रदेश में कोल खदानों में माइनिंग की जिम्मेदारी फिलहाल SECL यानी साऊथ ईस्टर्न कोल फील्ड्स लिमिटेड के पास है। कोयले की बढ़ती डिमांड को देखते हुए SECL नई कोल खदानों को शुरू करने की योजना बना रहा है, जिसका खुलकर विरोध शुरू हो गया है। SECL पर किसानों और जनप्रतिनिधियों का आरोप है कि वो जमीन अधिग्रहण के बाद अपने वायदे नहीं निभाता। अहम बात ये कि ये आरोप पहली बार नहीं लगे हैं। आखिर कौन कर रहा नई खदानों का विरोध और क्यों ?

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Who oppose new mines  ये हैं कोरबा से कांग्रेसी सांसद ज्योत्सना महंत, जिन्होंने SECL की नई कोल खदानों का विरोध करते हुए आरोप लगाया कि SECL प्रबंधन न तो भू विस्थापितों को सही मुआवजा देता है और न ही लोगों का सहयोग करता है। महंत के बयान को इसलिए भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, क्योंकि SECL कुसमुंडा कार्यालय के सामने पिछले 88 दिनों से अपने हक के लिये धरने पर बैठे भू-विस्थापित इन्हीं मुद्दों पर प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि SECL के जमीन अधिग्रहण के सालों गुजर जाने के बाद भी ना तो इन्हें सही जगह जमीन मिली ना ही नौकरी।

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एक तरफ किसान अपनी बदहाली पर आंसू बहाते हुए प्रदर्शन कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ SECL बढ़ते कोल डिमांड को देखते हुए आने वाले दिनों में नई खदानों के लिए भटगांव के मदनपुर समेत पेलमा, दुर्गापुर, केतकी अंडरग्राउंड खदानो में एमडीओ के जरिए संचालन की कार्ययोजना पर काम कर रहा है। हालांकि, अभी ये प्लान कांसेप्ट लेवल पर है। इसके अलावा SECL की कोरबा, दीपका और रायगढ़ में बैलेंस लैंड के तहत जमीन लेने की योजना है, जहां भविष्य में खदाने शुरू की जा सकें। चलिए अब आपको सुनवाते हैं भू विस्थापितों, मुआवजे और रोजगार को लेकर SECL का क्या जवाब है।

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मामले में सियासी बयानबाजी भी शुरू हो चुकी है। चूंकि मामला केंद्र और राज्य दोनों से जुड़ा है तो दोनों पक्ष का कहना है कि जो जनता के हित में होगा, उस दिशा में काम करना चाहिए। इसमें कोई शक नहीं कि देश में कोयला आपूर्ति को लेकर SECL की बड़ी भूमिका है। पावर प्लांट्स से लेकर बड़े उद्योगों तक SECL ही कोयले की आपूर्ति करता है। लेकिन SECL प्रबंधन पर जमीन अधिग्रहण के बाद अपने वायदे ना निभाने को लेकर लगे आरोपों पर बार-बार विवाद की स्थिति बनना कई सवालों को जन्म देता है।

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