खुशी अउ उछाह के परब ‘पोरा-तिहार’ : किसानी मा साथ देवइया बइला के आभार जताथे किसान, जानव अउ का हे येकर महत्व

Chhattisgarh Folk Festival : People Bull worship on Pola Festival

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  • Publish Date - August 26, 2022 / 11:46 PM IST,
    Updated On - November 28, 2022 / 10:53 PM IST

Chhattisgarh Folk Festival छत्तीसगढ़ राज मा खेती किसानी ला सबो कोती करे जाथे। तेकरे सेती तो हमर राज ला धान के कटोरा कहे जाथे। कृषि प्रधान राज होय के सेती इहा के जम्मो तीज तिहार हा किसानी ले जुड़े हे। इहा के बारो महीना किसिम किसिम के तिहार हा हमर किसानी परम्परा ला दूसर राज के मनखे ला बताथे।

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Chhattisgarh Folk Festival संगवारी हो, किसान अउ बइला हा एक दूसर के पर्याय आय। एक दूसर के नइ रेहे ले किसानी नइ हो सकय। दुनो के बिना परम्परागत खेती के कल्पना नइ करे जा सकय। आसाढ़ महीना के बतर बोवाई ले उपजाय फसल के मिंजाई कुटाई तक किसानी मा उपयोग होवइया उपकरण बर बइला के जरूरत होथे। तेकरे सेती तो बइला ला किसान के जिनगी के संगवारी कहे जाथे। छत्तीसगढ़ राज मा पोरा तिहार हा किसान अउ बइला के सम्बन्ध ला बताथे।

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भादो अमावास के मनाय जाथे तिहार

पोरा तिहार ला भादो महीना के आमवास तिथि के मनाये जाथे। किसान भाई मन पोरा तिहार के दिन अपन किसानी जिनगी के असली संगवारी बइला के पूजा करथे। ये दिन किसनहा संगवारी मन हुम-धुप देके नरियर गुलाल अउ पिंवरी चाउर ला बइला मा टीक के गुरहा चीला के संगे संग ठेठरी खुरमी सोहारी पपची ला जेवाथे। एकर संग घर के माई कुरिया मा माटी के बइला बनाके पूजा पाठ करे जाथे। किसान मन तुहरे भरोसा ले हमर किसानी जिनगी ला सफल हो पाथे। तुहरे भरोसा ले हम सबो किसान मन धरती दाई ला हरियर कर पाथन अउ ये जगत बर अन्न उपजाथन। अइसने साथ सदादिन मिलत रहय काहत बइला के धन्यवाद करथे।

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नोनी मन खेलथे चुकी पोरा के खेल

दूसर कोती लइका मन माटी के बनाये बइला ला समहरा के ओमा बास के काडी मा सीली लगाके गांव भर मा घुमाथे। नोनी मन चुकी पोरा के खेल खेलथे। जम्मो गांव मा ये तिहार के दिन खुसी के माहौल रथे। गांव गांव मा बइला दउड, सगापना के खेल के संगे संग आनी-बानी के खेल होथे।