गुरु घासीदास की जयंती पर छत्तीसगढ़ में हर्षोल्लास, उनके आदर्शों से शहीद वीर नारायण सिंह भी थे प्रभावित
गुरु घासीदास की जयंती पर छत्तीसगढ़ में हर्षोल्लास, उनके आदर्शों से शहीद वीर नारायण सिंह भी थे प्रभावित
रायपुर: पूरे छत्तीसगढ़ में आज सतनाम पंत के समर्थक बाबा गुरु घासीदास की जयंती मनाई जा रही है। बाब घसीदास सतनामी धर्म के प्रवर्तक माने जाते हैं। बाबा घसीदास ने जाति-धर्म, समाजिक आर्थिक विसमता और शोषण को समाप्त कर आपसी सदभावना और प्रेम का संदेश दिया। बाबा घसीदास का समाधी स्थल बलौदाबाजार जिले के गिरौधपुरी में स्थित है, यहां हर साल हजारों लोग आते हैं।
बाबा घसीदास का जन्म 18 दिसंबर 1756 को गिरौद नामक गांव में मंहगू दास तथा माता का नाम अमरौतिन के घर हुआ था। वे बचपन से कई चमत्कार दिखाए, जिसका लोगों पर काफी प्रभाव पड़ा। ऐसा कहा जाता है कि गुरु घसीदास को ज्ञान की प्राप्ति रायगढ़ जिले के सारंगढ़ तहसील के एक गांव के बाहर पेड़ के नीचे तपस्या करते हुए थी। आज यहां बाबा घासीदास की स्मृति में पुष्प वाटिका का निर्माण किय गया है।
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गुरु घासीदास ने लोगों जात-पात की भावना को दूर कर समाज के बीच एकता का संदेश दिया। छत्तीसगढ़ के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी शहीद वीर नारायण सिंह भी उनके सिद्धांतों से प्रभावित थे। साल 1901 के जनगणना के अनुसार लगभग 4 लाख लोग सतनाम पंत से जुड़ चुके थे, लेकिन आज बाबा घसीदास को आदर्श मानने वालों की संख्या करोड़ों में है।
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बाबा घासीदास ने समाज के लोगों को दिया 7 संदेश
1.सतनाम के ऊपर विश्वास रखना है
2. जीव हत्या नहीं करना है
3. मांस का सेवन नहीं करना है
4. चोरी, जुआ से दूर रहना
5. नशा पान करना मना है
6. जात-पात के प्रपंच में नहीं पड़ना है
7. व्याभिचार नहीं करना है

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