वित्तीय घाटे की भरपाई के लिए तेल पर भारी टैक्स लगा रही मोदी सरकार, पिछली सरकारों को दोष दे कर जनता से झूठ बोल रहे पीएम : विकास उपाध्याय

वित्तीय घाटे की भरपाई के लिए तेल पर भारी टैक्स लगा रही मोदी सरकार, पिछली सरकारों को दोष दे कर जनता से झूठ बोल रहे पीएम : विकास उपाध्याय

वित्तीय घाटे की भरपाई के लिए तेल पर भारी टैक्स लगा रही मोदी सरकार, पिछली सरकारों को दोष दे कर जनता से झूठ बोल रहे पीएम : विकास उपाध्याय
Modified Date: November 29, 2022 / 07:56 pm IST
Published Date: February 19, 2021 9:40 am IST

असम(डिब्रूगढ़)। कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव विकास उपाध्याय आज असम के डिब्रूगढ़ में देश में तेल और गैस की बढ़ती रिकॉर्ड कीमतों को लेकर मोदी सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा,बीजेपी की मोदी सरकार इसे सजा के तौर पर इस्तेमाल कर रही है और आजाद भारत के लोगों को मोदी झूठ बोल रहे हैं कि इसके लिए पिछली सरकारें दोषी हैं। जबकि वास्तविकता ये है कि देश में वित्तीय घाटे की भरपाई करने के लिए मोदी सरकार तेल पर भारी टैक्स लगा रही है। उसे लोगों को राहत पहुंचाने की कोई चिंता नहीं है।उन्होंने कहा, सरकार अब तक इस कमाई के जरिए 25 लाख करोड़ रु से ज्यादा की रकम खजाने में जमा कर चुकी है।

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कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव विकास उपाध्याय ने देश में गैस और तेल की बढ़ती कीमतों को लेकर बड़ा बयान दिया है, उन्होंने  आरोप लगाया है कि तेल की बढ़ती कीमतों के लिए  सिर्फ और  सिर्फ मोदी सरकार दोषी है, मोदी सरकार ने देश के लोगों को महंगाई के आग में झोंक दिया है। विकास उपाध्याय ने कहा मनमोहन सिंह की सरकार के वक्त क्रूड के अंतरराष्ट्रीय कीमत 120 डॉलर पर चले गए थे। तब भी भारत में तेल इतना महंगा नहीं था। आज अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल की क़ीमत 63 डॉलर पर है और पेट्रोल 100 रुपये पर पहुंच गया है। तो क्या इसके लिए पिछली सरकारें जिम्मेदार हैं? विकास उपाध्याय ने कहा,प्रधानमंत्री मोदी देश के सामने झूठ बोल रहे हैं। जबकि 2015 से ही अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल की क़ीमतें कम हैं, लेकिन भारत में पेट्रोल और डीज़ल की कीमतों में लगातार इजाफा ही हुआ है।विकास ने कहा इसकी सबसे बड़ी वजह इस पर लगने वाला टेक्स है। 2013 तक पेट्रोल पर केंद्र और राज्यों के टैक्स मिलाकर करीब 44% तक होता था। अब ये टैक्स 100-110 फ़ीसदी तक कर दिया गया है।

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विकास उपाध्याय ने इसके लिए काफी हद तक आम लोगों की ओर से इस महंगाई पर कोई चर्चा या बहस का नहीं होना भी बताया है। विकास उपाध्याय ने कहा कि ऐसा लग रहा है जैसे देश के लोगों ने ही प्रधानमंत्री मोदी को लूट की पूरी आजादी दे दी है। यही वजह है कि तेल की कीमतों में लगातार जारी महंगाई से मोदी सरकार जरा भी चिंतित नहीं है। विकास उपाध्याय यहीं नहीं रुके आगे उन्होंने कहा, इस तरह के मसलों पर जब देश हित की बात आ जाए तो पूरे विपक्ष को जोरदार तरीके से आवाज उठानी चाहिए। उन्होंने कहा कि आज विपक्ष जो बड़े तौर पर बिखरा हुआ है उसे एकजुट होने की जरूरत है और यह जिम्मेदारी राहुल गांधी ही बेहतर तरीके से निभा सकते हैं। ताकि सरकार को ईंधन की कीमतों पर अपना नियंत्रण फिर से करने मजबूर होना पड़े जिससे कि आम लोगों को राहत मिल सके।

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विकास उपाध्याय ने बढ़ती कीमतों का आंकड़ा प्रस्तुत करते हुए कहा, बिना सब्सिडी वाले रसोई गैस सिलेंडर की कीमत बढ़कर आज 769 रु हो गई है। बीते दो महीनों में ही एलपीजी गैस की कीमतें 175 रुपये प्रति सिलेंडर बढ़ी हैं। इस तरह से इसकी कीमतें कई फीसदी ऊपर बढ़ चुकी है। इसी तरह तेल की कीमतों में वृद्धि की बात करें तो पेट्रोल की बेस कीमत 32.10 रुपये प्रति लीटर बनती है। इसमें पेट्रोल की बेस कीमत 31.82 रु के साथ डीलरों पर लगने वाला 0.28 रुपये प्रति लीटर का ढुलाई भाड़ा शामिल है।अब इस पर 32.90 रुपये एक्साइज ड्यूटी लगती है। इसके बाद 3.68 रुपये डीलर कमीशन बैठता है। अब इस पर वैट लगता है, जो कि 20.61 रुपये प्रति लीटर बैठता है। इन सब को जोड़कर पेट्रोल की रिटेल कीमत 89.29 रुपये प्रति लीटर बैठती है।
पेट्रोल की कीमत यानी 35.78 रु (इसमें ढुलाई भाड़ा और डीलरों का कमीशन शामिल है) के मुकाबले ग्राहकों की चुकाई जाने वाली 89.29 रुपये प्रति लीटर की कीमत को देखें तो ग्राहकों को 53.51 रुपये टैक्स के तौर पर देने पड़ते हैं।
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विकास उपाध्याय ने कहा,  सरकार के पास पेट्रोलियम उत्पादों के दाम घटाने के विकल्प पूरी तरह से मौजूद है और ये पूरी तरह से सरकार के हाथ में है। मोदी सरकार टैक्स घटाकर ईंधन सस्ता कर सकती है और लोगों को राहत दे सकती है। लेकिन, सरकार ऐसा करना ही नहीं चाहती है। जबकि आर्थिक रूप से मुश्किलों के भयंकर दौर से गुजर रहे पाकिस्तान में भी पेट्रोल सस्ता है। इसके बावजूद भारत में ईंधन की कीमतें पूरे विश्व में ऊंची दर पर बनी हुई हैं। इससे साफ जाहिर है कि मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों को लेकर  सोच स्पष्ट नहीं है। सरकार के लिए घरेलू गैस सिलेंडर, पेट्रोल और डीजल कमाई का एक जरिया बन गया है। चूंकि ये जीएसटी के दायरे में नहीं आते हैं, ऐसे में इन पर टैक्स बढ़ाने के लिए सरकार को जीएसटी काउंसिल में जाना नहीं पड़ता है। जिसका केन्द्र सरकार पूरा फायदा उठा रही है।


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