जैविक खाद बना आय का जरिया, महिला स्वसहायता समूह ने गांव में ही शुरु किया खुद का व्यापार | Organic fertilizer becomes a source of income Women's Self Help Group started its own business in the village itself

जैविक खाद बना आय का जरिया, महिला स्वसहायता समूह ने गांव में ही शुरु किया खुद का व्यापार

जैविक खाद बना आय का जरिया, महिला स्वसहायता समूह ने गांव में ही शुरु किया खुद का व्यापार

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:00 PM IST, Published Date : June 4, 2020/7:45 am IST

रायपुर। छत्तीसगढ़ में महिलाओं को अब अपने गांव में ही कमाई के कई रास्ते मिलने लगे हैं। खेती-किसानी और घर के कामों के साथ महिलाओं ने अतिरिक्त आय के जरिए को अपना रही हैं। इससे न सिर्फ उनमें आत्मनिर्भरता आई है बल्कि उनका हौसला भी बढ़ा है। राज्य सरकार भी महिलाओं के इसी आत्मविश्वास को जगाकर उन्हें आगे बढ़ने में मदद कर रही है। आगे बढ़ रहीं इन्ही सबलाओं में बेमेतरा जिले के साजा विकासखण्ड के ग्राम पंचायत टिपनी की जय महामाया स्व सहायता समूह की 12 महिलाएं भी शामिल हैं जिन्होंने अपने काम से अपनी पहचान बनाई है। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान) अन्तर्गत प्रशिक्षण लेने के बाद समूह की महिलाओं ने 14 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट की बनाकर कर 24 हजार रु कमाए हैं। ये महिलाएं अब वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाने के साथ ग्रामीणों को पारंपरिक खाद बनाने का प्रशिक्षण भी दे रही हैं।

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समूह द्वारा विगत 7 माह से जैविक खाद बनाने का काम किया जा रहा है। अब तक उनके द्वारा गांव के किसानो को 14 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट खाद 10 रूपये प्रति किलो की दर से बिक्री कर 14 हजार रुये और 2500 प्रति ट्राली की दर से 4 ट्राली बेस्ट डी कम्पोस्ट खाद (उपचारित गोबर खाद) बिक्री कर 10 हजार रूपए कुल 24 हजार रूपये की आय अर्जित की है। महिलाओं ने बताया कि खाद निर्माण में प्रति किलो 4 रु का व्यय होता है जबकि बिक्री प्रति किलो रुपए 8 से 10 रु की दर से होती है इससे प्रति किलो 4 से 6 रु का लाभ प्राप्त हो जाता है।

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समूह की महिलाओं ने बताया कि किसानो द्वारा बोए गए ये फसलों के लिए प्राकृतिक खाद काफी लाभदायक साबित हो रहा है। वर्मी कम्पोस्ट खाद रासायनिक खाद की अपेक्षा भूमि के लिए ज्यादा उपयोगी है। इससे पर्यावरण के साथ भूमि को कोई नुकसान नहीं होता है बल्कि इसके भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ती है और फसल की पैदावार भी अच्छी होती है। उन्होंने बताया कि जैविक खाद बनाने से पहले समूह की अध्यक्ष इन्द्ररानी देवांगन, सचिव क्रांती साहू सहित सदस्यों को थानखम्हरिया के ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी द्वारा प्रशिक्षण दिया गया। कम्पोस्ट खाद बनाने के लिए टैंक बनाकर उसमें सूखी पत्तियों को सड़ाया जाता है,साथ ही खली, नीम के पत्ते,अनाज का भूसा और गोबर का उपयोग भी किया जाता है। मिश्रण में निर्धारित मात्रा में डाले गये केचुए इसे खाद में परिवर्तित कर देते हैं। इसमें एक से डेढ माह का समय लगता है।

 
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