धार । परीक्षा की अहमियत क्या होती है, इसे एक आम आदमी बेहतर समझता है। एक गरीब मजदूर अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए सब कुछ झोंक देता है। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण धार में नजर आया। दरअसल प्रदेश में ‘रुक जाना नहीं’ अभियान के तहत परीक्षाएं चल रही हैं। जिसमें 10वीं और 12वीं परीक्षा में असफल स्टूडेंट्स को एक और मौका दिया जा रहा है।
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धार जिले के मनावर के बयडीपूरा गांव का आशीष भी ऐसे स्टूडेंट्स में से एक है, आशीष का परीक्षा केन्द्र धार में था। कोरोना के चलते बसे भी नहीं चल रही है, ऐसे में आशीष के पिता शोभाराम अपने बेटे को साइकिल पर बैठाकर अपने गांव से 85 किलोमीटर दूर परीक्षा केन्द्र पहुंचे और अपने बेटे को परीक्षा दिलवाई।
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मजदूर शोभाराम का कहना है… कि वो मजदूर हैं… लेकिन अपने बेटे को पढ़ा लिखाकर अफसर बनाना चाहते हैं। वहीं अधिकारियों का कहना है कि अगर स्टूडेंट्स ने उन्हें जानकारी दी होती… तो वक्त पर उसकी मदद की जाती।बहरहाल अपने बेटे के भविष्य को लेकर शोभाराम के जूनून की हर कोई तारीफ कर रहा है।