नेपाल, भूटान सीमाओं पर सुरक्षा को और मजबूत करने के वास्ते एसएसबी की 12 नई बटालियनों को मंजूरी

नेपाल, भूटान सीमाओं पर सुरक्षा को और मजबूत करने के वास्ते एसएसबी की 12 नई बटालियनों को मंजूरी

नेपाल, भूटान सीमाओं पर सुरक्षा को और मजबूत करने के वास्ते एसएसबी की 12 नई बटालियनों को मंजूरी
Modified Date: November 29, 2022 / 08:12 pm IST
Published Date: March 3, 2021 12:10 pm IST

(नीलाभ श्रीवास्तव)

नयी दिल्ली, तीन मार्च (भाषा) सरकार ने भूटान और तिब्बत से सटे सिक्किम में त्रिकोणीय जंक्शन क्षेत्र समेत इन मोर्चों पर सुरक्षा को और सुदृढ़ करने के लिए नेपाल और भूटान की सीमाओं के वास्ते एसएसबी की 12 नई बटालियनों को मंजूरी दी है। इन बटालियनों में 13 हजार से अधिक जवान शामिल होंगे। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

हालांकि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सीमा बल के लिए एक नए सीमांत क्षेत्र का निर्माण करने से इनकार कर दिया है।

 ⁠

सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) में लगभग 90,000 जवान हैं जो नेपाल (1,751 किलोमीटर) और भूटान (699 किलोमीटर) के साथ खुले भारतीय मोर्चों की रक्षा करते हैं।

एसएसबी के महानिदेशक (डीजी) कुमार राजेश चन्द्र ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि अगले चार वर्षों में 12 नई बटालियनों को चरणबद्ध ढंग से तीन-तीन इकाइयों में स्थापित किया जायेगा।

महानिदेशक ने कहा, ‘‘एसएसबी के लिए नई बटालियनों और प्रतिष्ठानों के निर्माण को सरकार द्वारा स्वीकृति प्रदान करना बहुत सहायक है। नई मानवशक्ति यह सुनिश्चित करेगी कि सीमा सुरक्षा मजबूत हो।’’

एसएसबी प्रमुख ने कहा कि सरकार ने नेपाल सीमा के साथ चार आईसीपी (एकीकृत जांच चौकियों) पर तैनाती के लिए बल में कुल 548 पद स्वीकृत किए हैं, जिनमें से दो पहले से ही जोगबनी और रक्सौल (दोनों बिहार) में संचालित हैं।

चन्द्र ने कहा, ‘‘हम गृह मंत्रालय के आभारी हैं क्योंकि ये मंजूरी ऐसे समय में दी गई हैं जब कोई नया पद सृजित नहीं किया जा रहा है। हम नई मंजूरियों को लागू करने की प्रक्रिया में हैं।’’

गृह मंत्रालय (एमएचए) द्वारा मंजूर किये गये सीमा बल के एक आधिकारिक प्रस्ताव के अनुसार, नई बटालियनों का उपयोग अंतर-सीमा चौकी दूरी को कम करने, नेपाल और भूटान के साथ व्यापार और पारगमन मार्गों को मजबूत करने और सिक्किम में त्रिकोणीय जंक्शन क्षेत्र में एसएसबी की ताकत को और बढ़ाने में किया जायेगा।

एक बटालियन में एक हजार से अधिक कर्मी शामिल होंगे।

भाषा

देवेंद्र माधव

माधव


लेखक के बारे में