2020 दिल्ली दंगे: अदालत ने अभियोजन पक्ष की खिंचाई की

2020 दिल्ली दंगे: अदालत ने अभियोजन पक्ष की खिंचाई की

2020 दिल्ली दंगे: अदालत ने अभियोजन पक्ष की खिंचाई की
Modified Date: October 21, 2025 / 10:33 pm IST
Published Date: October 21, 2025 10:33 pm IST

नयी दिल्ली, 21 अक्टूबर (भाषा) राष्ट्रीय राजधानी के उत्तर-पूर्वी जिलें में 2020 में हुए दंगों के एक मामले की सुनवाई कर रही अदालत ने जांच और आरोपपत्र दाखिल करने के तरीके को लेकर अभियोजन पक्ष की खिचांई करते हुए कहा कि उसने ‘‘बड़ी गड़बड़ी ’’ कर दी है और इसे सुधारात्मक कार्रवाई के लिए दिल्ली पुलिस आयुक्त को भेजा जता है।।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश परवीन सिंह ने दयालपुर पुलिस थाने द्वारा दर्ज मामले में आरोप तय करने पर दलीलें सुनते हुए यह टिप्पणी की।

अदालत ने 16 अक्टूबर को जारी आदेश में कहा, ‘‘ऐसा प्रतीत होता है कि अभियोजन ने इस मामले को बड़ी गड़बड़ी कर दी है।’’

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अदालत ने कहा कि पूर्ववर्ती न्यायाधीश ने फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए सांप्रदायिक दंगों के दौरान दो अलग-अलग भीड़ के बीच हुई झड़प के मामले में आरोपपत्र द्वारा पैदा किए गए पूर्ण भ्रम के बारे में स्पष्ट टिप्पणी की थी।

न्यायाधीश ने फैसले में कहा कि दोनों भीड़ के सदस्यों, जिनके उद्देश्य अलग-अलग थे, को एक ही आरोप पत्र में कई अपराधों के लिए आरोपी बनाया गया है और भीड़ की भूमिका के बारे में कोई स्पष्टता नहीं है, जैसे कि किस भीड़ ने किस विशिष्ट स्थान पर और किस संपत्ति को नुकसान पहुंचाया, दंगा किया या आगजनी की।

अदालत ने पिछले न्यायाधीश द्वारा कुछ शिकायतों की जांच करने के आदेश पर भी संज्ञान लिया, जिनमें तीन लोगों – आजाद, जैद और सरला देवी की शिकायतें भी शामिल थीं।

इसमें कहा गया है कि आदेश के बाद, अभियोजन पक्ष ने शुरू में आरोपपत्र से कुछ शिकायतों को वापस लेने का अनुरोध किया। हालांकि, अदालत के कुछ सवालों का सामना करने पर, विशेष लोक अभियोजक ने तीसरा पूरक आरोपपत्र दाखिल करने का अनुरोध किया।

अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने नई अतिरिक्त अंतिम रिपोर्ट के माध्यम से आगे की जांच की आवश्यकता के आधार पर सात शिकायतों को वापस लेने की मंशा जताई है, साथ ही दो आरोपियों को बरी करने का भी अनुरोध किया है।

अदालत ने अभियोजन पक्ष की इस दलील पर संज्ञान लिया कि इन शिकायतों के लिए अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज की जाएंगी और उसके बाद जिन दो व्यक्तियों को आरोपमुक्त करने का अनुरोध किया गया है, उनके खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया जाएगा।

न्यायाधीश सिंह ने प्रस्तु साक्ष्यों पर संज्ञान लेते हुए अभियोजन पक्ष को पिछले न्यायाधीश के आदेश का पालन न करने के लिए फटकार लगाई।

अदालत ने कहा, ‘‘स्पष्टतः, निर्देशानुसार आगे की जांच करने तथा अदालत को यह दिखाने के बजाय कि किस प्रकार ये दोनों गिरोह एक ही उद्देश्य से जुड़े हो सकते थे, अभियोजन पक्ष ने, यदि मैं इतना साहस कर सकूं तो, उस आदेश को दरकिनार करने का प्रयास किया है।’’

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘इसलिए, यह स्पष्ट है कि पूरा मामला, जिसके तथ्य पहले से ही अस्पष्ट थे, इस पूरक आरोप पत्र से और अधिक भ्रम में पड़ गया है और पुलिस ने वास्तव में 21 जनवरी, 2025 (पूर्ववर्ती न्यायाधीश के) के आदेश का पालन करने की जहमत नहीं उठाई है।’’

उन्होंने निर्देश दिया कि आदेश की एक प्रति दिल्ली पुलिस आयुक्त को भेजी जाए, जिन्हें ‘‘सुधारात्मक कार्रवाई सुनिश्चित करनी होगी’’ तथा यह देखना होगा कि पिछले न्यायाधीश के आदेश का अनुपालन किया गया है।

अदालत ने कहा, ‘‘यह भी निर्देश दिया जाता है कि पुलिस आयुक्त यह सुनिश्चित करें कि उनके या क्षेत्र के विशेष आयुक्त द्वारा विधिवत हस्ताक्षरित एक रिपोर्ट अगली सुनवाई की तारीख (14 नवंबर) को या उससे पहले अदालत में प्रस्तुत की जाए।’’

भाषा धीरज संतोष

संतोष


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