मुंबई। 26 नवंबर को मुंबई पर हुए आतंकी हमलों को 10 वर्ष पूरे हो गए हैं। इस हमले में 29 विदेशी नागरिक सहित 166 लोग मारें गए थे। लेकिन इतने वर्ष बाद भी उन लोगों के जख्म अब तक ताजा है जिन्होंने इस हमले में किसी अपने को खोया था। इस आतंकी हमले को आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने अंजाम दिया था। हमले के जिंदा सबूत के रुप में लश्कर के आतंकी अजमल आमिर कसाब को मुंबई पुलिस ने जिंदा पकड़ा था।
कसाब को पकड़ना इतना आसान भी नहीं था। उसे पकड़ने की कोशिश में मुंबई पुलिस के असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर तुकाराम ओंबले शहीद हो गए थे। कसबा को पकड़ने वाली जिस टीम को बाद में वीरता के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार भी मिला, ओंबले उसी टीम का हिस्सा थे। असिस्टेंट इंस्पेक्टर संजय गोविलकर भी उस टीम में तुकाराम के साथ थे। गोविलकर आज 50 वर्ष की आयु में मुंबई पुलिस के ईओडब्ल्यू में तैनात हैं। गोविलकर को आज भी वह दिन और घटना इस तरह याद है मानो यह कल की ही बात हो।
गोविलकर बताते हैं कि हमले वाली रात वह अपने घर पर थे, इसी औरान टीवी पर गोलियां चलने की आवाज आई। गोविलकर फौरन अपनी अपनी पत्नी से यह कहते हुए निकल गए कि उन्हें लौटने में देर हो जाएगी। तब जिस पुलिस थाना में उनकी ड्यूटी थी, उसे गिरगाम चौपाटी पर नाकेबंदी करने का आदेश मिला था। गोविलकर 13 लोगों की टीम के साथ ये ड्यूटी निभाने निकल गए। रात करीब सवा बारह बजे वायरलेस पर मैसेज आया कि वाल्केश्वर की ओर जा रही एक स्कोडा पर पर नजर रखी जाए।
गोविलकर बताते हैं कि मैसेज के करीब 15 मिनट बाद ही स्कोडा वहां पहुंचती नजर आई। सड़क पर बैरिकेड था और गोविलकर करीब 50 फीट दूर खड़े थे। स्कोडा के नजदीक पहुंचते ही पुलिस गाड़ी की ओर बढ़ी। यह देखकर स्कोडा के ड्राइवर ने गाड़ी सड़क डिवाइडर पर चढ़ा दी। गाड़ी में दरअसल आतंकी इस्माइल खान था और वही आतंकियों की टीम को लीड कर रहा था। गाड़ी के डिवाइडर पर चढ़ते ही पुलिस टीम दो हिस्सों में बंट गई। आतंकी फायर करने लगे। पुलिस की जवाबी फायरिंग में स्कोडा का ड्राइवर घायल हो गया। पैसेंजर साइड में अजमल कसाब बैठा था, जिसके बाएं हाथ में गोली लगी थी।
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पुलिस ने उसे आत्मसमर्पण करने के लिए कहा, लेकिन उसने पैरों के पास रखी एके-47 निकाली और फायरिंग शुरु कर दी। इधर कसाब ने ट्रिगर दबाया और तुकाराम ओंबले ने उसके गन की बैरल पकड़ ली। ओंबले को 6 से 7 गोली लगी। एक गोली गोविलकर को भी लगी। गोलियां खत्म होने पर कसाब फिर से मैगजीन लोड करने लगा, इसी दौरान पुलिस टीम लाठी और डंडे से उस पर टूट पड़ी। जब तक दूसरे पुलिस ऑफिसर्स वहां पर पहुंचते, गोविलकर और उनके साथियों ने कसाब को जिंदा पकड़ लिया था। इसके बाद गंभीर रुप से घायल ओंबले को अस्पताल ले जाया गया, जहां वे शहीद हो गए। जबकि गोविलकर को 4 दिन बाद अस्पताल से छुट्टी मिली।