ईरान के ‘आइने-कारी’ समेत 67 सांस्कृतिक उत्सव और कलाएं यूनेस्को की विरासत सूची में शामिल
ईरान के ‘आइने-कारी’ समेत 67 सांस्कृतिक उत्सव और कलाएं यूनेस्को की विरासत सूची में शामिल
नयी दिल्ली, 11 दिसंबर (भाषा) फारसी वास्तुकला में ईरान की दर्पण कला ‘आइने-कारी’, संयुक्त अरब अमीरात की एक पारंपरिक कला शैली और स्विट्जरलैंड की ‘योडलिंग’ (विभिन्न स्वरों के उपयोग से जुड़ी एक गायन कला) को बृहस्पतिवार को यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल किया गया।
नौ से 11 दिसंबर की अवधि के दौरान, भारत की दीपावली सहित कुल 67 सांस्कृतिक उत्सवों और कलाओं को यूनेस्को की विभिन्न अमूर्त विरासत सूचियों में शामिल किया गया है।
इनमें अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची में शामिल 11 उत्सव और कलाएं शामिल हैं जिन्हें तत्काल संरक्षण की आवश्यकता है, और मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में 50 से अधिक प्रविष्टियां शामिल हैं।
नए सूचीबद्ध शिल्पों में संयुक्त अरब अमीरात की पारंपरिक बुनाई कला ‘अल सादू’ और चीन की कथाकला ‘हेझेन यिमाकन’ भी शामिल हैं। इन दोनों को ‘‘तत्काल संरक्षण की आवश्यकता वाली अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची’’ से हटाकर ‘‘मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची’’ में शामिल किया गया है।
यह निर्णय आठ से 13 दिसंबर तक दिल्ली के लाल किले में आयोजित अमूर्त सांस्कृतिक विरासत संरक्षण अंतर-सरकारी समिति के 20वें सत्र के दौरान लिया गया।
लगभग 80 देशों द्वारा प्रस्तुत नामाकंनों की चरणबद्ध जांच मंगलवार को शुरू हुई और बृहस्पतिवार को पूरी हो गई।
यह पहली बार है कि भारत अमूर्त सांस्कृतिक विरासत संरक्षण के लिए गठित अंतर-सरकारी समिति के सत्र की मेजबानी कर रहा है।
दीपावली, इतालवी पाक कला और इराक के ‘अल-मुहैबी’ समेत अन्य चीजों को यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में शामिल किया गया है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘‘कुल 67 जीवंत विरासत तत्वों को यूनेस्को की सूचियों में जोड़ा गया है।’’
भाषा शफीक प्रशांत
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