Chardham Yatra 2025: चारधाम यात्रा में अब तक 80 श्रद्धालुओं की मौत, जानिए क्यों पहाड़ों पर पहुंचते ही थम जाती है लोगों की सांसे? क्या है इसकी वजह

Chardham Yatra 2025: चारधाम यात्रा में अब तक 80 श्रद्धालुओं की मौत, जानिए क्यों पहाड़ों पर पहुंचते ही थम जाती है लोगों की सांसे? क्या है इसकी वजह

Chardham Yatra 2025: चारधाम यात्रा में अब तक 80 श्रद्धालुओं की मौत, जानिए क्यों पहाड़ों पर पहुंचते ही थम जाती है लोगों की सांसे? क्या है इसकी वजह

Chardham Yatra 2025/ Image Credit: IBC24 File

Modified Date: June 5, 2025 / 06:30 pm IST
Published Date: June 5, 2025 6:28 pm IST
HIGHLIGHTS
  • चारधाम यात्रा में अब तक करीब 80 श्रद्धालुओं की मौत।
  • मौत की वजह ऑक्सीजन की कमी, हार्ट अटैक बताई गई।
  • ऑक्सीजन की कमी से लोगों को सांस लेने में दिक्कत होने लगती है।

देहरादून। Chardham Yatra 2025: इस साल 2025 में चारधाम यात्रा शुरू होते ही अब तक करीब 80 श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है। वहीं इन मौत की वजह ऑक्सीजन की कमी, हार्ट अटैक बताई जा रही है। क्योंकि चारधाम में मंदिर की ऊंचाई समुद्र तल से लगभग 3 हजार से साढ़े 3 हजार मीटर की ऊंचाई पर स्थित हैं। जिस वजह से मंदिर पहुंचते तक ऑक्सीजन का स्तर कम होने लगता है।

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ऊंचाई पर पहुंचते ही कम होनी लगती है ऑक्सीजन की मात्रा

बता दें कि, यह यात्रा हर साल मई से शुरू होती है और श्रद्धालुओं के लिए आस्था का सबसे बड़ा पड़ाव मानी जाती है। जिसमें देश-दुनिया से हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। वहीं इस यात्रा के दौरान अब तक 80 लोगों की मौत हो चुकी है। क्योंकि, समुद्र तल पर हवा में ऑक्सीजन की मात्रा 21% होती है, लेकिन 3,000 मीटर की ऊंचाई पर यह स्तर काफी कम हो जाता है। जैसे-जैसे व्यक्ति ऊंचे स्थान पर चढ़ता है, हवा का दबाव और उसमें मौजूद ऑक्सीजन की मात्रा घटती जाती है। इस वजह से ऑक्सीजन की कमी से लोगों को सांस लेने में दिक्कत होने लगती है।

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Chardham Yatra 2025: वहीं इस मामले में डॉक्टरों का कहना है कि, बिना तैयारी के ऊंचाई पर चढ़ने से ‘एक्यूट माउंटेन सिकनेस’ (AMS) का खतरा बढ़ जाता है। ‘एक्यूट माउंटेन सिकनेस’ (AMS) के लक्षणों में सिरदर्द, चक्कर आना, उल्टी और सांस फूलना शामिल हैं। वहीं शरीर को ऊंचाई के साथ तालमेल बैठाने में समय लगता है, लेकिन जब यह प्रक्रिया तेजी से होती है तो शरीर ऑक्सीजन के लिए संघर्ष करता है और लक्षण प्रकट होने लगते हैं। मरने वाले श्रद्धालु में ज्यादातर बुजुर्ग, बीमारियों से जूझ रहे और पहले से बीमार लोग हैं।

 

 


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