Justice Yashwant Verma News: हाई कोर्ट के जज के बंगले में लगी आग को बुझाने पहुंची थी दमकल की टीम, कमरे का नजारा देख उड़े कर्मियों के होश
Justice Yashwant Verma News: हाई कोर्ट के जज के बंगले में लगी आग को बुझाने पहुंची थी दमकल की टीम, कमरे का नजारा देख उड़े कर्मियों के होश
Justice Yashwant Varma News | Photo Credit: IBC24
- जस्टिस यशवंत वर्मा के बंगले से भारी नकदी की बरामदगी के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उनका ट्रांसफर किया।
- कई जजों का मानना है कि इस घटना के लिए ट्रांसफर पर्याप्त नहीं है और जस्टिस वर्मा के इस्तीफे की मांग की जा रही है।
- इन-हाउस जांच की प्रक्रिया के तहत मामले की गहन जांच की संभावना जताई जा रही है।
नई दिल्ली: Justice Yashwant Verma News दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के आवासीय बंगले में आग लगने की घटना ने एक नया मोड़ ले लिया है। जब बचावकर्मी आग बुझाने के लिए कमरे में पहुंचे, तो उन्हें वहां भारी मात्रा में नकदी मिली। यह घटना बेहद गंभीर बन गई और इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने जस्टिस वर्मा का तत्काल ट्रांसफर कर दिया।
Justice Yashwant Verma News दरअसल, जस्टिक यशवंत वर्मा के बंगले में आग लग गई। बताया जा रहा है कि जब उनके बंगले में आग लगी तब वे घर से बाहर थे। घर वालों ने इसकी सूचना फायर ब्रिगेड और पुलिस को दी। जैसे ही आग बुझाने बचावकर्मी उनके एक कमरे के अंदर घुसे, उन्हें भारी मात्रा में कैश मिला। जिसके बाद मामला गंभीर बन गई।
इमरजेंसी में हुई मीटिंग
जैसे ही इस घटना की जानकारी पुलिस को मिली, मामले को लेकर उच्च अधिकारियों ने तुरंत सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना को सूचित किया। उन्होंने मामले को गंभीरता से लिया और तुरंत कॉलेजियम बैठक बुलाई। परिणामस्वरूप, जस्टिस वर्मा का ट्रांसफर इलाहाबाद हाई कोर्ट कर दिया गया, जहां वे 2021 में दिल्ली हाई कोर्ट जाने से पहले कार्यरत थे।
हालांकि, पांच जजों वाले कॉलेजियम के कुछ सदस्यों का मानना है कि इस तरह की गंभीर घटना के लिए ट्रांसफर काफी नहीं है. इससे न्यायपालिका की छवि धूमिल होगी और संस्था के प्रति लोगों का विश्वास भी कम होगा. उन्होंने कहा कि जस्टिस वर्मा को इस्तीफा देने के लिए कहा जाना चाहिए. अगर वे मना करते हैं तो CJI द्वारा इन-हाउस जांच शुरू की जानी चाहिए।
इन-हाउस जांच का महत्व
इस घटना के बाद, इन-हाउस जांच की प्रक्रिया को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। 1999 में सुप्रीम कोर्ट ने न्यायाधीशों के खिलाफ भ्रष्टाचार, गलत काम या अनियमितता के आरोपों से निपटने के लिए इस प्रक्रिया की शुरुआत की थी। इसमें CJI सबसे पहले जज से जवाब मांगते हैं और अगर वे संतुष्ट नहीं होते, तो गहन जांच के लिए पैनल गठित किया जाता है। इस पैनल में सुप्रीम कोर्ट का एक जज और दो हाई कोर्ट के मुख्य जज शामिल होते हैं।

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