असम के तीन जिलों में अफस्पा की अवधि छह महीने के लिए बढ़ाई गई

असम के तीन जिलों में अफस्पा की अवधि छह महीने के लिए बढ़ाई गई

असम के तीन जिलों में अफस्पा की अवधि छह महीने के लिए बढ़ाई गई
Modified Date: September 27, 2025 / 10:02 pm IST
Published Date: September 27, 2025 10:02 pm IST

गुवाहाटी, 27 सितंबर (भाषा) असम के तीन जिलों में सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम (अफस्पा) की अवधि एक अक्टूबर से अगले छह महीने के लिए बढ़ा दी गई है। शनिवार को जारी एक सरकारी अधिसूचना से यह जानकारी सामने आई है।

असम के राजनीतिक (ए) विभाग की ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक, राज्य सरकार ने केंद्र से सिफारिश की थी कि अफस्पा के तहत तिनसुकिया, चराईदेव और शिवसागर जिलों का ‘अशांत क्षेत्र’ का दर्जा छह महीने की अवधि के लिए बढ़ा दिया जाए।

अधिसूचना में कहा गया है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने तीनों जिलों का ‘अशांत क्षेत्र’ का दर्जा बरकरार रखने की राज्य सरकार की सिफारिश स्वीकार कर ली और इसे छह महीने के लिए बढ़ा दिया।

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अधिसूचना में असम सरकार ने कहा कि “सुरक्षा बलों के निरंतर प्रयासों और सक्रिय उग्रवाद विरोधी उपायों” के कारण राज्य में उग्रवादी हिंसा के संदर्भ में कानून-व्यवस्था की स्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।

हालांकि, उसने कहा कि सुधार के बावजूद, राज्य में सक्रिय एकमात्र उग्रवादी समूह उल्फा (आई) के उग्रवादियों की ओर से (हिंसा की) छिटपुट घटनाओं को अंजाम दिया गया है, साथ ही एनएससीएन (के-वाईए) के उग्रवादियों की गतिविधियां भी दर्ज की गई हैं, जिसका मुख्य उद्देश्य इन तीन जिलों में जबरन वसूली, विध्वंसक गतिविधियां और युवाओं की भर्ती करना है।

असम में एक अप्रैल 2022 को नौ जिलों और कछार जिले के एक उप-मंडल को छोड़कर पूरे राज्य से अफस्पा हटा लिया गया था। इसके बाद, यह अधिनियम छह जिलों से चरणबद्ध तरीके से हटाया गया था।

असम को 27-28 नवंबर 1990 की मध्य रात्रि को अफस्पा के तहत ‘अशांत क्षेत्र’ घोषित किया गया था। तब से, राज्य सरकार द्वारा समीक्षा के बाद हर छह महीने में इस कानून के लागू होने की अवधि बढ़ाई जाती रही है तथा रिपोर्ट केंद्रीय गृह मंत्रालय को विचारार्थ भेजी जाती रही है।

अफस्पा अशांत क्षेत्रों में तैनात सशस्त्र बलों को तलाशी लेने, गिरफ्तार करने और अगर वे आवश्यक समझें, तो गोली चलाने के व्यापक अधिकार देता है। इसकी अक्सर एक कठोर कानून के रूप में आलोचना की जाती है।

भाषा

पारुल पवनेश

पवनेश


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