बेंगलुरु के इंजीनियर के निधन के बाद उनके अंगदान से कई लोगों की जान बची

बेंगलुरु के इंजीनियर के निधन के बाद उनके अंगदान से कई लोगों की जान बची

बेंगलुरु के इंजीनियर के निधन के बाद उनके अंगदान से कई लोगों की जान बची
Modified Date: March 29, 2025 / 06:25 pm IST
Published Date: March 29, 2025 6:25 pm IST

बेंगलुरू, 29 मार्च (भाषा) एक शोकाकुल एकल मां द्वारा अपने बेटे के अंग दान करने के निर्णय से छह लोगों की जान बचाने में मदद मिली। 15 मार्च को एक सड़क दुर्घटना में उनके बेटे की मौत हो गयी थी।

राजाजी नगर की निवासी रेखा राव ने बताया कि उनका 33 वर्षीय बेटा राकेश कुमार एस उस दिन अपने दोस्त से मिलने जा रहा था, लेकिन दोपहिया वाहन फिसलने से वह गिर गया जिससे उसके सिर और चेहरे पर गंभीर चोटें आयीं और वह तुरंत बेहोश हो गया।

उन्होंने बताया कि राहगीरों ने उसे स्थानीय अस्पताल पहुंचाया।

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राव ने 25 साल पहले अपने पति को खो दिया था।

उन्होंने कहा कि अपने भारी दुख के बावजूद वह राकेश के लिए सही काम करना चाहती थीं।

राव ने ‘पीटीआई भाषा’ से कहा, ‘मुझे यह जानकर थोड़ी राहत मिलती है कि उनके अंग दान करने के फैसले से दूसरों को जीने का मौका मिलेगा।’

उन्होंने कहा कि निम्हांस के आईसीयू में बिस्तर देने से इनकार कर दिया गया, जहां उन्हें अपने बेटे को ले जाने की सलाह दी गई थी, जिसके बाद उन्होंने अंततः उसे शेषाद्रिपुरम के अपोलो अस्पताल में स्थानांतरित करा दिया।

उन्होंने कहा, ‘लेकिन मुझे बताया गया कि अंततः उसके दिमाग ने काम करना बंद कर दिया।’

चिकित्सकों ने बताया कि उसके मस्तिष्क के मृत होने की पुष्टि के बाद राव को अंगदान का विकल्प दिया गया।

डॉ. राव ने कहा, ‘हमें इस जीवन-रक्षक प्रक्रिया में भूमिका निभाने का सम्मान मिला है। इनमें से प्रत्येक दान गंभीर अंग प्रत्यारोपण की जरूरत वाले रोगियों के लिए एक बड़ा बदलाव लाएगा, जिससे उन्हें नई उम्मीद और जीवन-रक्षक उपचार मिलेगा।’

उन्होंने यह भी बताया कि राष्ट्रीय अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (एनओटीटीओ) की रिपोर्ट के अनुसार, बेंगलुरू में 4,000 से अधिक मरीज अंग प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

डॉ. कार्तिकेयन ने बताया कि राकेश के यकृत और दो गुर्दों को शेषाद्रिपुरम के अपोलो अस्पताल में प्रत्यारोपित किया गया, जिससे लीवर और गुर्दा काम नहीं करने से पीड़ित मरीजों को जीवन रक्षक उपचार मिल रहा है।

उन्होंने कहा कि उनकी कॉर्निया अंधेपन या गंभीर दृष्टि दोष से पीड़ित व्यक्तियों की दृष्टि बहाल करने के लिए दान कर दी गईं और उनके हृदय वाल्व का उपयोग हृदय वाल्व प्रतिस्थापन सर्जरी में किया जा चुका है।

कार्तिकेयन ने बताया कि उनकी त्वचा विक्टोरिया अस्पताल को दान कर दी गई थी, जहां इसका उपयोग जलने के शिकार लोगों और त्वचा प्रत्यारोपण की आवश्यकता वाले रोगियों के उपचार में किया गया है।

भाषा

शुभम माधव

माधव


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