राजधानी के 15 स्कूलों में एम्स की टीम करेगी बिहेवियर रिसर्च, मोबाइल-टैब से इस तरह किया जाएगा परीक्षण
बढ़ते इलेक्ट्रॉनिक विकाश ने मानव जीवन को सरल बना दिया है। शिक्षा के लिए इस विकाश ने बेहद शानदार काम कर रहा है। आज हम आप देश के किसी भी कोने में बैठ कर विश्व के किसी भी टीचर की क्लास को अटेंड कर सकते हैं। कोरोना महामारी ने लोगो को और भी ऑनलाइन जीने पर मजबूर कर दिया था।
भोपाल: Student Behavior Research & Analysis by AIIMS Bhopal बढ़ते इलेक्ट्रॉनिक विकाश ने मानव जीवन को सरल बना दिया है। शिक्षा के लिए इस विकाश ने बेहद शानदार काम कर रहा है। आज हम आप देश के किसी भी कोने में बैठ कर विश्व के किसी भी टीचर की क्लास को अटेंड कर सकते हैं। कोरोना महामारी ने लोगो को और भी ऑनलाइन जीने पर मजबूर कर दिया था। जिसके चलते मोबाइल, टैब पर क्लास लगती और मोबाइल टैब पर ही ऑफिस। तीन साल तक चली यह महामारी शिक्षा व्यवस्था के सभी पैरामीटर को तोड़ कर नए ढंग से एजुकेशन सिस्टम को चलाने पर सरकार को विवश कर दिया था। जिसके कारण लगभग सभी छात्रो के अभिवावको ने पढ़ने के लिए एक मोबाइल अपने बच्चों को मोबाइल दिलाया था। लेकिन इससे अजीबो गरीब मामले सामने आए हैं। मर्डर से लेकर सुसाइड तक छात्रों के द्वारा उठाए लगभग हर कदम में मोबाइल का हांथ है।जिसको लेकर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ने 15 स्कूलो में छात्रों पर रिसर्च के लिए गाइडलाइन जारी कर दी है।
6-12 वीं कक्षा के छात्रों का किया जाना है अवलोकन
एम्स भोपाल की टीम जल्द ही इस मुहीम पर एक्टिव हो जाएगी, टीम ने इस विषय में जानकारी देते हुए कहा कि हमने राजधानी के 15 स्कूलों को परिक्षण के लिए चुना है। जिसमें हम मोबाइल, टैबलेट का छात्रो पर क्या असर पड़ रहा है। ये जानकारी निकाल कर एक रिपोर्ट तैयार करेंगे। एम्स की इस रिसर्च में साइकोलॉजी, पल्मोनरी, साइकेट्रिक और कम्यूनिटी मेडिसिन डिपार्टमेंट शामिल हैं। ऐम्स के अधिकक्षको से मिली जानकारी के अनुसार यह आईसीएमआर के द्वारा शुरु किए गए, स्लीप हाइजीन जागरुकता कार्यक्रम के तहत किया जाएगा। बच्चों की हेल्थ और स्टडी को बेहतर बनाने के लिए डॉक्टरों नें 8-9 घंटे तक स्लीप के लिए कहा है।

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