एयरबस बेड़े की वापसी के बाद अंतरिक्ष मौसम पर ध्यान, विशेषज्ञों ने सौर किरण सिद्धांत पर उठाए सवाल

एयरबस बेड़े की वापसी के बाद अंतरिक्ष मौसम पर ध्यान, विशेषज्ञों ने सौर किरण सिद्धांत पर उठाए सवाल

एयरबस बेड़े की वापसी के बाद अंतरिक्ष मौसम पर ध्यान, विशेषज्ञों ने सौर किरण सिद्धांत पर उठाए सवाल
Modified Date: December 6, 2025 / 04:17 pm IST
Published Date: December 6, 2025 4:17 pm IST

(कृष्णा)

नयी दिल्ली, छह दिसंबर (भाषा) कंप्यूटर कोड की गड़बड़ी के कारण एक वाणिज्यिक विमान के ऊंचाई से अचानक नीचे आने के बाद एयरोस्पेस क्षेत्र की दिग्गज कंपनी ‘एयरबस’ का अपने वैश्विक बेड़े के लगभग आधे विमानों को वापस बुलाने का कदम उड़ान सुरक्षा में अंतरिक्ष मौसम के महत्व को उजागर करता है, जबकि विशेषज्ञ कंपनी के इस विश्लेषण पर सवाल उठा रहे हैं कि एक तीव्र सौर विकिरण के कारण उड़ान सॉफ्टवेयर को नुकसान पहुंचा था।

तीस अक्टूबर को मेक्सिको-अमेरिका उड़ान के दौरान एक ए320 विमान को ऊंचाई से अचानक नीचे आने के दौरान अप्रत्याशित समस्या का सामना करना पड़ा, जिससे 15 यात्री घायल हो गए। 28 नवंबर को एक बयान में, एयरबस ने इस घटना को ‘‘तीव्र सौर विकिरण’’ के कारण उड़ान सॉफ्टवेयर को हुए नुकसान से जोड़ा था।

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एयरबस ने बताया था कि इस घटना की जांच से पता चला कि सूरज की तेज किरणें (सोलर रेडिएशन) ए320 बेड़े के विमानों के उड़ान नियंत्रण को खराब कर सकती हैं। सॉफ्टवेयर अपग्रेड करने के लिए एयरबस ने ए320 विमानों के बेड़े को वापस बुलाया था।

विशेषज्ञों ने कहा कि तीव्र विकिरण ‘‘उथल-पुथल’’ पैदा कर सकती हैं, जो डेटा को प्रभावित कर सकता है, लेकिन उन्हें 30 अक्टूबर को कोई ऐसी सौर घटना नहीं देखने को मिली, जो चिंताजनक लगे।

भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान उत्कृष्टता केंद्र (सीईएसएसआई) के अंतरिक्ष मौसम विशेषज्ञ दिब्येंदु नंदी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में संकेत दिया कि उस दिन अंतरिक्ष मौसम से संबंधित कोई बड़ी घटना नहीं हुई थी।

नंदी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि बेड़े को वापस बुलाने और (सॉफ्टवेयर) अपडेट करने की क्या वजह रही। यह मानते हुए कि एयरबस विमानों ने अन्य सभी संभावनाओं को सावधानीपूर्वक खारिज कर दिया है, मैं अंतरिक्ष मौसम प्रभावों या आकाशगंगाओं के स्रोतों से एक अत्यंत दुर्लभ ऊर्जावान कण वृद्धि की ओर ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं, जो उस विशिष्ट तिथि यानी 30 अक्टूबर 2025 को मेक्सिको-अमेरिका उड़ान के दौरान देखी गई थी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अंतरिक्ष मौसम संबंधी आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि 30 अक्टूबर 2025 को सौर घटना से जुड़ी कोई ऐसी महत्वपूर्ण घटना नहीं हुई, जो चिंताजनक हो।’’

नंदी ने कहा कि हो सकता है कि पिछले ‘‘प्रभाव’’ किसी कारणवश नियमित गहन जांच से बच गए हों।

अमेरिकी खगोलशास्त्री असा स्टाल ने बताया कि जब सूर्य से आने वाले उच्च-ऊर्जा कण विमान के कंप्यूटर चिप से टकराते हैं, तो वे अस्थायी रूप से डेटा को प्रभावित कर सकते हैं, प्रणाली में खराबी पैदा कर सकते हैं या इलेक्ट्रॉनिक्स को स्थायी रूप से नुकसान पहुंचा सकते हैं।

भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (आईआईएसईआर) पुणे के संकाय सदस्य प्रसाद सुब्रमण्यम ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘तीव्र सौर विकिरण के दौरान विकिरण की तीव्रता अधिक होती है, जिससे ‘एक बार की उथल-पुथल’ पैदा हो सकती है। दूसरे शब्दों में, ऐसी सूरत में ‘1’ बदल सकता है ‘0’ में या ‘0’ बदल सकता है ‘1’ में।’’

उन्होंने कहा कि अंक ‘0’ और ‘1’ कंप्यूटर और इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए मूलभूत हैं, जिनमें ‘1’ आमतौर पर ‘सही/चालू’ और ‘0’ ‘गलत/बंद’ को दर्शाता है। विमानों की उड़ान बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण उपकरणों में ‘0’ और ‘1’ निर्देशों में कोई भी बदलाव ‘‘विनाशकारी’’ हो सकता है।

भाषा शफीक पारुल

पारुल


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